updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री श्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने जिले के कोठरी स्थित ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया। उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में संचालित होने वाली सेवाओं और सुविधाओं की जानकारी ली। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये कि लोगो को उच्च कोटि की चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करायी जाये। बदलते मौसम में जल जनित बिमारियों से बचाव के प्रबंध सुनिश्चित किए जाये। उन्होने निर्देश दिये कि जल जनित बिमारियों से प्रभावित लोगो को अभियान चलाकर चिन्हित कर उनका इलाज किया जाय तथा मरीजों को उचित इलाज मिले यह सुनिश्चित किया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य केंद्र में सभी आवश्यक व्यवस्थाएं दवाएं आदि पहले से सुनिश्चि कर ली जाएं ताकि मरीजों किसी प्रकार परेशानी का सामना न करना पड़े।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- भगवान के अनेक गुण हैं, लेकिन शांत रहना, समदर्शी, विनम्रता और निम्रलता आदि गुणों को श्रद्धालु ले लें, तो भगवान की प्राप्ति हो सकती है। आपके जीवन में जब भी असफलता और निराश आए, तो भगवान पर भरोसा करना वह आपको कामयाबी दिलाएगा। भगवान की आराधना करने वाला भक्त कभी दुखी नहीं रहता है। उक्त विचार शहर के बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल धर्मशाला में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के तीसरे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडि़त प्रदीप मिश्रा ने कहे। शनिवार कथा के दौरान भगवान शिव के अनेक प्रसंग के अलावा वामन अवतार और भक्त ध्रुव की भक्ति के बारे में विस्तार से वर्णन किया।
वहीं शाम को विठलेश सेवा समिति के तत्वाधान में यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को करीब दो क्विंटल से अधिक फलहारी खिचडी का वितरण किया। कथा का श्रवण करने के लिए शहर ही नहीं देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आ रहे है और कथा स्थल के दर्शन और कथा का श्रवण कर रहे है। पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि भगवान का स्मरण हर पल करना चाहिए। आधुनिक दौर में लोगों के पास समय बहुत है, लेकिन फिर भी वे समय न होने का बहाना बहाते हैं और मंदिर में दर्शन करने जाने अथवा सत्संग सुनने के लिए समय नहीं निकाल पाते। कहते हैं कि बुढ़ापे में जब समय होगा, तब भक्ति करेंगे। अरे, जब चलने-फिरने की उम्र है, तब भक्ति नहीं हो रही है तो बुढ़ापे में जब हाथ-पैर कांपने लगेंगे, तब क्या भक्ति कर पाओगे, भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती है।
हमें प्रहलाद और ध्रुव से भक्ति करने का गुण सीखना चाहिए। कम उम्र में कठोर तपस्या करके दोनों भक्तों ने भगवान की गोद में जगह पाई। भगवान को तभी याद करते हैं, जब वे मुसीबत में होते हैं उन्होंने कहा कि भगवान को तभी याद करते हैं, जब वे मुसीबत में होते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। भगवान की भक्ति हर पल करनी चाहिए। दुख में ही नहीं, सुख के दिनों में भी प्रार्थना करनी चाहिए। भक्त के भाव पवित्र होना चाहिए, तभी भगवान की कृपा मिल सकती है। भक्ति कैसी होनी चाहिए, ये हम भक्त ध्रुव की कथा से समझ सकते हैं। भागवत में भक्त ध्रुव की कथा आती है। ध्रुव के पिता की दो पत्नियां थीं। पिता को अपनी दूसरी पत्नी से अधिक प्रेम था, जो कि ज्यादा सुंदर थी। उसी से पैदा हुए पुत्र से ज्यादा स्नेह भी था। एक दिन एक सभा के दौरान ध्रुव अपने पिता की गोद में बैठने के लिए आगे बढ़ा तो सौतेली मां ने उसे रोक दिया।
उस समय ध्रुव पांच साल का ही था। वह रोने लगा। सौतेली मां ने कहा जा जाकर भगवान की गोद में बैठ जा। इसके बाद ध्रुव ने अपनी मां के पास जाकर पूछा कि मां भगवान कैसे मिलेंगे, मां ने जवाब दिया कि इसके लिए तो जंगल में जाकर घोर तपस्या करनी पड़ेगी। बालक ध्रुव ने जिद पकड़ ली कि अब भगवान की गोद में ही बैठना है। वह जंगल की ओर निकल पड़ा और भगवान को अपनी तपस्या के बल पर प्राप्त किया। घास के तिनके का बताया रहस्य- पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि भगवान श्री राम का विवाह मां सीता के साथ हुआ, तब सीता का बड़े आदर सत्कार के साथ गृह प्रवेश भी हुआ। बहुत उत्सव मनाया गया। प्रथानुसार नव वधू विवाह पश्चात जब ससुराल आती है तो उसके हाथ से कुछ मीठा पकवान बनवाया जाता है, ताकि जीवन भर घर में मिठास बनी रहे।
इसलिए माँ सीता जी ने उस दिन अपने हाथों से घर पर खीर बनाई और समस्त परिवार, राजा दशरथ एवं तीनों रानियों सहित चारों भाईयों और ऋषि संत भी भोजन पर आमंत्रित थे। मां सीता ने सभी को खीर परोसना शुरू किया, और भोजन शुरू होने ही वाला था की ज़ोर से एक हवा का झोका आया। सभी ने अपनी अपनी पत्तलें संभाली, सीता बड़े गौर से सब देख रही थी। ठीक उसी समय राजा दशरथ की खीर पर एक छोटा सा घास का तिनका गिर गया, जिसे मां सीता ने देख लिया। लेकिन अब खीर मे हाथ कैसे डालें, ये प्रश्न आ गया। माँ सीता ने दूर से ही उस तिनके को घूर कर देखा वो जल कर राख की एक छोटी सी बिंदु बनकर रह गया। सीता ने सोचा अच्छा हुआ किसी ने नहीं देखा। लेकिन राजा दशरथ मां सीता के इस चमत्कार को देख रहे थे।
फिर भी दशरथ चुप रहे और अपने कक्ष पहुचकर मां सीता को बुलवाया। फिर उन्होंने सीताजी से कहा कि मैंने आज भोजन के समय आप के चमत्कार को देख लिया था। आप साक्षात जगत जननी स्वरूपा हैं, लेकिन एक बात आप मेरी जरूर याद रखना और वचन दो कि आपने जिस नजर से आज उस तिनके को देखा था उस नजर से आप अपने शत्रु को भी कभी मत देखना। इसीलिए मां सीता के सामने जब भी रावण आता था तो वो उस घास के तिनके को उठाकर राजा दशरथ की बात याद कर लेती थी। आज मनाया जाएगा भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव- अग्रवाल महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती ज्योति अग्रवाल ने बताया कि रविवार को भगवात कथा के चौथे दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाएगा और झांकी भी सजाई जाएगी।