updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातक महाविद्यालय आष्टा के स्वामी विवेकानंद मागर्दशर्न प्रकोष्ठ द्वारा महाविद्यालय में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक एवं महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती मनाई गई। कायर्क्रम प्रभारी डाॅ. बेला सुराणा ने स्वागत भाषण से कायर्क्रम का शुभारंभ किया। वाणिज्य विभाग प्रभारी डाॅ. दीपेश पाठक ने लोकमान्य तिलक के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जन्म 23 जुलाई 1856 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

भारत के स्वाधीनता संग्राम के विषय में इन्होंने स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे, का नारा दिया। इन्होंने ब्रिटिश हुकूमत की नींव को हिला कर रख दिया। देश इन्हें एक महान राजनैतिक, कुशल शिक्षाशास्त्री और महान देशभक्त के रूप में सदैव याद करता रहेगा। रसायन विभाग प्रभारी डाॅ. रचना श्रीवास्तव ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के भावरा में हुआ था। अपनी क्रांतिकारी विचारधारा के कारण ये अंग्रेजी सरकार की नजरों में खटकने लगे थे।

27 फरवरी 1931 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पाकर् में अंग्रेजों का सामना करते हुए ये वीरगति को प्राप्त हुए। देश के लिए जीना और देश के लिए मरना ही उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्य था। हमें भी उनके जीवन आदशोंर् पर चलना चाहिए। विवेकानंद प्रकोष्ठ सहप्रभारी वैभव सुराणा ने तिलक व आजाद के व्यक्तित्व से विद्याथिर्यों को प्रेरणा लेने की बात कही। महाविद्यालय के विधार्थी अनिकेत आवले ,सलोनी सांवरिया आदि विद्याथिर्यों द्वारा भी अपने विचार व्यक्त किए गए। कायर्क्रम का संचालन व आभार डाॅ. बेला सुराणा द्वारा किया गया।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातक महाविद्यालय, आष्टा में आज दिनांक 22/07/2024 को मध्यप्रदेश शासन के आदेशानुसार द्वितीय दिवस गुरूपूणिर्मा महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बोलेते हुए डाॅ. दीपेश पाठक वाणिज्य विभाग ने जीवन में गुरू तत्व का महत्व बताते हुए कहा कि गुरू एक व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व है। जीवन में व्यवहारिक शिक्षा प्रदान करने वाले भी हमारे गुरू है अतः गुरू का सम्मान करें उनका विस्वास पात्र बने तब हम जीवन में कुछ सीख पायेंगे।

हमारे जीवन में प्रज्ञा एवं श्रद्धा की दो धाराएं अनवरत एक साथ चलती है इसलिये जो प्रज्ञावान है हम उनका भी सम्मान करें और जो श्रद्धावान है वह भी हमारी धरोहर है, गुरू पूणिर्मा प्रज्ञावान एवं श्रद्धावान दोनों के पुनजार्गरण का दिवस है। महाविद्यालय की प्राचार्य डाॅ. पुष्पलता मिश्रा ने अपने उद्बोधन में सवर्प्रथम महाविद्यालय की दैनिक गतिविधियों जिनमें प्राथर्ना, मध्यप्रदेश गान के पश्चात नवाचार में सुविचार एवं सामान्य ज्ञान के प्रश्नोत्तर आदि से विद्याथिर्यों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि जीवन में सवर्प्रथम गुरू ’’मां’’ को बताया जो प्रारंभ से बच्चों को अच्छे संस्कारों से सिंचित करती है।

यदि बच्चे कुछ गलत करतें है तो वह उसे रोकती भी है। जीवन के हर क्षेत्र में गुरू का महत्व है। शिक्षण संस्थाओं के शिक्षक भी हमारे गुरू हैं जो जीवन में व्यवहारिक शिक्षण के साथ ही नैतिक मुल्य एवं सदाचारों का बीजारोपण करतें है। हम गुरू के चरणों को छू कर आशिवार्द लेते है इसके आध्यात्मिक एवं चिकित्सिय प्रभाव भी है। यदि हम गुरू के चरणों में झुकतें है तो सदा हमें आशिवार्द मिलता है एवं हमारा ब्लड सकुर्लेशन भी सही रहता है। विद्यार्थी शिक्षकों से हमेशा नमतार् से पेश आएं एवं गुरूजनों का सम्मान करें।

आज के इस कायर्क्रम के दौरान महाविद्यालय में पूर्व में सम्पन्न एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार ’’शिक्षण अधिगम एवं मूल्यांकन पद्धति में सुधार’’ पर संपादित स्मारिका का विमोचन महाविद्यालय की प्राचार्य डाॅ. पुष्पलता मिश्रा द्वारा किया गया। कायर्क्रम का संचालन डाॅ. बेला सुराणा राजनीति विज्ञान विभाग ने किया। आज के इस कायर्क्रम में डाॅ. अबेका खरे, डाॅ. रचना श्रीवास्तव, डाॅ. कृपाल विश्वकर्मा, डाॅ. ललिता राय, श्री जगदीश नागले, श्री वैभव सुराणा, श्री विनोद पुष्प सहित विद्यार्थी उपस्थित रहे। कायर्क्रम के अंत में आभार श्री जगदीश नागले द्वारा किया गया

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