सांवरिया परिवार ने इसका श्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया – कैलाश परमार, ’स्वर्ण सीढ़ी आरोहण सनातन धर्म का अनोखा संस्कार’

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- ईश्वर की कृपा सदाचार और सात्विकता से ही यह संयोग बनता है जब चार पीढियां इकट्ठी हो कर परिवार में स्वर्ण सीढ़ी आरोहण जैसे दुर्लभ आयोजन का अवसर पाती है। रिवाजी संस्कार, पावित्र्य और समरसता पूर्ण व्यवहार हो तो ऐसे आयोजन में आनन्द बढ़ जाता है। सुभाष सोनी और समस्त सांवरिया परिवार ने बढ़ चढ़ कर अपने परिवार की मातृ शक्ति और प्रेरणा पुंज श्रद्धेय श्रीमती यशोदा देवी सोनी के स्वर्ण सीढ़ी आरोहण कार्यक्रम में नगर भर के मित्रो और शुभचिंतकों को आमंत्रित करके सभी लोगों को शास्त्रोक्त संस्कारो से रूबरू कराया।

यह एक सुखद अनुभव है। हम सभी पूज्य स्वामी अवधेशानन्द गिरी जी महाराज के शिष्य हैं ऐसे आयोजन को स्वामी जी द्वारा निर्देशित सक्रियता, संस्कार रोपण, सृजनशीलता और सम्पर्क शीलता की शिक्षाओं पर अमल का श्रेष्ठ उदाहरण मानते हैं। मंत्रोच्चारण के बीच संस्कार सम्पन्नता और परस्पर मेल मुलाकात से इस आयोजन में दिव्यता और भव्यता दिखाई दी। हम सभी पूज्य स्वामी अवधेशानन्द गिरिजी महाराज के परम भक्त सुभाष सांवरियां, श्याम, राम और दिव्यांश सांवरिया के इस नवाचार और उनकी विनम्रता से अभिभूत हैं। यह उद्गार पूर्व नपाध्यक्ष तथा प्रभु प्रेमी संघ के संयोजक कैलाश परमार ने स्वर्ण सीढ़ी समारोह में व्यक्त किए।

स्थानीय गीतांजलि गार्डन में आयोजित स्वर्ण सीढ़ी आरोहण संस्कार में पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार सहित पूर्व पार्षद शैलेश राठौर, पार्षद प्रतिनिधि सुभाष नामदेव, प्रभु प्रेमी संघ के महासचिव प्रदीप प्रगति, माँ पार्वती धाम गौशाला के अध्यक्ष नरेंद्र कुशवाह, समाजसेवी सुनील प्रगति, संजय जैन किला, अधिवक्ता वीरेंद्र परमार, पल्लव प्रगति, सुनील कचनेरिया, नरेंद्र, सुरेंद्र पोरवाल, संजय सुराणा, लोकेंद्र सिंह, संतोष मालवीय, मनोज सोनी काका आदि ने कार्यक्रम की श्रद्धा बिंदु श्रीमति यशोदा सोनी का केशरिया शाल और पुष्पमालाओं से अभिनन्दन करते हुए उन्हें बधाई दी। इस आयोजन में प्रभु प्रेमीजन सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

क्या है स्वर्ण सीढ़ी आरोहण- स्वर्ण सीढ़ी आरोहण, जिसे ’’स्वर्ण सिद्धि आरोहण’’ या ’’स्वर्ण सीढ़ी’’ भी कहा जाता है, एक प्रतीकात्मक अनुष्ठान है जो हिंदू परंपराओं में मनाया जाता है, इसका शाब्दिक अर्थ है ’’स्वर्ण सीढ़ी पर चढ़ना’’ और यह प्रगति, समृद्धि और आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक है। जीवन की स्मरणीय और महत्वपूर्ण घटनाओं में भी इसका महत्व है। यह समारोह आध्यात्मिक और भौतिक दोनों तरह की प्रगति का प्रतीक है, जिसमें ज्ञान और उच्च चेतना की ओर बढ़ना शामिल है। स्वर्ण सीढ़ी आरोहण जीवन में आगे बढ़ने और समृद्धि की यात्रा का भी प्रतीक है। यह समारोह आंतरिक विकास के ’’स्वर्णिम सोपानों’’ पर चढ़ने का भी प्रतीक माना जाता है।

पारंपरिक रूप से यह समारोह चौथी पीढ़ी के आगमन पर मनाया जाता है, जिसमें परदादा-दादी को सोने की सीढ़ी चढ़ाई जाती है, जो अक्सर उनके बेटों या पोतों के बच्चों के जन्म का प्रतीक होती है। यह समारोह परिवार के सदस्यों को एक साथ लाता है और एक महत्वपूर्ण अवसर पर एकजुटता और उत्सव की भावना को बढ़ावा देता है। स्वर्ण सीढ़ी आरोहण का उत्सव सकारात्मक सोच, बेटा-बेटी में समानता और परिवार के सदस्यों के बीच प्रेम और सम्मान की भावना को दर्शाता है। यह समारोह समाज को सकारात्मक संदेश देता है और पारंपरिक रीति-रिवाजों और आधुनिक मूल्यों के बीच संतुलन बनाए रखने का एक तरीका हैं।

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