“माटी गणेश सिद्ध गणेश” अभियान के तहत माटी से मूर्ति निर्माण प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित, विद्यार्थियों ने माटी से बनाई भगवान गणेश की मूर्तियां

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- “माटी गणेश सिद्ध गणेश” अभियान के तहत सीहोर स्थित डाइट संस्थान में पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से माटी से मूर्ति निर्माण प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित आयोजित की गई। प्रशिक्षण कार्यशाला में शिक्षिका श्रीमती सुनीता शर्मा एवं श्रीमती मंजू शर्मा द्वारा विद्यार्थियों को मिट्टी से भगवान गणेश की मूर्ति बनाने का प्रशिक्षण दिया गया।

इस दौरान बच्चों को प्रेरित करते हुए बताया गया कि पीओपी से बनी मूर्ति पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है, इसलिए हमें मिट्टी से बनी मूर्ति का उपयोग करना चाहिए। प्रशिक्षण के पश्चात सभी बच्चों ने माटी से भगवान गणेश की मूर्ति बनाई। इस अवसर प्राचार्य डॉ अनीता बडगुर्जर सहित शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- साइबर विशेषज्ञों ने सरकारी कामकाज में इंटरनेट, सोशल मीडिया के उपयोग और सरकारी एवं निजी डाटा के उपयोग के बारे में जानकारी दी, साइबर सुरक्षा कार्यशाला आयोजित। कलेक्टर श्री बालागुरू के. की अध्यक्षता में सायबर सुरक्षा को लेकर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की मध्यप्रदेश कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (एमपीसर्ट) के विशेषज्ञों द्वारा साइबर खतरों, सुरक्षा और सरकारी विभागों के डाटा और अपने निजी डाटा को सुरक्षित करने के बारे में विस्तार ने जानकारी दी।

कार्यशाला में कलेक्टर श्री बालागुरू के. ने कहा कि वर्तमान समय में सरकारी कामकाज में इंटरनेट और डिजिटल तकनीक अब हमारी जीवनशैली का महत्वपूर्ण अंग बन चुकी है। मोबाइल, इंटरनेट, डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन शिक्षा और सोशल मीडिया, ये सब अब दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। लेकिन डिजिटल सुविधाओं के साथ साइबर खतरे भी तेजी से बढ़े हैं। हमें जो डिजिटल सुविधा मिलती हैं, वह कभी-कभी चुनौती बन जाती हैं। सायबर अटैक, डिजिटल फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट जैसी कई घटनाएं सामाजिक और आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा सकती हैं। ऐसी स्थिति में प्रत्येक ऑनलाइन उपयोगकर्ता के लिए जरूरी है कि

वह बहुत ही सावधानी और सतर्कता के साथ इन माध्यमों का उपयोग करें। उन्होंने कहा कि सावधानी में ही सुरक्षा है। इसके साथ ही समय समय पर शासन की अधिकृत संस्थाओं द्वारा जारी की जाने वाली एडवाइजरी का पालन करें। कार्यशाला में बताया गया कि सायबर सुरक्षा कंप्यूटर, नेटवर्क, प्रोग्राम और डेटा को डिजिटल हमलों, चोरी, क्षति या अनाधिकृत पहुंच से बचाने के लिए विभिन्न उपाय, तकनीकियॉं और रणनीतियां शामिल हैं, जिनका उपयोग संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा, डेटा सुरक्षा, गोपनीयता और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा मध्यप्रदेश कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम MP-CERT का गठन 14 दिसम्बर 2022 को किया गया है।

यह टीम राज्य स्तर पर साइबर सुरक्षा के मुद्दों पर त्वरित प्रतिक्रिया देने और रोकथाम के उपायों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। टीम साइबर हमलों के प्रति जागरूकता का प्रसार करने के साथ ही नागरिकों, सरकारी एजेंसियों और अन्य संस्थाओं को सुरक्षा संबंधी सलाह प्रदान करती है। कार्यशाला में एमपी-सर्ट के प्रमुख सलाहकार श्री अंबर पांडे, विधिक सलाहकार श्री यो‍गेश पंडित, श्री मुकुंद सिंह सोलंकी, कुमारी प्रियंका गोस्वामी ने पीपीटी के माध्यम से तकनीकी जानकारी दी। बैठक में जिला पंचायत सीईओ डॉ नेहा जैन, अपर कलेक्टर श्री वृंदावन सिंह, संयुक्त कलेक्टर सुश्री वंदना राजपूत, एसडीएम श्री नितिन टाले, श्री तन्मय वर्मा, डिप्टी कलेक्टर श्रीमती स्वाति मिश्रा, श्री सुधीर कुशवाह सहित सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

प्रशिक्षण की मुख्य रूपरेखा- प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों को विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी। इसमें MP-CERT की कार्यप्रणाली और सेवाओं का परिचय, आम नागरिकों के लिए साइबर सुरक्षा से जुड़ी जागरूकता, कार्यालयीन कार्यस्थलों पर साइबर सुरक्षा अपनाने की अनिवार्यता, ज़िला प्रशासन की भूमिका और उनसे अपेक्षित सहयोग जैसे विषय शामिल किए गए हैं। इसके साथ ही साइबर हमलों से निपटने की व्यावहारिक रणनीतियों, डिजिटल फ्रॉड, फिशिंग, रैंसमवेयर जैसे साइबर खतरों तथा डेटा सुरक्षा से संबंधित तकनीकी जानकारी भी साझा की गयी है।

साइबर फ्रॉड से कैसे बचें- साइबर फ्रॉड से बचने के लिए अनजान स्रोत से आई कोई भी अटैचमेंट कभी न खोलें, मोबाइल में कोई भी APK फाइल तभी इंस्टॉल करें जब वो विश्वसनीय स्रोत से हो, अपने डिवाइस में एंटीवायरस रखें और ऐप्स को आवश्यक अनुमतियाँ ही दें। शंका हो तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें। सोशल इंजीनियरिंग एक ऐसा साइबर अपराध है जिसमें हैकर तकनीक की बजाय मानव भावनाओं और विश्वास का दुरुपयोग करता है। इसमें अपराधी खुद को पुलिस, बैंक कर्मचारी या सरकारी अधिकारी बताकर कॉल, मैसेज या ईमेल के माध्यम से लोगों से पासवर्ड, ओटीपी या बैंक डिटेल्स जैसी संवेदनशील जानकारी हासिल करते है। अनजान कॉल या मैसेज पर भरोसा न करें, ओटीपी पासवर्ड, और पिन कभी साझा न करें,

संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें, वीडियो कॉल या डॉक्युमेंट पर विश्वास न करें, बैंकिंग या सरकारी जानकारी सीधे ऐप या वेबसाइट से चेक करें, डिजिटल साक्षरता बढ़ाएं और 2 फैक्टर ऑथेंटिकेशन 2FA ऑन रखें। मजबूत एक्सेस कंट्रोल लागू करें, सभी उपकरणों पर एंटीवायरस और एंटी-मैलवेयर सॉफ़्टवेयर अपडेट करें। सॉफ़्टवेयर और सिस्टम को अपडेट रखें, फायरवॉल और घुसपैठ पहचान/रोकथाम प्रणाली स्थापित करें।

अपने लॉगिन के लिए मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें। ईमेल संचार और संवेदनशील डेटा को एन्क्रिप्ट करें। सुरक्षित फ़ाइल-शेयरिंग प्रोटोकॉल लागू करें। कार्यस्थल पर व्यक्तिगत उपकरणों के उपयोग को सीमित करें। सभी कर्मचारियों के लिए क्लीन डेस्क और क्लियर स्क्रीन पॉलिसी को बढ़ावा दें। थर्ड-पार्टी एवं वेंडर एक्सेस का प्रबंधन करें।

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