updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- राजश्री प्राइवेट आईटीआई में विश्वकर्मा जयंती के उपलक्ष में भगवान विश्वकर्मा को याद किया गया। आईटीआई संचालक व मुख्य अतिथि द्वारा भगवान विश्वकर्मा के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया गया। भगवान विश्वकर्मा को सृजन का देवता माना गया है। भगवान विश्वकर्मा ही दुनिया के पहले शिल्पकार वास्तुकार और इंजीनियर थे। आज भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा विधि विधान से की जाती है। विश्वकर्मा पूजा को विश्वकर्मा जयंती और विश्वकर्मा दिवस के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार जहां एक तरफ ब्रह्मा जी ने इस संसार की रचना की वही भगवान विश्वकर्मा ने संसार को सुंदर बनाने का काम किया।

भगवान विश्वकर्मा ही थे जिन्होंने रावण की लंका, भगवान कृष्ण की द्वारिका और महाभारत काल के इंद्रप्रस्थ का निर्माण किया था। भगवान विश्वकर्मा जयंती अवसर पर भगवान विश्वकर्मा की पूजा अर्चना की गई साथ ही आईटीआई के समस्त उपकरणों व मशीनों की भी पूजा की गई। भगवान विश्वकर्मा जयंती कार्यक्रम में आईटीआई विद्यार्थियों के साथ संचालक श्री बीएस परमार, अर्जुन परमार, द्वारका प्रसाद कार्मोदिया, रविंद्र प्रजापति, मनोज कमलोदिया, राहुल सेन, प्रहलाद मेवाड़ा, सविता बैरागी, रामवती मेवाड़ा, पुष्पा मेवाड़ा, पूजा परमार, अखिलेश सक्सेना, भैयालाल वर्मा, पूजा मेवाड़ा, ममता तिवारी, कविता भूतिया, माया मेवाड़ा, हिमांशी झवर, रंजन परमार, बहादुर सिंह, रवि मेवाड़ा, अरविंद यादव, रीना यादव, व शिवराम परमार उपस्थित रहे।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- दसलक्षण धर्म का अंतिम दिवस ब्रह्मचर्य धर्म है।हमने अभी तक नव धर्म की आराधना की है, मतलब अभी हमने मंदिर बनाया है और यह दसवां धर्म उस कलश के समान है जिसके बिना मंदिर का शिखर शोभायमान नहीं होता है।जो ब्रह्म में लीन रहता है, वह ब्रह्मचारी होता है।जब परमाणु मात्र भी मेरा नहीं है ऐसा विचार आकिंचन धर्म का द्योतक है। ऐसे धर्म को अंगीकार करने के पश्चात ब्रह्मचर्य धर्म अंगीकार किया जा सकता है। उक्त बातें नगर के अरिहंत पुरम अलीपुर के श्री चंद्र प्रभ दिगंबर जैन मंदिर में मुनिश्री विनंद सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं।

मुनिश्री ने कहा शील बाड़ नौ राख ब्रह्म भाव अंतर लखो।जिस प्रकार खेत की सुरक्षा के लिए बाड़ लगाते है, उसी प्रकार जो व्यक्ति अपने जीवन में ब्रह्मचर्य के लिए नौ प्रकार की बाड़ लगाता है, वह व्यक्ति बुढ़ापे में भी वृद्ध नही होता है।ऐसी कथाएं जिनसे स्त्रियों के प्रति राग बढे उन कथाओं से हमारे आंतरिक ऊर्जा का ह्रास होता है। मुनिश्री ने कहा ब्रह्मचर्य महान शक्तियों का प्रयाण है सारे व्रतों का राजा कहा जाता है। यह शील व्रत हमें ऊंचाई पर ले जाता है। महान शक्ति का दाता, प्रखर बुद्धि देने वाला, तीव्र स्मरण शक्ति देने वाला होता है। ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने वाला जीव शरीर से बलिष्ठ होता है।

वर्तमान का कल्चर बहुत दूषित हो गया है। विकारों का प्रभाव बहुत ज्यादा है, इसका कारण गरिष्ट भोजन है, जो तामसिक विचारों का जनक होता है। यह तामसिकता हमारी चर्या को प्रभावित करती है। इन विकारों के कारण मनुष्य निरंतर पाप प्रवृत्ति करता है। मुनिश्री विनंद सागर महाराज ने कहा मोबाइल का अत्यधिक उपयोग, सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग हमारी मानसिकता को प्रभावित करने वाला होता है। आज की युवा पीढ़ी इस भंवर में इस प्रकार फंस चुकी है, उन्हें इससे केवल यह शील व्रत ब्रह्मचर्य धर्म ही बचा सकता है। खानपान के प्रति गृद्धता इन विकारों को उत्पन्न करती है। अतः सात्विक भोजन करके ब्रह्मचर्य धर्म को अंगीकार करके अपने जीवन का कल्याण करना चाहिए।

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