ठाकुर प्रसाद वर्मा का निधन- अंचल में शोक की लहर

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- लंबे समय तक ग्राम पंचायत हराज खेड़ी के सरपंच एवम जनपद प्रतिनिधि रहे खाती समाज सीहोर के पूर्व जिला अध्यक्ष ठाकुर प्रसाद वर्मा का गत दिवस निधन हो गया । वे एक पखवाड़े से भोपाल के एक निजी अस्पताल में गंभीर अवस्था में ईलाज के लिए भर्ती थे । श्री प्रसाद की लगभग 71 वर्ष की आयु थी वे पूर्णरूपेण स्वस्थ एवम सक्रिय रहते थे उनके निधन से अंचल में शोक की लहर छा गई । ज्ञातव्य हो कि दिवंगत ठाकुर प्रसाद वर्मा कांग्रेस पार्टी में भी सक्रिय थे उनके निधन उपरांत जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष राजीव गुजराती पूर्व विधायक शैलेन्द्र पटेल,

पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कैलाश परमार ,वरिष्ठ पार्षद भैया मियां,डॉ ओ पी वर्मा, जनपद अध्यक्ष दीक्षा सोनू गुणवान, पूर्व जनपद अध्यक्ष धारासिंह पटेल, जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष प्रदीप प्रगति, जिला पंचायत सदस्य कमल सिंह चौहान , जितेंद्र शोभा खेड़ी ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष, रमेश चंद्र मुकाती, बी. एस. वर्मा, पूर्व पार्षद नरेंद्र कुशवाह, चतर्भुज तोमर ,अर्जुनअजय,सुनील कटारा , सोहेल मिर्जा, सुनील सेठी , इदरीश मंसूरी ,सलीम अंसारी, राजेश यादव, गोरे मियां , नन्नू लाल कासन्या, विनीत सिंगी, आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित कर शोकाकुल परिवार को संवेदना प्रकट की है ।

जब मां ने हक के लिए उठाई आवाज तो कानून ने भी दिया साथ, जब बेटे ने मां को घर से बाहर निकाला तो कानून ने दिलाया मां को न्याय, अपने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए एक मां ने खटखटाया एसडीएम कोर्ट का दरवाजा, मां के भरण पोषण के लिए एसडीएम ने पुत्र को दिया प्रतिमाह राशि देने का आदेश

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- प्रत्येक व्यक्ति के लिए दुनियां में एक मां ही होती है जो हमेशा यह सोचती है कि उसके बच्चें जीवन में बड़ी से बड़ी सफलता हांसिल करें और इतने काबिल बनें कि पूरी दुनियां उनके सामने झुके। पर अगर वही बच्चे बड़े होकर अपने माता-पिता के लिए अपनत्व की भावना को भूल जाएं तो मां-बाप के लिए इससे बड़ा अघात नही होता। सीहोर एसडीएम कोर्ट में एक ऐसा ही मामल सामने आया जो बच्चों में माता-पिता के प्रति खो रहीं अपनत्व की भावना की कहानी को बयां करता है।

सीहोर की दीक्षित कॉलोनी निवासी बुजुर्ग श्रीमती सावित्री बाई विश्वकर्मा जिनका जीवन अपने पति की मृत्यु के बाद बिल्कुल अकेला हो गया था। उनका एकमात्र सहारा उनका बेटा घनश्याम ही था। पर वक्त ने करवट बदली और वही बेटा एक दिन अपनी मां को उनके ही मकान से बाहर कर गया। घर में ताला लगाकर चाबी अपने पास रख ली और बुजुर्ग मां को दर-दर भटकने के लिए छोड़ दिया। न कोई आय का स्रोत, न कोई सहारा और बीमारी ने श्रीमती सावित्री बाई को कमजोर बना दिया था। मगर सावित्री बाई ने हार नहीं मानी। वे अपने अधिकार और

आत्मसम्मान की रक्षा के लिए सीहोर के एसडीएम कोर्ट पहुंची और एसडीएम श्री तन्मय वर्मा से माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 के तहत न्याय दिलाने की गुहार लगाई। एसडीएम श्री तन्मय वर्मा ने उनकी पीड़ा को सुना, समझा और मामला दर्ज किया गया। बेटे को नोटिस देकर कोर्ट में बुलवाया गया और सुनवाई की गई। अंततः मां को उनका हक वापस दिलाया गया। एसडीएम श्री वर्मा द्वारा बेटे से मकान की चाबी दिलवाई गई, बीस हजार रुपये की राशि भी दिलाई गई और जीवन यापन के लिए सिलाई मशीन उपलब्ध कराई गई। इसके साथ ही

माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 के तहत बेटे को एक हजार रूपये प्रतिमाह अपनी मां को देने का आदेश दिया गया। श्रीमती सावित्री बाई के लिए यह सिर्फ एक फैसला नहीं था, बल्कि उनके आत्मसम्मान की वापसी थी। यह कहानी सिर्फ एक मां की नहीं है, बल्कि उन सभी बुजुर्गों की आवाज़ है, जिन्हें समाज में अक्सर भुला दिया जाता है। सावित्री बाई ने ये साबित कर दिया कि अगर मां खामोशी तोड़ दे, तो कानून भी उसके साथ खड़ा हो जाता है।

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