updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- आजकल इस परिवेश में बच्चे पढ़ लिख कर माता-पिता से दूर नौकरी के लिए चले जाते हैं और वही बस जाते हैं ।यह सुखाभाष तो है कि मेरा बच्चा इतना धन संग्रहित कर रहा है, किंतु आवश्यकता पड़ने पर उसके पास ना होना ,यह दुख का कारण है। आज-कल माता-पिता को बच्चों के प्रति संवाद स्थापित करके उनके जीवन के प्रति सजग रहना चाहिए कि आपका पुत्र क्या कर रहा है, कहां जा रहा है इस पर आपको नजर रखना चाहिए। सुख देने वाला वही है, जो साथ में रह रहा है। चाहे वह कम धन कमा रहा हो
जो व्यक्ति जीवन में धन को प्रमुखता देता है, संबंधों को प्रमुखता नहीं देता वह व्यक्ति कभी सुखी नहीं रह सकता।
उक्त बातें नगर के अरिहंत पुरम अलीपुर के श्री चंद्र प्रभ दिगंबर जैन मंदिर में चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री विनंद सागर महाराज ने 48 दिवसीय श्री भक्तांबर विधान के अवसर पर कहीं।कहां भी है
कि धन लक्ष्मी और सम्पदा पापी के भी होय,संत समागम ,प्रभु भजन तुलसी दुर्लभ दोय।स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का वास होता है और स्वस्थ मन स्वस्थ विचारों को ही उत्पन्न करता है। यही दृढ़ता धरने में हमें सहायक होता है। मुनिश्री ने कहा कार्य के एवं लक्ष्य के प्रति दृढ़ता ही सफलता की कुंजी है ।इसलिए प्रति दिन हमें योग अवश्य करना चाहिए, जो शरीर को स्वस्थ रखने के लिए मुनिश्री विनंद सागर जी महाराज ने योग के कुछ सूत्र भी बताएं।
मुनि श्री ने भक्तांबर महामंडल विधान के 31 वें दिन तीसवें काव्य का शुद्ध उच्चारण करवाया एवं काव्य के फल में मुनिराज ने कहा कि यह मुठ,बंधन,भूत प्रेत आदि शत्रुओं को शांत करने वाला है। हम इस छंद के माध्यम से ऐसे मुनिराज जो घोर गुणों के धारी हैं, उनकी आराधना करते हैं, ऐसे रिद्धिधारी मुनिराज जो हिंसा परिग्रह आदि को रोकने में सक्षम होते हैं ।जब हम भगवान के गुणों को प्राप्त करने का पुरुषार्थ करते हैं ,तब यह रिद्धि हमें प्राप्त होती है।ऐसे दुख, पीड़ा जिनेंद्र भगवान के दर्शन मात्र से उनके आशीष से स्वतः ही कट जाते हैं, भव-भव के पातक कट जाते हैं ।हमें प्रयोजन युक्त कार्य करना चाहिए, निष्प्रयोजन कार्य अनर्थ दंड कहलाता है।
ऐसे कार्य समय एवं हमारे पुरुषार्थ को व्यर्थ कर देता है, जबकि प्रयोजन युक्त कार्य हमें सार्थक फल प्रदान करता है ।जिनेंद्र भगवान के गुणों का गान करना, पूजा करना प्रयोजनी कार्य है। इस शुभ क्रिया के पूर्व हमें विचार करना चाहिए कि हम यह पूजा भक्ति अपने गुणों के विकास के लिए कर रहे हैं। ऐसे देव जिन्होंने अपने गुणों का संपूर्ण विकास कर लिया है ,उनके गुणों की आराधना ही हमारे गुणों को विकसित करती है। श्लोक के अर्थ में मुनिश्री ने कहा कि है भगवान आपका स्वर्णमयी शरीर 64 चंवरो से इस प्रकार शोभित हो रहा है जैसे सुमेरु पर्वत से चांदनी रात में निर्मल जल की धारा बह रही हो।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं की सहायता के लिए मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस योजना के तहत महिलाओं को प्रतिमाह एक हजार दो सौ पचास रूपये की राशि सीधे उनके बैंक खाते में हस्तांतरित की जा रही है। जिसे महिलाएं अपनी आवश्यकतानुसार खर्च कर रही है। सीहोर निवासी श्रीमती रचना ठाकुर भी लाड़ली बहना योजना से लाभान्वित महिलाओं में से एक है।
श्रीमती रचना बतातीं हैं कि लाड़ली बहना योजना से मुझे जो राशि मिली है, उसे मैं अपने बच्चों एवं परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने में उपयोग कर रही हूं। श्रीमती रचना कहतीं हैं कि अब मुझे अपने छोटे-मोटे खर्चों के लिए किसी से पैसे नही मांगने पड़ते। उन्होंनें बताया कि लाड़ली बहना योजना के तहत मिलने वाली राशि मेरे लिए बहुत ही मददगार साबित हो रही है। लाड़ली बहना योजना के लिए श्रीमती रचना ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव एवं प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया है।