updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- इनरव्हील क्लब ने प्रारंभ से ही ऐसे कार्य किए हैं, जिसके कारण उसकी एक अलग ही छवि है।इस संस्था का उद्देश्य को हमारी सभी बहनें मिलकर पूर्ण करती है। हमें मानव सेवा के कार्यों को करने के साथ ही दीन दुखियों की सेवा करने तथा विभिन्न धार्मिक और राष्ट्रीय पर्वों के दौरान गरीबों के बीच पहुंच कर उन्हें वस्त्र, मिठाई एवं बच्चों को खिलोने देकर उनके चेहरे की खुशी देखकर हमें काफी संतुष्टि होती है। हमारी पहल सार्थक होती है, क्योंकि यह गरीब वर्ग अपने परिवार को जैसे तैसे लालन-पालन करता है,
वह परिवार को त्यौहारों पर मिठाई, कपड़े आदि नहीं दिला पाता है। हम उनकी इस चिंता को दूर करते हुए उन्हीं के साथ त्यौहार मनाते हैं। उक्त बातें नगर के सेमनरी रोड़ पर स्थित शांति सरोवर ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में इनरव्हील क्लब अध्यक्ष श्रीमती रीना राजेश शर्मा ने व्हीलचेयर सौंपते समय संबोधित करते हुए कहीं। श्रीमती शर्मा ने कुसुम दीदी को बताया कि पर्यावरण को सुधारने के लिए हमने पौधारोपण भी किया था।एक – एक पौधा सभी ने लगाकर संकल्प भी लिया था कि हम लगाएं गए पौधें की देखभाल कर उसे वृक्ष बनाएंगे। ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को शुद्ध आक्सीजन मिले।
शांति सरोवर आष्टा प्रभारी ब्रह्म कुमारी कुसुम दीदी ने कहा कि पहली बार कोई संस्था हमारे यहां व्हीलचेयर भेंट करने आई है। इनरव्हील क्लब एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है और ऐसी संस्था से अपने आष्टा की सक्रिय महिलाओं का जुड़ाव संस्था के उद्देश्य एवं थीम को शत-प्रतिशत पूर्ण करती होगी। कुसुम दीदी ने अपने संस्थान की गतिविधियों से इनरव्हील क्लब अध्यक्ष श्रीमती रीना शर्मा सहित टीम को अवगत कराया। सभी ने प्रतिज्ञा की कि हम अपने में दिव्य संस्कारों का सृजन करेंगे।इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी आश्रम की मृदुभाषी कुसुम दीदी, नीलिमा दीदी,इनरव्हील क्लब अध्यक्ष रीना राजेश शर्मा, सचिव सुनीता सोनी ,एडिटर श्रद्धा पालीवाल,जयश्री शर्मा,हेमलता सोनी,सुधा सेठिया आदि उपस्थित रही।
updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- भगवान के आप अनुयाई हो,आप भगवान के पीछे लगे हैं उनके जैसा बनने के लिए।क्रोध,मान, माया और लोभ यह चार कषाय मकड़ी के जाल की तरह जकड़ते है। मनुष्य पर्याय में ही सम्यकत्व धारण कर सकते हैं। पुण्य का फल मिलता है।जो व्यक्ति विभाव से स्वभाव की तरफ आते हैं। भगवान का कितना वैभव है कि उनके पीछे सारे सुख दौड़ते हैं। अनुयाई हमेशा भगवान की भक्ति में लीन रहते हैं। चर्या का पालन करते हुए भगवान हम आपके जैसे बन सकते हैं। किसी भी मंदिर की जलयात्रा निकले उसमें समाजजन को सारे काम छोड़ कर शामिल होना चाहिए।
सम्यक दर्शन के आठ अंगों को समझें। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। आपने कहा कि सिकंदर विश्व विजेता बनना चाहता था। अपनी 25 वर्ष की आयु में सबसे पहले अपने पिता की तलवार से हत्या की। 33 साल की आयु में सिकंदर की मौत हो गई।आठ साल के कार्यकाल में लाखों लोगों की हत्या की उसने। जब उसे मौत ने घेरा तो उसकी मां ने वैद्यराजों से कहा कि मेरे बेटे को बचा लो चाहे जितनी धन – संपत्ति ले लो,
लेकिन उसे नहीं बचाया जा सका तो सिकंदर ने कहा था कि मेरा जनाजा निकले तो मेरे दोनों हाथ जनाजे में बाहर निकाल कर रखें ताकि लोगों को पता चले कि व्यक्ति खाली हाथ आता है और खाली हाथी उसे जाना है। मुनिश्री ने बताया भारत की भूमि पर से सिकंदर अपने साथ कल्याण मुनि को लेकर पैदल गए,यूनान देश की सीमा पर पहुंचे।जीव दया का संदेश कल्याण मुनि ने मंत्री को दिए। व्यक्ति खाली हाथ आया है और खाली हाथ ही जाएगा। आपके साथ सिर्फ धर्म ही साथ जाएगा।हिंसा से रहित जैन धर्म है। गरीबों पर दया धर्म करें। आश्रय दान है ,गरीबों को कपड़े आदि देवें। हजारों बच्चों को अहिंसा धर्म का पालन आप लोगों द्वारा कराया गया।