updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहा कि कल्याण मंदिर स्तोत्र की चर्चा चल रही है ,जिसमें आप सभी डूबे हुए हैं। कल्याण से तात्पर्य उपकार, परहित सहित अनेक शब्दों को लिए हुए है। आचार्य कुमुद चंद्र महाराज ने हर बात को स्पष्ट रूप से समझाया है।कल्याण के लिए कल्याण के पथ पर अग्रसर होना पड़ेगा।

मार्ग मार्ग है मंजिल नहीं, बिना मार्ग के मंजिल की प्राप्ति नहीं होती।समय गतिमान है,समय का सदुपयोग करें।हम अपने आराध्य, देव शास्त्र गुरु आदि पर निष्ठावान नहीं बन पा रहे हैं।अपने विश्वास को सुदृढ़ करें, अरिहंतों ने मार्ग प्रशस्त किया है। मुनिश्री ने कहा कभी अपने आपसे प्रश्न किया करें।जग जीत के कल्याण की बात तो दूर आप अपना ही कल्याण नहीं कर पा रहे हैं,देव, शास्त्र और गुरु के प्रति आस्था की कमी है।आगम की आज्ञानुसार साल में एक बार अनुबंध चातुर्मास हेतु होता है,हम चार महीने के लिए परतंत्र हो जाते हैं,उसके अलावा हम स्वतंत्र है। निष्ठा और आत्मविश्वास की कमी लोगों में है। सभी का कल्याण तो होगा, लेकिन समय लगेगा।

आज की जीवनशैली में समय की कीमत नहीं है।आज व्यक्ति स्वयं के साथ धोखा कर रहा हैं। अवसर पुण्य कमाने के लिए मिला, गंवाने के लिए नहीं,इस दुर्लभ मनुष्य पर्याय का सदुपयोग करें। मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने कहा कि कल्याणों का मंदिर है ,मार्ग मिला है,पर समय पर मंदिर नहीं जा रहे हैं,क्योंकि अनेक लोगों की नींद ही नहीं खुलती है ।आजकल लोग अपने बच्चों के यूनिक नाम रख रहे हैं,जिनका कोई औचित्य नहीं।हम कहां जा रहे हैं, कहा हमारी आस्था है। संसार चक्र में जीवन बीता रहें हैं ,जबकि स्वयं का कल्याण करने के लिए जीवन मिला है। आदिनाथ, पार्श्वनाथ, महावीर भगवान ने अपने लक्ष्य को प्राप्त किया।

धर्म ध्वजा लेकर चल रहे हैं। अपने लक्ष्य की ओर चलते रहिए। अपने अंतरंग के शब्दों की माला बनाई आचार्य कुमुद चंद्र महाराज ने। आपके गुणों को चंद शब्दों मे पिरो रहा हूं भगवान आपके जैसा बनने के लिए,आपके गुणों को प्राप्त करना चाहते हैं। मुनिश्री ने कहा भगवान और गुरु की भक्ति, स्तुति में बावले बन जाएं, लेकिन जब अंधकार आता है तो टिमटिमाते दीपक उससे संघर्ष कर अपनी क्षमता अनुसार उक्त स्थान पर रोशनी फैलाता है। गुणवान और गुणों की खान, हमारे पथ प्रदर्शक थे हमारे आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज।

गुरुदेव के जबाब लाजवाब होते हैं।जिनको हम आदर्श बनाकर जी रहे हैं, उन्हें कभी भूल ही नहीं सकते हैं। स्व की ओर आना है। प्राणी मात्र के प्रति कल्याण की भावना तीर्थंकर भव का बंध कराती है। यह भी संयोग- मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज की आहार के दौरान विधि नहीं मिलने पर समाज जन के साथ जब अलीपुर पहुंचे तो अरिहंत पुरम अलीपुर श्री चंद्र प्रभ मंदिर व्यवस्था समिति अध्यक्ष धर्मेंद्र जैन अमलाह वाले के यहां आपकी विधि मिली और वहां आहार करने के पश्चात मंदिर में दर्शन हेतु मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज पहुंचे तो वहां पर मुनिश्री विनंद सागर महाराज मिले, दोनों ने आपस में आत्मीयता से मिले और प्रणाम कर कुशलक्षेम पूछी।

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