गुरु आज्ञा में पूर्ण निष्ठा और विश्वास हो-समर्थ संतो के सत्संग से हमारे अंदर सद्गुणों का विकास होता है

धंनजय जाट आष्टा 7746898041- ब्रह्मानंद जन सेवा संघ, कृष्णा धाम आश्रम मालीपुरा आष्टा के पावन तत्वावधान में आयोजित, पांच दिवसीय श्री गुरु पूर्णिमा अमृत महोत्सव के प्रथम दिवस पर आज हजारों गुरु भक्तों ने श्रद्धेय मां कृष्णा जी की ओजस्वी अमृतवाणी का लाभ लिया! हिमाचल प्रदेश से पधारे, पद्मश्री पुरस्कृत हरिमन जी शर्मा, के साथ ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़,आदि स्थानों से पधारे गुरु भक्तो ने मां कृष्णा जी की अमृतवाणी का लाभ लिया!
1.पूज्य माँ कृष्णा ने अपने अमृत वचनों में कहा कि:-

समर्थ संतों की वाणी सुनंने से हमारे अंदर के अवगुणों का नाश होता है और सद्गुणों का विकास होता है! व्यक्ति के अंदर विवेक जागृत होता है! सत्संग से अंतःकरण की मालीनता साफ होती है! व्यक्ति भगवान कि तरफ लगता हैं!गुरु हमें एक जीवन जीने की कला सिखाते हैं!आज की स्थिति को देखते हुए जीवन में समर्थ गुरुओं का सानिध्य, उनकी वाणी बहुत आवश्यक है! जब-जब इस धरा पर लोगो में दुष्ट प्रवर्ती बढ़ती है!उसी के अनुरूप संत, युगपुरुष,सद्गुरु इस धरा पर जन्म लेकर अपने भक्तो को परमात्मा प्राप्ति के और ले जाते हैं!कहा गया है कि :

गुरु बिना ज्ञान ना उपजे, गुरु बिन नहीं मिले ना मोक्ष!
गुरु बिन लखे ना सत्य को, गुरु बिन मिटे ना दोष!!

  1. अच्छा करो या बुरा करो सब रिटर्न होकर मिलता है
    मां ने सत्संग में आगे कहा कि:- जीवन में अच्छा बोलो,अच्छे कर्म करो,अच्छा आचरण करो, अच्छा व्यवहार करो,अच्छा देखो,अच्छा खाओ,अच्छा सुनो, क्योंकि हम जो करते हैं वह कभी ना कभी हमें रिटर्न होकर वापस मिलता है! बहुत ऊंचाई पहाड़ी से खड़े होकर जब हम हम तेजी से आवाज लगते हैं तो रिटर्न में वही सुनाई देता है जो हम बोलते हैं! इसलिए जीवन में अच्छे परमार्थ के कर्म करें क्योंकि कर्म कभी पीछा नहीं छोड़ता है!
  2. एक अच्छा साधक बनने के लिए हमारा शरीर की शुद्ध हो, हमारी वाणी शुद्ध हो,

हमारा आचरण शुद्ध हो, हमारा व्यवहार शुद्ध हो, हमारे कर्म शुद्ध हो, हमारा चरित्र शुद्ध हो,और सबसे बड़ी बात हमारा हृदय शुद्ध हो क्योंकि शुद्ध हृदय में ही भगवान निवास करते हैं!
4 गुरु आज्ञा में पूर्ण निष्ठा और विश्वास हो:- एक प्रसंग के माध्यम से माँ ने बताया की, गुरु धोम्य ऋषि का आश्रम था जिसमे उनका अरुनी नाम का शिष्य रहता था! गुरु ने आज्ञा दी की बारिश बहुत तेज हो रही है तुम जाओ और धान के खेत कि मेड़ से पानी को बहने से रोको! बारिश बहुत तेज थी जब पानी नहीं रुका तो आरुणि ने मेड़ पर सोकर पानी को रोका! तब अरुण की गुरु भक्ति देखकर धोम्य ऋषि ने आशीर्वाद दिया कि

बेटा अरुणि तुम सच्चे गुरु भक्त हो तुम्हें जीवन में सब विद्याएं अपने आप ही प्राप्त हो जाएगी!
5 जीवन में जो भी करो पूर्ण समर्पण एवं विश्वास से करो
प्रेम करो तो मीरा की तरह, प्रतीक्षा करो तो शबरी की तरह, भक्ति करो तो हनुमान की तरह, पुकार लगाओ तो द्रोपती की तरह,विश्वास करो तो भक्त प्रहलाद की तरह, गुरु आज्ञा हो तो भक्त अरुणी की तरह,शिष्य बनो तो अर्जुन की तरह,और मित्र बनो तो स्वयं भगवान श्री कृष्ण की तरह!

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