धनंजय जाट आष्टा:- भारतवर्षीय जैन संघो में मालवा प्रदेश के गिरनार तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध आष्टा तीर्थ में विराजित 2200 वर्ष प्राचीन राजा सम्प्रति कालीन श्री नेमिनाथ प्रभु की छत्रछाया में किला श्वेतांबर जैन मंदिर के सुमनोहर प्रांगण में पधारे हुए जिनशासन ज्योतिर्धर व्याख्यान वाचस्पति बीसवीं सदी के सुप्रसिद्ध जैन आचार्य श्री विजय रामचंद्र सुरीश्वर जी महाराजा के समुदाय के वरिष्ठ जैन आचार्य श्री विजय मुक्तिप्रभ सुरीश्वर जी महाराजा जैन आगम विशारद जैन आचार्य श्री विजयअक्षयभद्र सुरी जी महाराजा एवं गुरुसेवातत्पर जैनाचार्य श्री विजय पूण्यप्रभ सूरी जी महाराजा के सानिध्य में “श्रावक के दैनिक कर्तव्य” विषय पर प्रवचनकार पूज्य पन्यास श्री पुण्यरक्षितविजयजी महाराज साहेब ने बताया कि जो श्रद्धा शील है, जो विवेकशील है और जो क्रियाशील है उनको “श्रावक” कहा गया है ऐसे श्रावक को प्रतिदिन 6 दैनिक कर्तव्यों का अवश्य पालन करना चाहिए
(1) परमात्मा की पूजा करना चाहिए
(2) गुरु भगवन्तों की सेवा उपासना करनी चाहिए
(3) जीवदया का पालन करना चाहिए
(4) सुपात्रदान करना चाहिए
(5) गुणानुरागी बनना चाहिए
(6) जिनवाणी का श्रवण करना चाहिए
परमात्मा की पूजा का महत्व बताते हुए परम पूज्य गुरुदेव पन्यास श्री पुण्य रक्षित विजय जी महाराज साहब ने बताया कि परमात्मा की पूजा करने से उपसर्गों का क्षय होता है कष्टों की बेड़िया कट जाती है और मन की प्रसन्नता बढ़ती है परमात्मा के दर्शन से दरिद्रता का नाश होता है वंदन से मनोकामनाओ की पूर्ति होती है और पूजन से पूजक भी स्वयं परमात्मा बन सकता है परमात्मा साक्षात कल्पवृक्ष समान हे प्रथम तीर्थाधिपति श्री आदिनाथ परमात्मा के जन्म एवं दीक्षा कल्याणक के प्रसंग के निमित्त आज पूज्य गुरुदेव ने कल्याणक की महिमा का यशोगान किया गुरु व भक्तों की सेवा से “पाप- ताप और संताप” तीनों दूर होते हैं “जीवदया जैनो की कुलदेवी है” जीवो की दया से अपने को दीर्घायुष्य, श्रेष्ठरूप,पंचेन्द्रिय के परिपूर्ण शरीर की प्राप्ति होती है!
साधु संतों को सुपात्र दान से सम्यक दर्शन की प्राप्ति होती है गुणानुरागी बनने से अपने स्वयं के जीवन में भी गुणों की प्राप्ति होती है एवं जिनवाणी श्रवण से विचार परिवर्तन आचार परिवर्तन स्वभाव परिवर्तन एवं जीवन परिवर्तन होता है नित्य जिनवाणी श्रवण से मन को भी परम शांति मिलती है।
आज के प्रवचन के समापन अवसर पर पन्यास श्री पूण्यरक्षित विजय जी महाराज साहेब ने धर्म सभा में उपस्थित सभी श्रद्धालुओं को कहा था कि शाश्वत श्री शत्रुंजय महातीर्थ में कभी भी रात्रि भोजन नहीं करना चाहिए इस बात को सुनते ही प्रवचन में उपस्थित सैकड़ों श्रावक श्राविकाओं ने खड़े होकर गुरु भगवंत के पास रात्रि भोजन त्याग का नियम ग्रहण किया दादावाड़ी के ट्रस्ट मंडल ने पैदल यात्रा संयोजक श्री नंदप्रभा परिवार का बहू मान किया श्री किला मंदिर जी ट्रस्ट ने भी गुरु भगवंत का उपकार माना तथा प्रवचन के अंत में सभी को ₹50 की संघ पूजन का सम्मान कर धर्मलाभ लिया इसी कड़ी में सांध्य कालीन धर्म चर्चा “जबान पर लगाम” विषय पर युवा साथियों एवं श्रावक भाइयों के लिए रखी गई एवं आष्टा जैन श्री संघ के युवाओं का साधु साध्वी भगवन की रास्ते मे विहार सेवा ग्रुप के विषय में भी गुरुदेव की निश्रा में एक सामूहिक युवानो के संग चर्चा का आयोजन हुआ आष्टा तीर्थ में जैन आचार्य की सिर्फ 2 दिन की ही स्थिरता हुई लेकिन इन 2 दिनों में अपूर्व धर्मोल्लास का वातावरण निर्मित हो गया सकल जैन श्री संघ ने चातुर्मास करने की विनम्र आग्रह पूर्ण विनती की पूज्य गुरुदेव का मांगलिक विहार 26 मार्च को आष्टा से होगा जो की 29 मार्च को सीहोर और 31 मार्च को भोपाल शहर में प्रवेश करने की पूर्ण संभावना है भोपाल जैन संघ ने जैन आचार्य के आगमन निमित्त तैयारियां शुरू कर दी है भोपाल में 2 दिन जैन आचार्य द्वारा ज्ञान की गंगा प्रवचन के माध्यम से बहेगी।
आज पूज्य गुरुदेव के प्रवचन में अपूर्व घटना घटित हुई जब जैन तीर्थों में रात्रि भोजन त्याग करने का नियम सैकड़ों श्रावक श्राविकाओं ने करबद्ध खड़े होकर सहर्ष स्वीकार किया! जिसे पूज्य गुरभगवंतो की गुरु सेवा और गुरु की वाणी सर आंखों के रूप में आष्टा श्री संघ ने स्वीकार कर पूज्य गुरभगवंतो के चरणों मे अपनी पुष्प वन्दना अर्पित की!