updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- नवनिर्वाचित महिला मंडल द्वारा तीन दिवसीय गरबा महोत्सव में प्रथम दिवस अध्यक्ष श्रीमती स्मिता अमित मूंदड़ा ने बताया कि सभी वरिष्ठ जानो द्वारा मां भागवती के चित्र पर माल्यार्पण एवं महेश वंदना द्वारा कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ तत्पश्चात सुंदर गरबा प्रस्तुति द्वारा मां की आराधना की गई अगली कड़ी में वैश्य समाज महिला मंडल का स्वागत,शिक्षक ग्रुप का स्वागत एवं जगदीश्वर महिला मंडल गोकुल धाम मंडल ,पत्रकार श्रीमती किरण रांका जी का स्वागत किया गया।
द्वितीय दिवस सम्माननीय विधायक श्री गोपाल जी इंजीनियर ,नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती हेमकुंवरजी मेवाड़ा श्री रायसिंह जी मेवाड़ा श्रीअतुलजी शर्मा नगर अध्यक्ष भाजपा,सकल समाज के अध्यक्ष श्री अनिल जी श्रीवास्तव,संरक्षक श्री सुरेशजी सुराना, मनीषजी डोंगरे गोकुलधाम समिति के अध्यक्ष ,महिलापार्षद श्रीमती अंजनी जी चौरसिया,श्रीमती तराजी कटारिया,श्रीमती लता जी तेजपाल मुकाती,कु. आरती नामदेव व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री रूपेश जी राठौर समस्त पत्रकार गण में वरिष्ठ पत्रकार श्री सुशील जी संचेती,श्रीदिनेश जी शर्मा,श्री निलेशजी शर्मा,श्री राजीव जी गुप्ता,धनंजय जी जाट,संजय जी वर्मा का स्वागत किया गया एवं
सभी युवा समूह एवं समस्त महिलाओं के द्वारा गरबा की सुंदर प्रस्तुति की गई। समापन की बेला में अखिल भारतीय माहेश्वरी समाज के खंडवा के सभी पदाधिकारी अध्यक्ष श्री अश्विनी जी बाहेती सचिव श्री पीयूष जी भंसाली पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश जी दाड़ कुरावर से केंद्रीय कार्यकारिणी की महिला अध्यक्ष श्रीमती किरण जी गुप्ता की स्थानीय समिति इछावर एवं कन्नौद के सदस्यों कासमिति स्वागत किया गया सर्वप्रथम गणेश वंदना पर सुंदर नृत्य की प्रस्तुति की की विनायका अमित मूंदड़ा द्वारा की गई गरबा मंडल द्वारा आकर्षक प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया फैंसी ड्रेस,कन्याओं द्वारा नवदुर्गा रूप का नृत्य को सभी के द्वारा सराहा गया इस अवसर पर सभी प्रायोजकों द्वारा
अपनी तरफ से स्वागत सामग्री एवं पारितोषक दिए गये महिला समिति की सदस्यों अध्यक्ष श्रीमती स्मिता अमित मूंदड़ा सचिव श्रीमती वर्षा संजय धारवांउपाध्यक्ष श्रीमती सीमा ललित नागौरी ,श्रीमती ममता आमोद बजाज कोषाध्यक्ष श्रीमती संगीता संतोष झंवर श्रीमती प्रीति लोकेंद्र धारवां सहसचिव श्रीमती श्वेता अजय मूंदड़ा विशेष सहयोगी श्रीमती कल्पना मुकेश आर्य स्थानीय समिति के अध्यक्ष श्री मनीष धारवां युवा अध्यक्ष श्री तरुण नागौरी ने सभी अतिथि गण एवं समाज जानो का धन्यवाद किया कार्यक्रम का सफल संचालन श्रीमती नम्रता कमलेश मूंदड़ा ,श्री ललित जी नागौरी श्री संतोष जी झंवर ने किया।
updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- दीपावली पर घर और दुकान की सफाई तो सभी किया करते है पर अपनी आत्मा की सफाई भी कर लिया करो ,यही आत्मा की सफाई हमें भव -भव के भटकने से मुक्ति दिलाएगी। शुद्धि आठ प्रकार से होती है ,यह व्यवस्था मुनिराजों के लिए है।अधिक बोलना विभाव है ,विकृति है। सच्चा साधु बोलता कम है वचनों के प्ररूपण होने से थोड़ा सा भी वचन गलत बोल देने से जिनवाणी का दोष लगता है ।मिथ्यात्व प्रथम गुणस्थान में होता है।न्याय और नीति का श्रीराम ने उल्लंघन नहीं किया।श्री राम चाहते तो सीता को तत्काल ले आते।
राजा का मंत्री अच्छा और अनुभवी होना चाहिए।जहां काम,क्रोध,मोह,माया आ जाए वहां विनय नहीं होती। चापलूसी करने वालों से बचना चाहिए।साधु और समाज दोनों धर्म के लिए अपना -अपना सहयोग देते हैं।जभी धर्म आगे चलता है। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री निष्प्रह सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। मुनिश्री ने कहा अगर आप किसी के अच्छे मित्र हैं तो अपने मित्र की गलती को बताएं। श्रावक को साधु की विनय करना चाहिए।
कभी-कभी नीम और मैथी खाना पढ़ती है, रोज नहीं।इसी प्रकार हित मित वचन बोलना चाहिए।मन में विकृतियां नहीं आना चाहिए। रत्नात्रय की शुद्धि शरीर में आ जाएं वहीं व्यक्ति कल्याण करता है।नवधा भक्ति व शुद्धि आवश्यक है। मुनिश्री निष्प्रह सागर महाराज ने कहा वक्ता के भाव देखना चाहिए। साधु -संतों के मन में कषाय हैं, मुंह फूला हुआ है,वचन तेजी से निकल रहें हैं तो भाव अच्छे नहीं हैं। आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज ने सबसे पहले मुनि दीक्षा के दौरान कहा संलेखना समाधि के लिए तैयार हो जाओं।
सिथलाचार,हर कुछ बोलना,अंदर मिथ्यात्व बैठा है, समझों अभी साधु बने हैं। सम्यकदृष्टि को बड़ा बनना पड़ता है तथा बाप का भी बाप बनना पड़ता है। हमें अपने धर्म और संस्कृति को बढ़ाना होगा। अमृत कितना ही अच्छा हो, अगर जहर के साथ परोसेंगे तो क्या वह अमृत आप सेवन करेंगे। जहां राग,-द्वेष और कषाय हैं वहां मिथ्यात्व है।राग,-द्वेष और कषाय मन में हैं तो भाव शुद्धि नहीं। मुनिश्री ने कहा सबसे पहले शरीर को शांत करना चाहिए। दुनिया में जितने भी अज्ञानी, कमजोर व्यक्ति हैं वह जबाब देता है और ज्ञानी व्यक्ति शांत रहते हैं। संसार में सब क्षण भंगुर है। श्रीराम ने लंका को जीतने के बाद वापिस लौटाया।
विदुर जैसे विद्वान ने धृतराष्ट्र राजा को समझाया कि पांडवों को राज्य सौंप दो, धृतराष्ट्र नहीं माने, महाभारत हुई और परिणाम सभी जानते हैं।पूजा अर्चना कर रहे और मन में भाव अशुद्ध चल रहे हैं तो उक्त पूजा अर्चना का क्या लाभ। पूजा अर्चना के दौरान भावों में शुद्धता होना चाहिए। आप धर्म और पुण्यार्जन करने का उद्देश्य रखते हैं। विवेक और आगम पूर्वक क्रिया करें। गलत को गलत कहें।पाप और मिथ्यात्व से बचें।जिस प्रकार बच्चे को गलती पर डांटते हैं और समझाते हैं,उसी प्रकार साधु को भी गलती पर बताएं। धर्म शांति के लिए है। तुष्टिकरण की नीति हमसे नहीं बनती है।
नय की व्यवस्था समझ मे आ जाये तो किसी प्रकार का विसंवाद ही नही होगा। जहां शरीर है ही नही उन्हें सिद्ध अवस्था कहते है ,जो अपने लक्ष्य को याद नही रखता है वह अपनी राह में आगे नही जा सकता है। हम ऊपर की ओर जाना चाह रहे कि नीचे की ओर राग द्वेष से हट कर अपनी वाणी में नम्रता रखो। निष्प्रह एक क्रिया है, निष्प्रह एक भाव है, अपेक्षा निग्रह का कारण है आग्रह मिथ्यात्व की कड़ी है ।सबसे पहले वक्ता की भाव शुद्धि होना चाहिए जब भाव शुद्धि की व्यवस्था बने राग द्वेष से रहित होने पर ही भाव शुद्धि होती है।विकृति में भाव शुद्धि नही होती जो व्यक्ति आगमिक होता है प्रमाणिक होता है
वह कैसे भी विपरीत परिस्थिति आ जाये अपने मार्ग से विमुख नही होता। परीक्षा में पास होना ही उत्तम भावों का परिणाम है।जिस प्रकार साधु अपने नित्य कर्मो में व्यवस्थित रहते है उसी प्रकार श्रावक को भी रहना चाहिए। जहां राग ,द्वेष ओर कषाय बैठी हुई है ,वहा मिथ्यात्व भी बैठा हुआ है ।बाहर से तो थोड़ा बहुत दिखता है अंदर से राग- द्वेष नही होना चाहिए ।अपने शरीर को शांत बनाया जाता है ,जितना भी कमजोर व्यक्ति हैं ,अज्ञानी है वही प्रतिक्रिया देता है ज्ञानी तो शांत बैठता है ।राम ने न्याय नीति का कभी उल्लंघन नही किया, चाहते तो सीता को धोखे से उठा लाते पर उन्होंने ऐसा नहीं किया।