updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- दिनांक 4 सितंबर 2024 दिन बुधवार को आष्टा नगर के कन्नौद रोड स्थित शीतल स्वीट्स पर स्वर्णकार वूमेंस वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा शिक्षक सम्मान समारोह आयोजित किया गया। फाउंडेशन की पदाधिकारी गण की ओर से श्रीमती शीतल जी श्रीमती रश्मि जी द्वारा शिक्षिका श्रीमती बबीता जी एवं श्रीमती कविता जी का शिक्षक के रूप में सम्मान किया गया। डॉ राधाकृष्णन जी के जन्म दिवस को प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते है, भाव है कि शिक्षक द्वारा दी जाने वाली शिक्षा ही

हमारे समाज के उत्कर्ष की नींव है अतः हमें उनका आभारी होना चाहिए। इस अवसर पर फाउंडेशन की सभी बहने श्रीमती रानी, श्रीमती नीलम , श्रीमती मधुजी, श्रीमती सुनीता जी, ज्योति जी, सोनिया जी, संगीता जी, ज्योति जी, वीना जी ,सुनीता जी, माया जी, भगवती जी, रिना जी, ललिता जी, मंजू जी, तृप्ति जी, रवीना जी, कंचन जी, सोनू जी, अनीता जी, संगीता जी, गायत्री जी, बबीता जी निर्मला जी आदि उपस्थित रहे। फाउंडेशन की ओर से सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। अध्यक्ष श्रीमती सविता जी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

झुकने से व्यक्ति ऊंचा उठता है, जो नमता है वह भगवान को भी जमता है, अपने माता-पिता और बुजुर्गो के नित्य करें चरण स्पर्श

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- जो प्रतिमाएं जितनी पुरानी होगी उनसे उतनी ही अधिक एनर्जी मिलती है। झुकने से व्यक्ति ऊंचा उठता है ,जो नमता है वह भगवान को भी जमता है। अपने माता-पिता और बुजुर्गो के नित्य चरण स्पर्श करें।संकटों को हरने वाले भगवान है। किला मंदिर में मूल नायक पार्श्वनाथ भगवान एवं बड़े बाबा आदिनाथ भगवान की प्रतिमा को उचित स्थान पर विराजमान करें।भगवान के अभिषेक का बहुत महत्व है। नियमित और निमित्त से अभिषेक करते हैं।

बच्चे को सबसे पहले जिस दिन मंदिर ले जाकर भगवान के दर्शन कराने वाले दिन को याद रखना चाहिए, उस दिन को कभी भी भूले नहीं। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। आपने कहा भगवान मंगलकारी है। भगवान के प्रतिहार्य की क्या आवश्यकता है। भगवान के अष्ट प्रातिहार्य को चढ़ाने का महत्व है,यह मंगल स्वरुप है। जिनेंद्र भगवान तो मंगल स्वरुप है ही।

जैन दर्शन की एक एक क्रिया बहुत महत्वपूर्ण है। आवश्यकता है हम विधि अनुसार करें।जो व्यक्ति बाहर और अंदर जितना निर्मल होगा वह उतना ही प्रभावशाली रहेगा। देव, शास्त्र और गुरु भी मंगलकारी है, इनमें अपार शक्ति है।इनका सदुपयोग करें, दुरुपयोग नहीं करें। मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने कहा दो प्रकार के मंगल एक लौकिक और दूसरी धार्मिक। मंगलकारी अर्थात जिनेंद्र भगवान के सबसे पहले दर्शन करने से आपका दिन भी अच्छा जाता है। मां कभी भी अमंगल कारी नहीं होती है,वह मंगलकारी है उनका आशीर्वाद लेकर ही अपने काम करें। पुरुष भगवान के अभिषेक पूजा-अर्चना के लिए धोती दुपट्टा पहनकर जाएं तो वह भी मंगलकारी हो जाता है।

पाश्चात्य संस्कृति में हम अच्छी परम्पराओं को भूलते जा रहे हैं। पूजन घरों में नहीं मंदिर में ही होती है। वास्तु हर वस्तु में है।आठ वर्ष के पहले सम्यकदर्शन नहीं आता है। बाल्यकाल में दिए गए संस्कार ही बच्चे की जिंदगी बनाते हैं। बच्चे के टेम्पल डे को याद रखें। मुनि गण अपने दीक्षा दिवस को भूले नहीं। जीवन का सबसे अच्छा दिन मानते हो उस दिन बुरा काम नहीं करें। होटल में नहीं जाएं, भगवान की आराधना ,पूजा -अर्चना करे। अदभूत पल अच्छे लोगों के साथ करें , भगवान की आराधना करे।जो दिन अच्छा मानते हैं उस दिन बुरे काम नहीं करें। जिनके हाथों में भगवान के अभिषेक के लिए कलश रहता है, उसके हाथों में कभी भी शराब की बोतल नहीं आएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed

error: Content is protected !!