धनंजय जाट/आष्टा:- श्री ब्रह्मानंद जन सेवा संघ कृष्णा धाम आश्रम पर चल रहे पांच दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव के पांचवें दिवस पर हजारों भक्तों ने अपने गुरु के चरणों का पूजन करके उनका पावन आशीर्वाद लिया!
सुबह से ही भक्तों का ताता लगा रहा और दिन भर भोजन प्रसादी चलता रहा! गुरु पूर्णिमा के पावन दिवस कई भक्तों ने गुरु दिक्षा ली!आज के सत्संग में श्रृद्धेय कृष्णा माँ ने अपनी ओजस्वी वाणी में कहा कि :-
कर्ता करे ना कर सके, गुरु करे सब होय”
सात खण्ड नौ द्विप में गुरु से बड़ा नहीं कोय”
गुरु भगवान से भी बडे़ होतें है!हमारे जीवन में गुरु होना चाहिए!
जिसके जीवन में गुरु नहीं होता उसके हाथ का पानी भी वर्जित बताया गया है !एक बार महर्षि नाराज जी को वैकुंठ जाना पड़ा भगवान विष्णु ने उनका बहुत आदर किया किंतु जाते समय लक्ष्मी जी से कहा कि जहाँ नारद जी बैठे थे
उस स्थान को गा्य गोबर से साफ कर दो इतने में नारदजी ने कहा कि भगवान आपने ऐसा क्यों किया तब भगवान विष्णु जी ने कहा कि आपके जीवन में गुरु नहीं है आप पहले गुरु बनाओ बाद में नाराज जी ने मछुआरे को अपना गुरु बनाया !
2.जो माता पिता की सेवा करता है उसका यह लोक सुधर जाता है! और जो भगवान की सेवा करता है उसका परलोक सुधर जाता है किंतु जो गुरु की सेवा करता है उसका ब्रह्मलोक सुधर जाता है!
मां ने बताया कि :-
डॉक्टरऔर संत से कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए यदि डाक्टर से झूठ बोलोगे तो आपकी बीमारी का नाश नहीं होगा इसी तरह यदि संत और गुरु से कपट करोगे या झूठ बोलोगे तो आपके अवगुणों का नाश नहीं होगा!
3.संत शिल्पकार की तरह होते हैं जो अनगढ़ पत्थर पर मूर्ति का निर्माण करते हैं! पत्थर एक बार मंदिर में जाकर भी भगवान बन जाता है किंतु इंसान बार-बार मंदिर जाकर भी इंशान नहीं बन पातामंदिर!
एक बार मंदिर के बाहर नारियल तोड़ने वाले पत्थर ने मंदिर की मूर्ति से शिकायत करी थी तुम्हारी पूजा होती है और मुझे पीटा जाता है मेरे ऊपर नारियल तोड़ा जाता है ऐसा क्यों मूर्ति ने कहा कि
मैंने मूर्ख मूर्तिकार के छीनी हथोड़े की चोंट खाई है तभी में पुज्यनीय बना हूं! व्यक्ति भी जब तक गुरु की वाणी रूपी हथोड़े की चोट नहीं खायेगा तब तक पुज्यनीय नहीं बनेगा!