

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- श्री राम मंदिर खत्री समाज सुभाष चौक पर में श्राद्ध पक्ष के शुभ अवसर पर प्रभात फेरी एवं खत्री समाज महिला मंडल द्वारा आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन संत श्री मिट्ठूपुरा सरकार ने बताया कि, कर्म का फल तो हम सबको भोगना पड़ेगा ।कर्म के फल से तो भगवान और बड़े-बड़े ऋषि मुनि महात्मा भी अछूते नहीं रहे ।काहु ना कौई सुख-दुख कर दाता।निज कृत कर्म भोग सब भ्राता। इसी क्रम में गुरुदेव द्वारा माडंव्य ऋषि की कथा सुनाते हुए बताया कि, एक बार एक राजा के महल मे चोर चोरी कर के भाग ।

पीछे पुलिस लगी हुई थी ।पुलिस के डर से चोर भागते हुए ऋषि के आश्रम में छुप गया।पीछे पुलिस ने जब आश्रम की तलाशी ली तो चोर और चोरी का सारा धन आश्रम से ही बरामद हो गया । पुलिस चोर के साथ ऋषि को भी गिरफ्तार कर राजा के पास ले गये।राजा ने भी बिना विचार के चोर के साथ ऋषि को भी सूली पर चढ़ा दिया।चोर तो थोड़ी देर में मर गया।पर महात्मा 40 दिन तक सूली पर टंगे रहे ।तब राजा घबराया ,कि मेने महान संत का अपराध कर दिया है। महात्मा तो निर्दोष है।तुरंत महात्मा से क्षमा मांगी ।सुली से उतारा अब महात्मा ने राजा से तो कुछ नहीं कहा।और सीधे यमराज के पास पहुंचे,

और यमराज से कहा कि मैं मेने जीवन में कभी कोई पाप नहीं किया ।फिर किस अपराध की सजा मुझे मिली तब यमराज ने उनके जीवन का खाता निकला तो उसमें लिखा था।की ऋषि ने 5 साल की उम्र में एक कीड़े को कांटा चुभाकर मारा था ।उसी पाप के कारण आपको यह सजा मिली ।महाराज समझ गए ।की अपराध कोई भी करें ,कभी भी करें उसकी सजा जरूर .मिलती है।भले ही देर से मिले पर मिलती अवश्य है। आगे कथा में गुरुदेव ने ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि निर्माण की कथा का बड़े ही विस्तार से वर्णन किया। महाराज मनु और शतरूपा जी के

संपूर्ण वंश का बड़े ही विस्तार से वर्णन किया। उनकी पांच संताने हुई। जिन में दो पुत्र उत्तानपाद ,प्रियव्रत और तीन बेटी आकूति, देवहुती, और प्रसूति के जीवन पर भी प्रकाश डाला। इन्ही के वंश में भगवान के परम भक्त ध्रुव जी का जन्म हुआ।कथा में गुरुदेव द्वारा गाए हुए भजनों पर सभी श्रोताओं ने झूम झूम का नृत्य किया।इस अवसर पर सागर खत्री, सुरेश डोंगरे, मनीष सागवानी, जुगल किशोर मालवी, फतेह सिंह ठाकुर,शैलेंद्र शर्मा,अके सिंह,बहादुर सिंह, सुनील बागवान सहित बड़ी संख्या में भक्तगण उपस्थित रहे।

