updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- मानव शरीर देवताओं को भी दुर्लभ है। यह धन दौलत से नहीं मिलता। यह तो केवल भगवान की दया से मिलता है। बड़े भाग मानस तन पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथन गावा। मानव देह ही वह रथ है। जिस पर सवार होकर आत्मा, परमात्मा तक पहुंच सकती है। उक्त बहुत ही सार गर्वित प्रवचन श्री श्यामा श्याम चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा नया दशहरा मैदान मंडी गेट पर आयोजित सात दिवसीय संगीत मय श्री राम कथा के चतुर्थ दिवस व्यास पीठ पर विराजमान मालवा क्षेत्र के गौरव संत श्री मिट्ठू पुरा सरकार द्वारा दिए गए।

कथा के यजमान भजन गायक राजू राठौड़ समिति अध्यक्ष संजीव पांचम मित्र मंडल द्वारा संत श्री का शाल श्रीफल और साफा बांधकर सम्मान किया। आज कथा में पूज्य गुरुदेव द्वारा भगवान श्री राम जी के जन्म की बड़ी ही सुंदर कथा भावपूर्ण ढंग से सुनाई। जिसे श्रवण सभी श्रोता भक्ति रस में लीन हो गए। अयोध्या के राजा महाराज दशरथ की तीन रानियां कौशल्या, कैकई, और सुमित्रा थी। परंतु फिर भी उनके घर कोई संतान नहीं थी। 1 दिन का प्रसंग है।

कि जब महाराज दशरथ प्रातः काल महल से निकलकर जा रहे थे। सड़क पर जमादार झाड़ू लगा रहा था। उसने महाराज दशरथ को देखते ही अपना मुंह फेर लिया। महाराज दशरथ समझ गए कि मेरे यहां संतान नहीं होने से यह व्यक्ति सुबह-सुबह मेरा मुंह देखना नहीं चाहता। उन्हें इस बात की बड़ी ग्लानि हुई। और वह उसी समय अपने गुरु वशिष्ठ जी के घर गए। और उन्हें अपना सब दुख सुनाया। तब गुरु ने पुत्र कामेष्टि यज्ञ करके अग्नि देव द्वारा दी गई खीर को सभी रानियां को खिलाया।

और इस खीर के प्रभाव से सभी रानियां गर्भवती हुई। और चैत्र मास नवमी तिथि दिन मंगलवार दोपहर 12:00 बजे भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ। और इसके थोड़ी देर बाद ही माता केकई के गर्भ से भारत जी का जन्म हुआ। और सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न जी का जन्म हुआ। भगवान का जन्म होते ही पूरे पंडाल में हर्ष और खुशी की लहर दौड़ गई बधाई गीत गाए गए। सभी श्रोताओं ने झूम झूम कर नृत्य किया। इस अवसर पर पूज्य महाराज श्री द्वारा 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सबको सादर आमंत्रित किया।

आज का प्रसाद मंडी व्यापारी लखन पाटीदार की ओर से वितरण किया गया। इस अवसर पर उर्मिला मरेठा, गुलाब बाई ठाकुर, ललिता सुनील बैरागी, बापू लाल मालवीय, सूरज सिंह भान खेड़ी, प्रदीप राठौर, दीपक मारुति, कुमेर सिंह पटड़ा, प्रहलाद सिंह सांगा खेड़ी, जीवन सिंह अध्यापक, डॉ रमेश जैन,विक्रम सिंह ठाकुर, नरेंद्र सिंह भाटी, डॉ रतन सिंह जीवन सिंह शोभा खेड़ी ठाकुर, अके सिंह, राजेंद्र सिंह पटेल,भगवत मेवाड़ा सवाई सिंह, रमेश चौरसिया, राजू राठौड़ बहादुर सिंह ठाकुर प्राचार्य, हेमंत राठौड़ सहित बड़ी संख्या में भक्त गण पधारे।

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