updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- कपड़ा एवं रेडीमेड व्यापारी संघ द्वारा 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस का राष्ट्रीय पर्व बहुत धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया सर्वप्रथम बड़ा बाजार में गणेश मंदिर के सामने कपड़ा एवं रेडीमेड व्यापारी संघ के अध्यक्ष आलोक आर्य द्वारा ध्वजारोहण किया गया सभी उपस्थित व्यापारी भाइयों को तिलक लगाया गया एवं लड्डू वितरण किया गया कार्यक्रम में व्यापारियों की महिती उपस्थिति रही तत्पश्चात नगर के प्रमुख मार्गो से एक विशाल तिरंगा रैली निकाली गई।

रैली के दौरान व्यापारी भाई भारत माता की जय एवं वंदे मातरम के नारे लगाते हुए चल रहे थे सर पर तिरंगा टोपी एवं एवं गले में तिरंगा पट्टी एवं हाथ में तिरंगा झंडा थामे हुए व्यापारी भाई रैली को भव्यता प्रदान कर रहे थे तिरंगा रैली का समापन बुधवारा स्थित ताम्रकार धर्मशाला पर हुआ कार्यक्रम स्थल पर संघ के संरक्षक गण श्री बाबूलाल जी आर्य श्री सुरेश जी नामदेव श्री प्रेम नारायण जी जायसवाल श्री मनोहर जी जायसवाल श्री बाबूलाल जी टेलर श्री नरेंद्र जी परमार श्री महेश प्रताप सिंह एवं अतिथिगण श्री पंकज जी राठी श्री नरेंद्र जी कुशवाह पत्रकार बंधु श्री राजीव जी गुप्ता श्री संजय जी जोशी श्री कमल जी पांचाल एवं

श्री धनंजय जी जाट का स्वागत संघ के सदस्य द्वारा फूल माला एवं प्रतीक चिन्ह द्वारा किया गया कार्यक्रम में झंडा वंदन के दौरान उपस्थित हुए व्यापारी भाइयों को ड्रॉ द्वारा पुरस्कार बांटे गए उसके उपरांत स्वल्पाहार का कार्यक्रम रखा गया जिसकी पूरी व्यवस्था की कमान श्री देवानंद जी भोजवानी ने संभाल रखी थी अंत मैं आभार अध्यक्ष आलोक आर्य द्वारा किया गया कार्यक्रम को सफल बनाने में संघ के संयोजक श्री देवानंद जी भोजवानी श्री मनोज जी साहू श्री बसंत जी सुराणा श्री ललित जी परमार श्री राहुल जी राठौड़ सुरेंद्र जी पोरवाल विनय जी आर्य श्री दिनेश जैन आदि का सहयोग महत्वपूर्ण रहा।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- ‘‘घर घर तिरंगा हर घर तिरंगा’’ के अन्तगर्त शहीद भगतसिंह शासकीय स्नातक महाविद्यालय आष्टा कि विद्याथिर्यों एवं स्टाॅफ के द्वारा विशाल तिरंगा यात्रा निकाली गयी। यात्रा महाविद्यालय से प्रारंभ होकर कन्नौद रोड़ से होकर पुनः महाविद्यालय में पहुँची। विद्याथिर्यों में अत्यंत उत्साह दिखाई दिया। भारत माता की जय के नारो से वातावरण गूँज उठा। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डाॅ.पुष्पलता मिश्रा ने संबोधित करते हुए कहा कि कल हम आजादी की 78वीं सालगिरह मनायेंगे।

ये आजादी हमें शहीदों के बलिदान एवं अथक परिश्रम के बाद मिली है। आप सभी शहीदों के बारे में उनके संघर्षों के बारे में पढ़े तभी हम आजादी के महत्व को समझ पायेंगे। कायर्क्रम प्रभारी डाॅ.ललिता राय श्रीवास्तव ने बताया कि तिरंग यात्रा हमारे द्वार इसलिये निकाली गयी कि हम जाने की ये तिरंगा हमारे देश की शान है हम इसे हमेशा इसी तरह सबसे ऊँचा रखना है। हम सभी को अपने-अपने घरों पर तिरंगा लहराना है और तिरंगे के साथ आपको सेल्फी लेना है। तिरंगे के साथ हमारी फोटो को देखकर हमें स्वयं गवर् की अनुभूति होगी। तिरंगा यात्रा के पश्चात् राष्ट्रध्वज का वितरण किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त स्टाॅफ ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- संसार की क्रिया भले ही छूट जाएं ,धर्म आराधना मत छोड़ना।पाप की क्रिया में साथ हो तो धर्म में भी साथ दो। धर्म की क्रिया को समझें। परम्पराओं को आड में रखकर समाज के लिए धर्म के कार्य को नहीं रोके। कर्म बंध हंसते हंसते बांधते हो, और फल रोते- रोते भोगते हों। पंचम काल में मोक्ष नहीं। आगम की परम्परा चलेगी। व्यक्तिगत परम्परा नहीं चलेगी। दिगंबर साधु कभी भी किसी का अहित नहीं करते हैं। देश के लिए भी दिगंबर साधु आगे आते हैं।जब भी आराध्य की भक्ति करें तो स्व की भक्ति करें अर्थात स्वयं करें और कहे कि शब्द प्रभु आपके है लेकिन भाव मेरे है, भक्ति में सभ्यता होती है।

उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। आपने कहा कि भगवान बनने की आप सभी में शक्ति है। भगवान की देशना में सब-कुछ है। जो जितना बड़ा ज्ञानी है, वह गुरु के पास अज्ञानी बनकर जाएं।समर्पण कभी मिटने वाला नहीं है। हर व्यक्ति अपनी- अपनी भाषा में भगवान की भक्ति करते हैं। संकट के दौरान भगवान और गुरु पर श्रद्धान बढ़ रहा है तो वह सम्यकदृष्टि है।

आज स्थिति विपरीत है। लोगों का संकट के समय भगवान और गुरु से श्रद्धान कम होता जाता है।मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने कहा कि हम भक्तों की पैरवी करते हैं।आपकी बात को भगवान तक रघुनंदन अर्थात मुनि महाराज पहुंचाते हैं। श्रीराम को वनवास हुआ, बिना गलती के, उन्होंने पिता की आज्ञा को स्वीकार कर वन में गए। रावण ने जीवन में पाप ही पाप किया लेकिन उसके पास सोने की लंका थी।धर्मात्मा के जीवन में संकट ही संकट आता है ।अंत अच्छा निकलना चाहिए। पूर्व जन्म में किए गए कृत्य के कारण ही संकट आता है। संकट में सम्यकदृष्टि की श्रद्धा बढ़ती ही जाती है। दीपावली के दिन श्री राम वनवास व्यतीत कर अयोध्या आएं थे और भगवान महावीर स्वामी मोक्ष गए थे।

मुनिश्री ने कहा एक पक्षीय काम नहीं होना चाहिए। धर्म की क्रिया बंद मत करो, अगर धर्म की क्रिया बंद करते हो तो पाप की क्रिया को भी बंद करें। भगवान को मानते हैं ,लेकिन उनकी बातों को नहीं मानते हैं।धर्म की क्रिया को नहीं छोड़ना चाहिए।कितनी भी प्रतिकूलता हो धर्म नहीं छोड़ना चाहिए। सीता सती जंगल में गई, श्री राम के साथ वनवास गई। भारतीय नारी थी सीता जिसने श्री राम को खबर कराई थी कि किसी के कहने पर मुझे छोड़ा, लेकिन धर्म मत छोड़ना।साधु को परम्परा मत बताना, मैना सुंदरी ने पति श्रीपाल से पूछा कि तुम्हें भगवान से कोई घृणा तो नहीं। उन्होंने कहा मैं इस रोग के कारण भगवान के अभिषेक नहीं कर पा रहा , मुनिश्री को आहार नहीं दे पाया,यह मेरा सबसे अशुभ दिन है।

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