प्रेम जोड़ता और भ्रम तोड़ता, संबंध को बनाने के लिए समर्पण करना पड़ता है-अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- प्रेम जोड़ता और भ्रम तोड़ता है। कभी संबंध बनाने है तो प्रेम प्यार में हारना पढ़ता है। जिससे प्यार करते है, उससे हारने में मजा आता है। प्रेम में जीत भी हार बन जाती है, इस भाव को परिवार में बनाए रखना चाहिए। सास अपनी बहू की गलती को माफ करे और उसे अपने अनुभव से समझाना चाहिए। जिससे परिवार में कोई विवाद की स्थिति निर्मित नहीं हो। भगवान शिव और पार्वती की चौसर खेल का वर्णन किया। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ कुबेरेश्वरधाम में

जारी सात दिवसीय आन लाइन शिवपुत्री शिव महापुराण के पांचवें दिवस पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे। उन्होंने कहाकि भगवान शिव जी पर एक लोटा जल चढ़ा देने मात्र से ही हमारी सभी इच्छाएं और मनोकामना पूरी हो जाती हैं। इसके लिए आवश्यक है कि हम जल निष्कपट भाव से चढ़ाएं। यहां पर आए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का कहना है कि हमारे संकट शिव पर विश्वास के साथ कथा सुनने के बाद दूर हो गए। वे यहां पर चिट्ठी लिखकर भी लाते हैं। वह कहते हैं कि जो काम दवाई नहीं कर पाई वो पंडित जी की कथा सुनकर भगवान भोले को एक लोटा जल अर्पित करने से पूरी हो गई। पंडित प्रदीप मिश्रा ने अपनी कथा में ऐसे कई श्रद्धालुओं की

चि_ियां का जिक्र किया। मंगलवार को कथा के पांचवे दिवस भोपाल से आई एक श्रद्धालु सोनम राजपूत गोलू राजपूत का पत्र पढ़कर सुनाया। जिसमें लिखा था-बाबा पर विश्वास के कारण उनको संतान की प्राप्ति हुई है। वह धाम पर आई और सेवा के साथ पूजा अर्चना की और उसके बाद भगवान शंकर ने संतान का सुख प्रदान किया। इसके अलावा राजस्थान से आए दीलिप माली ने बताया कि हमारा जर्जर मकान धन के अभाव में ऐसा ही था, जिससे हमें बहुत परेशानी होती थी, लेकिन जब उन्होंने आन लाइन कथा सुनकर धाम पर जाकर कामना की, उन्होंने कहाकि परिवार वालों का धंधा अच्छा चलने लगा और

लाभ होने के कारण इस जर्जर मकान का अच्छे से निर्माण कार्य पूर्ण हो गया। इस तरह के अनेक पत्रों का वर्णन गुरुदेव ने अपनी कथा के दौरान किया।
भगवान शिव पर भरोसा और विश्वास रखो
जन्म, मरण एवं परण सभी भगवान के हाथ में है। मनुष्य की देह बहुत मुश्किल से मिलती है। आज जो जीवन हमें मिला है उसे व्यर्थ ना गवाएं। छोटे-छोटे बच्चों को संस्कारित कर राष्ट्रहित की सोच के साथ अपने सनातनी धर्म की ओर अग्रसर करें। इस संसार में गुरु चमत्कार करने वाला नहीं भगवान से मिलाने वाला होना चाहिए। भगवान शिव पर भरोसा और विश्वास रखो। चमत्कार तो कुछ दिनों चलता है, लेकिन भगवान शिव को

नमस्कार करने वाला हमेशा मस्त रहता है। हमें भक्त की तरह भक्ति करना चाहिए। उन्होंने कहाकि जिस तरह से अनाज का व्यापारी अनाज देखकर पहचान जाता है, दूध का धंधा करने वाला दूध देखकर जान लेता है कि मावा कितना बनेगा, उसी प्रकार सत्गुरु अपने दरबाजे पर आने वाले भक्त का भविष्य क्या होगा, उसके बारे में पहचान जाता है। हम पर एक अंश मात्र भी भगवान शिव की उदारता, करुणा होती है तो हमारा जीवन सफल हो जाता है। उन्होंने मनुष्य देह के बारे में विस्तार से वर्णन करते हुए कहाकि नेत्र, वाणी और श्रवण करने की शक्ति हमें ईश्वर के द्वारा प्रदान की गई है।

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