
updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- जनपद शिक्षा केंद्र आष्टा द्वारा शास माध्य शाला किला आष्टा प्रशिक्षण केंद्र पर शिक्षकों दो दिवसीय विकास खंड स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम गणित 2 बैच विज्ञान 2बैच सामाजिक विज्ञान 4 बैच का समापन मंगलवार 8 जुलाई को हुआ । यह प्रशिक्षण राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 एवं एनसीएफ 2023 के लक्ष्य के अनुरूप किया गया ।प्रशिक्षण प्रभारी श्री देवजी मेवाड़ा ने बताया कि यह प्रशिक्षण गणित, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान विषय कक्षा 6 में बदलाव के अनुरूप संपन्न किया गया।

जिसमें संबंधित विषय के समस्त शिक्षकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। यह प्रशिक्षण वार्षिक कार्य योजना 2025 -26 के अंतर्गत किया गया। इसका उद्देश्य शिक्षकों को नवीन पाठ्य पुस्तकों के अनुरूप शिक्षण पद्धतियों से अवगत कराना हैं।इस अवसर पर बी आर सी सी अजब सिंह राजपूत, बी ए सी देवजी मेवाड़ा, बी ए सी मनोज विश्वकर्मा ने मार्गदर्शन प्रदान किया । कार्यक्रम का संचालन हरेंद्र सिंह ठाकुर ने किया । प्रशिक्षण में डी आर जी लखन लाल जोमर,लखन सिंह ठाकुर,देवराज सोनी ,आनंद सोनी कन्हैयालाल सोनी महेश मालवीय सहित समस्त शिक्षक उपस्थित रहे ।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- जरूरी नहीं की मुख पर हर समय परमात्मा का नाम आए ।वह समय भी भक्ति का ही होता है।जब एक इंसान दूसरे इंसान के काम आए।परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं, गोस्वामी जी ने भी लिखा है। पर हित सरिस धर्म नहीं भाई।हमेशा दूसरे का भला सोचो ,जीवन में कभी भी किसी का बुरा ना करें।भला किसी का कर ना सके तो बुरेपंथ मत जाय ।अमृत फल चाखयों नहीं ,फिर विष फल काहे खाय। ऊक्त बहुत ही प्रेरक विचार भागवत भास्कर संत श्री मिट्ठूपुरा सरकार द्वारा भील खेड़ी बरामद में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा

के चतुर्थ दिवस व्यास पीठ से व्यक्त किये।कथा में आगे पूज्य गुरुदेव द्वारा श्री कृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाते हुए बताया कि पृथ्वी पर जब अनाचार अत्याचार और पाप हद से ज्यादा बढ़ जाता है। तब भगवान मनुष्य रूप में पृथ्वी पर अवतार लेते हैं।और साधु संतों, भागवत भक्तों ,स्त्री और गाय की रक्षा करते हैं।जब-जब होइ धर्म के हानि।बाड़े असुर अधम अभिमानी।तब तब धरी प्रभु विविध शरीरा।हरहु सदा सज्जन भव पीरा। द्वापर युग में जब महादुष्ट कंस का अत्याचार बहुत बढ़ गया।तब पृथ्वी गाय का रूप बनाकर ब्रह्मा जी के पास गई।और ब्रह्मा जी सभी देवताओं को लेकर छीर सागर के किनारे पहुंचे,

भगवान विष्णु से प्रार्थना की ,तब भगवान विष्णु ने कहा कि तुम सब अपने-अपने धाम को जाओ। थोड़े समय बाद मे ब्रजमंडल मथुरा में आकर जन्म लूंगा ।और कंस सहित सभी राक्षसों का वध करूंगा।और इसी संकल्प के कारण भगवान ने वसुदेव, देवकी के यहां श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया ।भादो कृष्ण पक्ष अष्टमी दिन बुधवार रात्रि 12:00 बजे कंस के जेल खाने मथुरा में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ।जैसे ही श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का समाचार मिला सभी और खुशियां दौड़ गई। देवता पुष्प वर्षा करने लगे।कथा पंडाल में भी ,नंद घर आनंद भयो,जय कन्हैया लाल की। के गगन भेदी नारों से पूरा पांडाल गूंजाया मान हो गया।

सभी भगवत श्रोता भाव विभोर होकर नृत्य करने लगे।बधाई गीत गाए गए। जन्म की कथा से पूर्व संत श्री मिट्ठूपुरा सरकार द्वारा भगवान के परम भक्त प्रहलाद जी का चरित्र, जड़ भरत जी की कथा,समुद्र मंथन,वामन अवतार,की कथाओं का बड़ा ही मार्मिक वर्णन किया।जिसे सुनकर सारे श्रोता भाव विभोर हो गए।इस अवसर पर राजेंद्र सिंह ठाकुर,राम भरोसे जाट,गणेश जाट,जसपाल ठाकुर,अके सिंह ठाकुर,घीसू लाल भगत जी,विजेंद्र सिंह,महेंद्र सिंह, बाबा साहब बरडघाटी,बहादुर सिंह ठाकुर,मनोहर सिंह पटेल,कल्याण सिंह ठाकुर,अमन बैरागी,लखन लाल शर्मा,चंद्रपाल व्यास,जीवन सिंह,प्रहलाद सिंह,अनार सिंह,मानसिंह ठाकुर सहित बड़ी संख्या में नारी शक्तियों की उपस्थिति रही।


