updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- भगवान गणेश रिद्धि सिद्धि के विवाह की कथा सुनने से हमारा दांपत्य जीवन सुखी रहता है। भक्ति में दिखावा मत करो भोले बाबा दिखावा आडंबर से प्रसन्न नहीं होते। उनकी भक्ति पाने के लिए निर्मल मन समर्पण भाव की जरूरत होती है। शिवजी को प्रसन्न करने के लिए दिल से भक्ति करो। भगवान गणेश बुद्धि के देवता है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं
कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी पांच दिवसीय शिव महापुराण में अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के पुत्र कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा महाराज ने कहे। गुरुवार को भगवान गणेश के विवाहोत्सव प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भगवान गणेश ने अपने माता-पिता की परिक्रमा करके शिव पार्वती को प्रसन्न किया। क्योंकि माता पिता ही ईश्वर का रूप है, जो माता पिता की सेवा से दूर रहता है। उन्हें शिव से मिलने की भक्ति करने की जरूरत नहीं है।
शिव महापुराण के दौरान तारकासुर के पुत्रों का वर्णन
चौथे दिन कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि शिवपुराण के अनुसार, दैत्य तारकासुर के तीन पुत्र थे, तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली। जब भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध कर दिया तो उसके पुत्रों को बहुत दु:ख हुआ। उन्होंने देवताओं से बदला लेने के लिए घोर तपस्या कर ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया। जब ब्रह्माजी प्रकट हुए तो उन्होंने अमर होने का वरदान मांगा, लेकिन ब्रह्माजी ने उन्हें इसके अलावा कोई दूसरा वरदान मांगने के लिए कहा। तब उन तीनों ने ब्रह्माजी से कहा कि-
आप हमारे लिए तीन नगरों का निर्माण करवाईए। हम इन नगरों में बैठकर सारी पृथ्वी पर आकाश मार्ग से घूमते रहें। एक हजार साल बाद हम एक जगह मिलें। उस समय जब हमारे तीनों पुर (नगर) मिलकर एक हो जाएं, तो जो देवता उन्हें एक ही बाण से नष्ट कर सके, वही हमारी मृत्यु का कारण हो। ब्रह्माजी ने उन्हें ये वरदान दे दिया। ब्रह्माजी का वरदान पाकर तारकाक्ष, कमलाक्ष व विद्युन्माली बहुत प्रसन्न हुए। ब्रह्माजी के कहने पर मयदानव ने उनके लिए तीन नगरों का निर्माण किया। उनमें से एक सोने का, एक चांदी का व एक लोहे का था।
सोने का नगर तारकाक्ष का था, चांदी का कमलाक्ष का व लोहे का विद्युन्माली का। अपने पराक्रम से इन तीनों ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया। इन दैत्यों से घबराकर इंद्र आदि सभी देवता भगवान शंकर की शरण में गए। देवताओं की बात सुनकर भगवान शिव त्रिपुरों का नाश करने के लिए तैयार हो गए। विश्वकर्मा ने भगवान शिव के लिए एक दिव्य रथ का निर्माण किया। चंद्रमा व सूर्य उसके पहिए बने, इंद्र, वरुण, यम और कुबेर आदि लोकपाल उस रथ के घोड़े बने। हिमालय धनुष बने और शेषनाग उसकी प्रत्यंचा। स्वयं भगवान विष्णु बाण तथा अग्निदेव उसकी नोक बने।
उस दिव्य रथ पर सवार होकर जब भगवान शिव त्रिपुरों का नाश करने के लिए चले तो दैत्यों में हाहाकर मच गया। दैत्यों व देवताओं में भयंकर युद्ध छिड़ गया। जैसे ही त्रिपुर एक सीध में आए, भगवान शिव ने दिव्य बाण चलाकर उनका नाश कर दिया। त्रिपुरों का नाश होते ही सभी देवता भगवान शिव की जय-जयकार करने लगे। त्रिपुरों का अंत करने के लिए ही भगवान शिव को त्रिपुरारी भी कहते हैं। भगवान शिव की कथा का श्रवण करने और उनके नाम का मनन करने से हमारे दुख नष्ट होते है। विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि पांच दिवसीय संगीतमय शिव महापुराण कथा शुक्रवार को विश्राम दिवस है। कथा शाम चार बजे से आरंभ की जाएगी।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- डॉ. अम्बेडकर महिला आईटीआई सीहोर में संचालित एनसीव्हीटी के हिन्दी स्टेनो, कोपा, फैशन डिजाइन, कम्प्यूटर हार्डवेयर, इलेक्ट्रीशियन, इलेक्ट्रॉनिक्स मैके, ड्राफ्ट्समैन सिविल पाठ्यक्रम में सत्र 2024-25 के लिए प्रवेश 01 मई से हो रहे हैं । इन प्रवेश की अंतिम तिथि 10 जून है। शासकीय महिला आईटीआई में प्रवेश के लिए प्रवेश पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है। दसवीं पास सभी श्रेणी की महिला आवेदक व अन्य आवेदक प्रवेश के लिए विभाग के पोर्टल पोर्टल https://mpiticounsling.co.in या www.dsd.mp.gov.in पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। शासकीय महिला आईटीआई सीहोर में प्रवेश हेतु प्रवेश संबंधी अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिये संस्था में जाकर प्रवेश हेल्प डेस्क से सम्पर्क कर सकते हैं।
update news 247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041 प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत वरदान के रूप में कार्य कर रहा है। जीवामृत की एक यूनिट से 100 एकड़ तक खेती की जा सकती है। जीवामृत को सिंचाई से सांथ खेती में उपयोग करने से भूमि में लाभदायक जीवाणुओ की संख्या बढती है। मृदा स्वस्थ बनती है, और फसल उतनी ही बेहतर आती है, इसी के साथ इसके से मृदा में केंचुओ संख्या बढती है। जिला मुख्यालय से 28 किमी दूरी ग्राम सालीखेडा में कई आदिवासी बरेला जनजाति के
किसान परिवार रहते हैं, जहां जीवामृत को अपनाया गया है। गांव में 164 किसानो के पास वन अधिकार पत्र हे जिसके आधार पर वह गांव में खेती करते है। समर्थन संस्था द्वारा विगत 2 वर्षों से गांव में जैविक खेती को बढावा देने के लिए प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए सर्वप्रथम गांव में 2023 में किसान संजय बरेला के खेत पर बोयो इनपुट रिसोर्स सेंटर (बीआरसी) की स्थापना की गई, जिसमे प्राकृतिक खेती के लिए सबसे ज्यादा आवश्यक गो मूत्र है। गोमूत्र कलेक्शन के लिए यूनिट बनाई गई। श्री संजय बारेला के खेत पर 5 प्लास्टिक के ड्रम और
गोमूत्र कलेक्शन सेंटर के माध्यम से (बीआरसी) को प्रारम्भ किया गया। जिसमें कीट प्रबंधन के लिए चार चटनी, पांच पत्ती काडा, नीम अस्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्नि अस्त्र जेसी जैविक कीटनाशको और ग्रोथ प्रमोटर और टॉनिक के स्थान पर सोया टॉनिक और कंडा पानी, जीव अमृत का प्रयोग किया गया। बीआरसी सेंटर को धीरे- धीरे तकनीकी रूप से अपडेट किया गया, जिमसे जैविक कीटनाशको को बनाने के लिए कटाई और पिसाई के लिए ग्रेवी मशीन का उपयोग किया गया जिससे कम समय में ज्यादा से ज्यादा दवाइयों को बनाया जा सके। बीआरसी से 40 किसानों को जोड़ा गया।
आज किसान अपनी 2 एकड़ से लेकर 14 एकड़ में जैविक अदानो का प्रयोग कर रहे है। इसी प्रकार अप्रैल में बड़वानी जिले के किसानो को एक शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम में एडवांस जीवामृत यूनिट को दिखाया गया। जिसके परिणाम स्वरूप ग्राम सालीखेडा में अभय बरेला और बीलखेडा में थॉमस के यंहा एक एक यूनिट को लगाया गया है, जिससे 200 लीटर जीवामृत प्रतिदिन बनाया जा सकता है। यह तकनीक कृषि के क्षेत्र में एक क्रांति के रूप में कार्य करते हुए किसानों की मदद कर सकती है|
एडवांस जीवामृत बनाने की विधि- एडवांस जीवामृत के द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है। जिससे बड़े स्तर पर जैविक खेती हो सकती है। जीवामृत को बनाने के लिए 4-5 दिन पुराना कचरा हटाकर 200 किग्रा गोबर, 100 किग्रा पीसा हुआ कद्दू, 75 किग्रा गुड के पानी का घोल, 10 किग्रा चावल का पानी, 100-150 लीटर गौमूत्र, 100-200 लीटर छाछ, 20 किग्रा बेसन, 20 किग्रा पिसा हुआ एलोवेरा, 50 किग्रा सरसो पाउडर, 3 लीटर लिक्विड कल्चर 1 लीटर soil charger liquid, एक बैग और पानी की आवश्यकता होती है, तथा इसके अलावा इसमें घर से निकलने वाले सब्जी के कचरे का भी उपयोग किया जा सकता है।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- राज्य स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देशानुसार विकासखण्ड स्तरीय पाठ्य पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल करते हुए पुस्तक मेले से पुस्तकें पालकों को क्रय करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा अशासकीय शालाओं के संचालकों/प्राचार्यों को विद्यार्थियों के पालकों को मेले से पाठ्य पुस्तकें क्रय करने की सूचना देने के लिए पूर्व में ही निर्देशित किया जा चुका है तथा जिसका लिखित रिकॉर्ड संधारण करने के लिए भी कहा गया है।
शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार महारानी लक्ष्मी बाई कन्या उप्पर माध्यमिक विद्यालय, सीहोर में 06 जून से 08 जून तक पुस्तक एवं गणवेश मेला प्रातः 10:00 बजे से सायं 05:00 बजे तक आयोजित किया जा रहा हैl इस पुस्तक मेले का शुभारंभ 06 को प्रात: 10 बजे जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में डी.ई.ओ श्री संजय सिंह तोमर, श्री आरआर उईके द्वारा उपस्थित विक्रेताओं का पुष्पहार पहनाकर उत्साहवर्धन व स्वागत किया गया। पुस्तक मेले में विक्रेताओं के पुस्तकों के 22 स्टॉल एवं गणवेश के 08 स्टॉल कुल 30 स्टॉल का पंजीयन किया गया है।
अशासकीय शालाओं द्वारा पुस्तक विक्रेताओं को निर्धारित पुस्तकों की सूची एवं गणवेश विक्रेताओं को गणवेश के नमूने/फोटो उपलब्ध कराने के निर्देश पूर्व में ही दिये गये थे, जिसकी पावती बी.ई.ओ./बी. आर.सी.सी. कार्यालय में जमा करने के लिए कहा गया था जिसका पालन शालाओं के संचालकों द्वारा किया गया है। जिनके द्वारा पालन नहीं किया गया है उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी। इसके लिए जिला एवं विकासखण्ड स्तर पर समिति गठित की गई है। शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार अशासकीय संस्थाओं द्वारा 08 जून तक शासन के पोर्टल पर फीस संरचना की जानकारी अपलोड नहीं करने पर संस्थाओं पर पाँच गुना अर्थदंड की कार्यवाही की जाएगी ।