updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- यदि साधु के मुख से बात निकली है तो सभी व्यक्ति के आत्म कल्याण व अच्छे काम के लिए होती है। हर व्यक्ति की सोच अलग -अलग है। कोई अंतिम समय में घूमने जाता है, तो कोई भगवान के समक्ष या गुरु के मुख से णमोकार महामंत्र सुनते हुए हुए अंतिम सांसें लेना चाहता है।आगम और गुरु के अनुसार धर्म प्रभावना कराते हैं।साधु -संतों के आगमन पर समाज के हर व्यक्ति को सहयोग करना चाहिए। भक्त वह है जो भगवान को याद करते हैं। शिष्य वह है जिन्हें संत याद करते हैं, भगवान की भक्ति में बहुत शक्ति है।

भगवान के चंवर ढोने से बहुत पुण्य मिलता है। क्रियाएं सुव्यवस्थित ढंग से करना चाहिए। वैभव से जितना भागोगे वह उतना ही आपके साथ आएगा और धन के पीछे जितना भागोगे वह आपसे उतना ही दूर भागेगा। भगवान की भक्ति, आराधना अगर आप त्याग,तप और संयम पूर्वक करते हो तो केवल्य ज्ञान की प्राप्ति कर सकते हो। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। आपने एक विद्वान संत का वृतांत सुनाया कि

राजा को एक संत महात्मा ने तीन लाख रुपए लेकर तीन बातें बताई कि सुबह घूमने जाओ, घूमने के दौरान पहला व्यक्ति जो मिले उसकी बात को स्वीकार करें। अपने दुश्मन का भी स्वागत करें। राजा ने घूमने जाने लगा और एक दिन एक महिला के रोने की आवाज आई तो राजा ने रोने का कारण पूछा तो उसने कहा कि हमारे राजा बहुत ही न्यायप्रिय है और उनकी मृत्यु सातवें दिन होगी। राजा ने मृत्यु का कारण पूछा तो बताया कि वह सामने पहाड़ी से काला नाग आएगा और राजा को डस लेगा। राजा ने साधु की तीनों बातों पर अमल किया और काले नाग के स्वागत हेतु पूरे नगर में मुनादी कराई।

नाग जब राजा को डसने के लिए निकला तो स्वागत, सत्कार देखकर अभिभूत हुआ। और राजा को जीवन दान दिया।इस प्रकार साधु की बात से राजा की जिंदगी बच गई। साधु -संतों के मुख से निकली वाणी सभी के कल्याण के लिए होती हैं। साधुओं को हमेशा सम्मान देवें।इस संसार में दुर्लभ वस्तु है। अंधकार ज्ञान से दूर होता है।दान देने के समय वचन प्रिय होना चाहिए,कटु व अपशब्द नहीं कहें। दान की राशि तत्काल जमा कराना चाहिए।अच्छे भाव के साथ धन का त्याग अर्थात दान करना चाहिए। शुक्रवार 1 नवंबर को महावीर स्वामी का निर्वाण महोत्सव मनाया जाएगा। जैन दीपावली पूजन संकलन मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने

संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज एवं समय शिरोमणि समय सागर महाराज के आशीर्वाद से तथा अपने चातुर्मास के दौरान मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज,निष्प्रह सागर महाराज,निष्कंप सागर महाराज तथा निष्काम सागर महाराज के पावन प्रसंग से कराया।पुण्यार्जक कपड़ा व्यापारी प्रदीप कुमार श्रीमती कविता, संकल्प, शौर्य जैन श्रीमोड़ परिवार रहा। प्रदीप कुमार श्रीमोड़, श्रीमती कविता श्रीमोड़, निर्मल कुमार जैन, महेंद्र जैन जादूगर, श्रीमती मोनिका जैन, श्रीमती निर्मला जैन, श्रीमती शोभा जैन चायघर श्रीमती मनीषा जैन ने जैन धर्म दीपावली पूजन चित्र का अनावरण मुनिश्री निष्काम सागर महाराज के पावन सानिध्य में किया।

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