updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा- 7746898041- नगर के दिगम्बर जैन दिव्योदय तीर्थ किला मन्दिर पर आचार्य विद्यासागर पाठशाला के बच्चो को स्वाध्याय सहित साप्ताहिक पूजन करवाई गई। इस अवसर पर बच्चो को भरत बाहुबली,सती सीता सती अंजना जैसे प्रमुख पात्र बना कर विशेष रूप से माला मुकुट पहना कर पूजन कर सम्मानित किया गया। आध्यत्मिक प्रश्न मंच कर पुरष्कृत किया गया। यहां उल्लेखनीय है कि पाठशाला के बच्चो को ज्ञानवर्धक स्वाध्याय सहित सप्ताहिक सामूहिक पूजन आध्यत्मिक भजनों के साथ

प्रति रविवार को किला मन्दिर मे करवाई जाती है जिसमें बच्चो को पूजन सम्बन्धी बहुत सी जानकारी बताई जाती है। इस अवसर पर समाज के अध्यक्ष आनंद जैन पोरवाल, श्री महेंद्र जैन जादूगर नेमीचन्द जैन व पाठशाला संचालन समिति के प्रदीप जैन, मनोज जैन, संतोष जैन जादूगर, हेमन्त जैन शरद जैन, अंकित जैन, शिक्षिका बहने श्रीमती कविता जैन श्रीमती बुलबुल जैन, श्रीमती मनीषा जैन, श्रीमती हिमानी जैन ज्योति जैन, श्रीमती सोनिका जैन एवं समाज जन मौजूद रहे

updatenews247.com धंनजय जाट 7746890041- आष्टा नगर के साईं कॉलोनी में नेमिनगर कॉलोनी में नव निर्मित नेमिनाथ जिन मन्दिर पंचकल्याणक प्रतिस्ठा महोत्सव की प्रथम वर्षगांठ समाज जनों द्वारा ब्रम्हचारी श्रीपाल भैय्या जी के सानिध्य में बड़े ही धूम धाम से मनाई गई। इस पावन उपलक्ष्य में आज सुबह नेमिनाथ जिन मन्दिर से एक शोभायात्रा निकाली गई एवं मूलनायक नेमिनाथ भगवान के वार्षिकी महामस्तकाभिषेक हुए जिसमे श्रावक जनों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

शिखर पर मंगल का प्रतीक केसरिया एवं पचरंगी ध्वज स्थापित करने का सौभाग्य जीतमल छीतरमल जैन सात्विक एवं राजेन्द्र कुमार नयन, अंकित जैन वर्धमान को प्राप्त हुआ, मूलनायक वेदी के आसपास नवीन वेदिका में चारो अनुयोगों के प्राचीन ग्रंथों को विराजमान कर माँ जिनवाणी की स्थापना करने का सोभाग्य नरेंद्र श्रद्धा गंगवाल, मनीष रानी बड़जात्या, सुरेंद्र पीयूष जैन अलिपुर, श्रीपाल हेमन्तजैन नमक, पारस जैन,

संजय जैन किला, रमेश अक्षय जैन आदिनाथ ,अनिल सुनील प्रदीप जैन प्रगति को प्राप्त हुआ। मन्दिर के द्वितीय तल पर आदिनाथ भगवान की वेदी में पंचमेरु एवं अष्टमंगल स्थापित किये गए जिसका सौभाग्य दिलीप अनुज लक्ष्पति एवं जीतमल जैन मनोज कुमार जैन सुपर को प्राप्त हुआ, इस अवसर पर ब्रम्हचारी श्रीपाल भैय्य्या जी ने अपने उदभोदन मे बताया कि जिनवाणी माँ हमे जन्म जरा म्रत्यु रूपी भव भव के चककर से छुड़ाने में सहायक है। हमे प्रतिदिन गर्न्थो का स्वाध्याय करना चाहिए।

मुनिराजों का हम पर बहुत उपकार है जो यह जिनवाणी हमे लिपिबद्ध कर के शाश्त्र सोप कर गए है, ग्रंथो के स्वाध्यय से ही जीवन मे शांति आती है। यही हमारे जीवन का सार है आज के इस महोत्सव को मानना तभी सार्थक माना जायेगा जब हम जीवन मे प्रतिदिन स्वाध्याय करने का संकल्प लेकर यहां से जाएंगे, इस अवसर पर सेकड़ो की संख्या में श्रावक श्राविकाये उपस्थित रहे। अंत मे नेमिनाथ जिन मन्दिर सेवा संघ ने प्रभावना वितरित कर सभी समाज जनों का आभार व्यक्त किया।

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