updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- सनातन धर्म में गौ माता की सेवा का बहुत महत्व है। भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं अपने अवतार में गौ माता की सेवा की है । हिंदू धर्म में गौ माता के प्रति इतनी श्रद्धा है कि हर घर में प्रथम रोटी गौ ग्रास के रूप में निकाली जाती है। नगर में इसी परंपरा और संस्कृति का पालन करते हुए जन्मदिन मनाने की पहल होती रहती है। यह बात माँ पार्वती धाम गौ शाला के अध्यक्ष नरेंद्र कुशवाह ने कही। गौ शाला में सकल सनातन समाज के अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव का जन्मदिन गौ वंश की पूजन अर्चन के साथ मनाया गया। उपस्थित जन ने गौमाता की आरती उतारी और उन्हें आहार भी उपलब्ध कराया।
सनातन समाज अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव ने मां पार्वती धाम गौशाला समिति कोषाध्यक्ष संजय सुराणा को दान स्वरूप गौ माता के आहार हेतु 2100 रुपये की राशि प्रदान की। गौसेवक उदय सिंह मोरावर एवं तेज सिंह (गोलू) कुरावर द्वारा एक-एक भूसे की ट्राली की घोषणा की गई। इस अवसर पर मुकेश चित्तौड़ा, दिनेश शर्मा, उदय सिंह ठाकुर, तेज सिंह ठाकुर कुरावर, विजय सिंह जायसवाल, सक्षम श्रीवास्तव, गौशाला के विशेष सहयोगी विपिन सिंघी सहित मां पार्वती धाम गौशाला समिति के सदस्यों ने अनिल श्रीवास्तव को जन्मदिन की बधाई देते हुए आभार व्यक्त किया।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- उप, प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और 100 बिस्तर से कम क्षमता के चिन्हित सिविल अस्पताल में आवश्यक जाँच संख्या का निर्धारण किया गया है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने सीएमएचओ को निर्देश दिये हैं कि स्वास्थ्य केन्द्र में हाल ही में निर्धारित की गई नि:शुल्क जाँच संख्या को मरीजों के लिये उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करेंगे। उप स्वास्थ्य केन्द्र हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर में निर्धारित 17 प्रकार की जाँच में एचबी एस्टीमेशन,
यूरिन प्रेग्नेंसी, यूरिन एल्बुमिन, यूरिन शुगर, ब्लड शुगर, मलेरिया, टाइफाइड, हेपेटाइटिस-बी इन्फेक्शन, स्पुटम फॉर एएफबी, आयोडीन साल्ट, यूरिन टेस्ट, एचआईवी, डेंगू, सिफलिस, एन्टी एचसीवी और चिन्हित जिलों में सीमर फॉर फायलेरियासिस शामिल हैं। हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र और 100 बिस्तर से कम क्षमता के चिन्हित सिविल अस्पताल में जॉच निर्धारण में 80 प्रकार की जाँच में यूरिन प्रेग्नेंसी, यूरिन एल्बुमिन, यूरिन शुगर, ब्लड शुगर, मलेरिया, टाइफाइड, हेपेटाइटिस-बी इन्फेक्शन, ब्लड ग्रुपिंग, सिफलिस, एचआईवी,
विडाल, ईएसआर, एसटीडी, ग्राम स्टेनिंग, थ्रोट स्वाब, डिप्थीरिया, पेरीफेरल ब्लड फिल्म, एएफबी, एमपी स्लाइड, लेप्रोसी, ब्लीडिंग टाइम, क्लॉटिंग टाइम, एन्टी एचसीवी, कोलेरा, वीआईए, टीबी, चिन्हित जिलों में सीमर फॉर फायलेरियासिस, यूरिन टेस्ट, स्टूल टेस्ट, ब्लड सीमर, सीबीसी, डेंगू, सीआरपी, यूरिक एसिड, जीटीटी, एसडीएल, एल्केलाइन फास्फेट, आयरन, केल्शियम, एलडीएल, विटामिन-डी, एफबीएस, कोलेस्ट्राल, आरए फेक्टर, एएसओ, टी3, एसजीओटी, टी4, आरबीएस, जी6पीडी, क्रेटिनाइन,
टीएसएच, प्रोटीन टोटल, ट्राइग्लीसराइड, हीमोग्लोबिन एस्टीमेशन, पीपीबीएस, एलएच, एचबीए1सी, एसजीपीडी, टोटल ल्यूकोसाइट काउंट, डिफरेंशियल ल्यूकोसाइट काउंट, प्लेटलेट काउंट, एस ब्लीरुबिन, ब्लीरूबिन डायरेक्ट एण्ड इनडायरेक्ट, एसवीएलडीएल, एप्सोल्यूट एसीनोफिल काउंट, एसग्लोव्यूलिन, यूरिन फॉर माइक्रो एल्बुमिन, रेटीक्यूलोसाइट काउंट, ब्लड यूरिया, एस एल्बुमिन एण्ड एजी रेशो, एस सोडियम, एस पोटेशियम, एस क्लोराइड, सीके-एमबी और डी-डाइमर शामिल हैं।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा पर्यावरण निगरानी केन्द्र से प्रदूषणकारी उद्योगों की सतत् निगरानी की जा रही है। इससे प्रदूषण की स्थिति निर्मित होने के पहले ही, उसे नियंत्रित कराने और उद्योगों को प्रदत्त प्रदूषण नियंत्रण के निर्धारित मापदंडों का पालन कराने में सहायता मिलती है। उद्योगों और संस्थानों आदि में स्थापित प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था के व्यवस्थित संचालन एवं आवश्यकता अनुसार सुधार कार्यों पर भी निगरानी रखी जाती है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा निर्देशित 17 प्रकार के अति-प्रदूषणकारी उद्योगों को भी प्रदेश में चिन्हित कर उनकी सतत् निगरानी की जा रही है। प्रदूषण की दृष्टि से लाल एवं नारंगी श्रेणी में चिन्हित अपेक्षा से अधिक प्रदूषण भार वाले उद्योग सतत् निगरानी के दायरे में हैं। उद्योगों द्वारा सतत् स्त्रोत उत्सर्जन मापन उपकरण (CEMS), सतत् दूषित जल गुणवत्ता मापन उपकरण (CEQMS), सतत् परिवेशीय वायु गुणवत्ता मापन उपकरण (CAAQMS) और
आईपीपीटीजे़ड कैमरा आदि व्यवस्थाएँ स्थापित हैं। पर्यावरण निगरानी केन्द्र को इनके माध्यम से लगातार प्रदूषण की स्थिति की जानकारी मिलती रहती है। उद्योगों के अतिरिक्त कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट, नगरीय अपशिष्ट, औद्योगिक खतरनाक अपशिष्ट, औद्योगिक निस्त्राव आदि उपचारित करने वाली सुविधाओं से होने वाले प्रदूषण की निगरानी भी इसी केन्द्र से की जाती है। वर्तमान में प्रदेश में 101 अति-प्रदूषणकारी प्रकृति के उद्योगों में से अधिकांश उद्योगों द्वारा सतत् निगरानी उपकरण स्थापित कर लिये गये हैं