updatenews247.com धनंजय जाट सीहोर 7746898041- शहर के सैकड़ाखेडी स्थित संकल्प वृद्धाश्रम में निशुक्ल जांच शिविर का आयोजन किया गया था। इस मौके पर करीब 40 बुजुर्गों की आंखों की जांच की और मोतियाबिंद के मरीजों का निशुल्क आपरेशन कराने की व्यवस्था भी की जाएगी। रविवार को आश्रम में आनंदधाम नेत्रालय के तत्वाधान में निशुल्क नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का शुभारंभ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मुकेश दांगी, आश्रम के संचालक राहुल सिंह और इंदौर में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रणय सिंह ने फीता काटकर किया।उद्घाटन के उपरांत सभी का अतिथि का अंग वस्त्र व फूल माला से स्वागत किया गया। इस अवसर पर करीब 40 बुजुर्ग पुरूष-महिलाओं के आंखों की जांच की गई।

इस मौके पर डॉ. सिंह ने कहा कि बढ़ती उम्र के साथ देखने की शक्ति का कम होना आम बात है। 60 साल की उम्र को पार करते ही आँखे कमज़ोर हो जाती हैं और रोज़मर्रा के कामों को करने में दिक्कत आने लगती है। जैसे, अखबार पढऩा, सुई में धागा डालना आदि। बढ़ती उम्र के साथ आँखों की दूसरी बीमारियों का ख़तरा भी बढ़ जाता है। इसलिए, बढ़ती उम्र के साथ आँखों की लगातार जांच ज़रूरी है। आंखों की बीमारी जीवनशैली में रूकावट बन सकती है। इसलिए वृद्ध अवस्था में नेत्रों की बीमारियों पर ध्यान देना चाहिए। शिविर के दौरान जांच के अलावा निशुल्क रूप से दवाई का वितरण किया गया।

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- बदलते मौसम में बच्चों में निमोनिया के लक्षणों की पहचान एवं उसके उपचार एवं प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य विभाग ने आम जनों को सलाह दी है कि निमोनिया के आकलन, निमोनिया का वर्गीकरण, खतरनाक लक्षणों के चिन्हों की पहचान, समुदाय आधारित निमोनिया का प्रबंधन, उपचार एवं रेफरल के संबंध में मैदानी कार्यकर्ताओं को जानकारी दी गई। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि बदलते मौसम में बच्चों को निमोनिया के लक्षणों की पहचान एवं एसके उपचार एवं प्रबंधन के लिए विभाग तैयार है। जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र की एएनएम को निमोनिया के संबंध जानकारी दी।

स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि सर्दी के मौसम में बच्चों में निमोनिया के केसेस ज्यादा पाए जाते हैं। इसे देखते हुए मैदानी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को अवगत किया गया है। जिससे कि वह अपने क्षेत्र में निमोनिया के लक्षण वाले बच्चों की शीघ्र पहचान कर शीघ्र प्रबंधन कर सकें। निमोनिया से बचाव एवं जागरूकता के लिए विभाग द्वारा 29 फरवरी तक सांस अभियान संचालित किया जायेगा। निमोनिया फेफड़े का संक्रमण है। जिससे फेफड़ों में सूजन हो जाती है। निमोनिया होने पर बुखार खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। तेज सांस चलना या छाती का धंसना निमोनिया के दो मुख्य चिन्ह है। प्रशिक्षण में शिशु रोग विशेषज्ञों द्वारा द्वारा बच्चों में सांस की दर को गिनकर निमोनिया के लक्षणों की पहचान के संबंध में जानकारी दी गई।

बच्चों में सांस की गति का ठीक ढंग से आकलन करके निमोनिया को प्रारंभिक अवस्था में ही पहचाना जा सकता है। इसके लिए बच्चों की श्वास को एक मिनट तक निरंतर देखा जाता है। दो माह तक की उम्र के बच्चों की सांस लेने की दर एक मिनट में 60 या उससे अधिक होने पर, 2 माह से एक वर्ष तक की आयु में 50 या उससे अधिक एवं 1 वर्ष से 5 वर्ष तक के बच्चों में प्रति मिनट 40 या उससे अधिक सांस की दर होने पर निमोनिया होने की संभावना रहती है। 5 वर्ष तक के बच्चों में सर्वाधिक मृत्यु का कारण निमोनिया है। निमोनिया से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण, छह माह तक सिर्फ स्तनपान और उसके बाद उचित पूरक आहार, विटामिन ए का सेवन, साबुन से हाथ धोना, घरेलू वायु प्रदूषण को कम करना आवश्यक है।

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- हाल ही में वर्षा होने के कारण गेंहूं में जड़माहू कीट एवं विभूति आदि किटों का प्रभाव कम हुआ है। फिर भी यदि गेंहू में जड़माहू किट का प्रभाव एवं गेंहूं में पिलापन दिख तों दवा का छिड़काव जरूर करें। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा वर्षों की भाँति इस वर्ष भी गेंहूं फसल में जड़ माहू कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा है। गेंहूं फसल के खेतों में अनेक स्थानों पर पौधे पीले होकर सूख रहे हैं। समय पर निदान न किये जाने पर इस कीट द्वारा गेंहूं फसल में बड़ी क्षति की सम्भावना रहती है। जड़ माहू कीट गेंहूं के पौधे के जड़ भाग में चिपका हुआ रहता है, जो निरन्तर रस चूसकर पौधे को कमजोर व सुखा देता है। प्रभावित खेतों में पौधे को उखाड़कर ध्यान से देखने पर बारीक-बारीक हल्के पीले, भूरे व काले रंग के कीट चिपके हुए दिखाई देते हैं। मौसम में उच्च आर्द्रता व उच्च तापमान होने पर यह कीट अत्यधिक तेजी से फैलता है। अनुकूल परिस्थितियाँ होने पर यह कीट सम्पूर्ण फसल को नष्ट करने की क्षमता रखता है।

कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, सेवनिया के वैज्ञानिकों ने बताया कि जिन क्षेत्रों में अभी तक गेंहूं फसल की बुवाई नही की गयी है, वहाँ पर बुवाई से पूर्व इमिडाक्लोरोप्रिड 48 प्रतिशत, एफएस. की 01 मिली. दवा अथवा थायोमेथॉक्जॉम 30 प्रतिशत, एफएस दवा की 1.5 मिली मात्रा प्रति किलोग्राम की दर से बीज उपचार अयवश्य करें। जिन क्षेत्रों में बुवाई कार्य पूर्ण किया जा चुका है व कीट प्रकोप के लक्षण प्रारम्भिक अवस्था में हैं वहाँ किसान भाई इमिडाक्लोरोप्रिड़ 17.8 एसएल की 80 -100 मिली. मात्रा अथवा थायोमेथॉक्जॉम 25 प्रतिशत डब्लूपीकी 80 ग्राम मात्रा अथवा एसिटामाप्रिड 20 प्रतिशत एसपी दवा की 60 ग्राम मात्रा प्रति एकड़, 150-200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें या किसान भाई थायोमेथॉक्जॉम 30 प्रतिशत कीटनाशक की 250 मिली मात्रा को 50 किलो यूरिया खाद में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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