updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- राज्य शासन ने “मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय कार्यक्रम’’ के रूप में लागू किया है। कार्यक्रम में अब हितग्राही की मंशा अनुसार दुधारू गाय के अलावा भैंस भी प्रदाय की जा सकेगी। साथ ही इसका लाभ अब विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा के साथ सहरिया और भारिया को भी मिलेगा। जनजातियों की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखते हुए हितग्राही अंशदान की राशि 25 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत कर दी गई है।पशुपालकों को प्रति 2 दुधारू पशु गाय/भैंस दी जाएगी। कार्यक्रम में 90 प्रतिशत शासकीय अनुदान और 10 प्रतिशत हितग्राही अंशदान होगा। क्रय किये गये सभी पशुओं का बीमा होगा।
मिल्क रूट और दुग्ध समितियों का गठन मध्यप्रदेश दुग्ध महासंघ और पशुपालन विभाग द्वारा किया जायेगा। गाय प्रदाय के लिये एक लाख 89 हजार 250 रूपये और भैंस के लिये 2 लाख 43 हजार रूपये की राशि निर्धारित की गई है। गौ प्रदाय में एक लाख 70 हजार 325 रूपये शासकीय अनुदान और शेष 18 हजार 925 रूपये हितग्राही अंशदान होगा। भैंस प्रदाय में 2 लाख 18 हजार 700 रूपये का शासकीय अनुदान और मात्र 24 हजार 300 रूपये हितग्राही का अंशदान होगा। कार्यक्रम का उद्देश्य दुग्ध उत्पादन और पशुओं की दुग्ध उत्पादक क्षमता में वृद्धि, रोजगार के नवीन अवसर द्वारा हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति में सुधार और उच्च उत्पादक क्षमता के गौ-भैंस वंशीय पशुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना है। हितग्राही को आवेदन निर्धारित प्रपत्र में अपने निकटतम पशु चिकित्सा संस्था या दुग्ध सहकारी समिति को देना होगा। चयनित हितग्राहियों को पशुपालन, पशु आहार और पशु प्रबंधन प्रशिक्षण के साथ परिचयात्मक दौरा भी करवाया जायेगा।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- पशुपालन विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम योजना चलाई जा रही है। जिले के किसान भाई राष्ट्री्य कृतिम गर्भाधान योजना का लाभ ले रहे है। राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम में लिंग वर्गीकृत वीर्य से 90 प्रतिशत तक केवल मादा बछिया होती है। जिससे किसानों का लाभ होता है और पशुपालकों को उन्नत दुग्ध उत्पादक पशु मिल रहे है। पशुपालन विभाग ने बताया कि विभाग द्वारा हितग्राहियों को योजना के बारे में जानकारी दी जा रही है। योजना से होने वाले लाभ से अवगत होने पर हितग्राही लिंग वर्गीकृत वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान अपना रहे है और गीर नस्ल की बछिया प्राप्त कर रहे है। यह व्यवसाय लाभकारी है। विभाग द्वारा समय-समय पर उपचार सुविधा एवं कृत्रिम गर्भाधान उपलब्ध कराया जा रहा है तथा बचाव के लिए कृमिनाशक व टीकाकरण तथा तकनीकी ज्ञान भी दिया जा रहा है।