

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- कर्नाटक के राज्यपाल श्री थावरचंद जी गेहलोत से सुशील संचेती ने नागदा में की सौजन्य भेंट, किया स्वागत-सम्मान। कर्नाटक के राज्यपाल महामहिम श्री थावरचंद गहलोत से आज सीहोर जिला भाजपा के मीडिया प्रभारी सुशील संचेती ने आज नागदा पहुच कर महामहिम राज्यपाल जी से सौजन्य भेंट कर उनका पुष्पगुच्छ भेंट कर जिला भाजपा की ओर से स्वागत सम्मान किया । इस अवसर पर संचेती के पारिवारिक सदस्य भी साथ थे ।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र, किला मंदिर आष्टा पर चातुर्मास हेतु विराजमान रहे मुनिश्री सजग सागर मुनिराज एवं मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज, जो कि आचार्य आर्जव सागर मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य हैं, ने चातुर्मास की समाप्ति के उपरांत आष्टा से देवास की दिशा में मंगल विहार किया।दोपहर में नगर के श्रद्धालुओं एवं समाजजनों की उपस्थिति में भव्य विदाई एवं मंगल विहार समारोह संपन्न हुआ। समाज की महिलाओं ने साधु संघ की विहार के समय “ भगवान महावीर एवं मुनिराज की जयघोष ” के उद्घोष से वातावरण को धर्ममय बना दिया।

मुनि द्वय का विहार आष्टा से खजूरिया कासम ग्राम तक हुआ, जहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु पदविहार में सम्मिलित रहे। वहाँ से मुनि संघ विहार कर डोडी ग्राम पहुँचें, जहाँ आज आहारचर्या संपन्न हुई। इसके पश्चात दोनों मुनिश्री सोनकच्छ–देवास की ओर आगे बड़े। यम ही जीवन की सर्वोच्च साधना – मुनिराज सानंद सागर — मुनिश्री सानंद सागर मुनिराज ने चातुर्मास की समाप्ति पर दिए अपने प्रेरक प्रवचन में कहा कि “सच्चा सुख इंद्रियों की नहीं, संयम की विजय में है। जो अपने मन, वाणी और कर्म पर नियंत्रण रखता है, वही वास्तविक साधक है। तपस्या और त्याग जीवन का आभूषण हैं; इन्हीं के माध्यम से आत्मा की शुद्धि और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।”

मुनिश्री ने आगे कहा कि वर्तमान युग में भौतिक आकर्षणों के बीच भी यदि मनुष्य थोड़े-से नियम, अनुशासन और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाए, तो उसका जीवन सुख, शांति और पवित्रता से भर सकता है। त्याग और आराधना का अद्भुत उदाहरण- चातुर्मास के दौरान मुनि द्वय ने अत्यंत कठिन तप एवं साधना का पालन किया। निराहार व्रत, उपवास, प्रतिक्रमण और स्वाध्याय जैसे अनेक नियमों का पालन करते हुए उन्होंने समाज को संयमपूर्ण जीवन की प्रेरणा दी। चार मासों तक प्रतिदिन प्रवचन, सामायिक और आराधना के माध्यम से नगरवासियों को धर्ममय जीवन की दिशा दिखाई।

मुनिराज सजग सागर व सानंद सागर ने अनेक श्रावक – श्राविकाओं को व्रती अर्थात प्रतिमा दिलाकर आत्म कल्याण के मार्ग पर अग्रसर किया। भक्तों ने दी भावभीनी विदाई- मंगल विहार के अवसर पर जैन समाज के श्रावकजन , महिलाएँ, युवा एवं बालक-बालिकाएँ बड़ी श्रद्धा और भावनाओं के साथ उपस्थित रहे।मुनि सेवा समिति एवं जैन समाज आष्टा की ओर से साधु-संघ को जयघोष के साथ विदाई दी गई।विदित हो कि मुनिश्री सजग सागर मुनिराज एवं सानंद सागर मुनिराज अब अपने गुरुदेव आचार्य आर्जव सागर मुनिराज के सान्निध्य में पहुँचकर उनके नेतृत्व में आगे का मंगल विहार करेंगे।


