updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- शासकीय सेवा और वह भी राजस्व विभाग की सेवा की दृष्टि से कठिन, परंतु अन्य अर्थों में बड़ी उपयोगी सेवा मानी जाती है। जी एल विश्वकर्मा ने अपने संपूर्ण शासकीय सेवाकाल में जिला मुख्यालय एवं तहसील मुख्यालय पर जो सेवाएं दी है, वह सदैव याद की जाएगी। उन्होंने आमजन की छोटी-छोटी समस्याओं को अपने कुशल व्यवहार एवं सूझबूझ के बल पर आसान बनाया। वे एक अति व्यवहारिक, अपने काम के प्रति निष्ठावान, मृदुभाषी एवं तकनीकी कौशल की परख में अपने वरिष्ठ अधिकारियों के भी अति आत्मीय रहे।
श्री विश्वकर्मा ने अपने लंबे कार्यकाल में उन्होंने जनसेवा को अपना कर्म मानकर पूरी ईमानदारी से सेवाएं दी। उन्होंने शासकीय सेवा के कार्य के साथ प्रभु प्रेमी संघ के भी सक्रिय सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं देते रहे एवं पूज्य स्वामी अवधेशानंद गिरी जी के कृपा पात्र शिष्य रहे। अपने परिवार एवं पुत्रों को भी उन्होंने अपने अनुभवों का लाभ देकर सुसंस्कारित एवं प्रतिभावान बनाया। प्रभु प्रेमी संघ श्री जी एल विश्वकर्मा का सम्मान कर अपने आपको बहुत गौरवान्वित महसूस कर रहा है। उनका शेष जीवन यशस्वी रहे हुए, प्रसन्न रहे तथा लोक कल्याण के लिए कार्य करते रहे, यही हमारी प्रार्थना है।
उक्त आशय के उद्गार पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष एवं प्रभु प्रेमी संघ के संयोजक कैलाश परमार ने उनके बिदाई समारोह में व्यक्त किए। प्रभु प्रेमी संघ के महासचिव प्रदीप प्रगति ने प्रभु प्रेमी संघ की ओर से सम्मान पत्र भेंट एवं शाल ओढ़ाकर किया। सम्मान पत्र का वाचन वरिष्ठ समाजसेवी लोकेंद्र बनवट ने किया। इस अवसर पर प्रभु प्रेमी संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष द्वारकाप्रसाद मंडलोई, देवबगश मेवाड़ा, अनिल प्रगति, पूर्व पार्षद नरेन्द्र कुशवाह,संजय जैन किला, सुरेन्द्र परमार एडवोकेट, शुभम शर्मा, राज परमार, पल्लव प्रगति एडवोकेट, रमेश विश्वकर्मा, प्रशांत विश्वकर्मा, दीपक विश्वकर्मा सहित शासकीय कर्मचारी, समाजजन, परिवारजन, रिश्तेदार आदि उपस्थित थे।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- सीहोर स्थित जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के सभाकक्ष में पूर्व कलेक्टर एवं बैंक प्रशासक श्री प्रवीण सिंह का विदाई समारोह एवं नवागत कलेक्टर एवं बैंक प्रशासक श्री बालागुरू के का स्वागत समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर पूर्व कलेक्टर एवं बैंक प्रशासक श्री प्रवीण सिंह ने कहा कि सभी बैंक अधिकारियों एवं कर्मचारियों का किसानों और ग्राहकों के लिए संवेदनशील व्यवहार होना चाहिए। यदि कोई भी अपनी समस्या लेकर आया है तो उसकी समस्या का एक ही बार में निराकरण होना चाहिए ताकि उन्हें बार-बार परेशान न होना पड़े।
इसके लिए उन्हें सही जानकारी देकर और उसके कार्य की समयसीमा बताकर संतुष्ट करने का प्रयास करना चाहिए। सहकारी बैंक से अधिकतर किसान एवं ग्रामीण जन जुडे हुए हैं, इसलिए उनकी हर संभव सहायता की जाना चाहिए ताकि उन्हें किसी भी काम के लिए परेशान न होना पड़े, क्योंकि हमारा मुख्य उद्देश्य सहकारिता के माध्यम से सर्वांगीण विकास करना है। समारोह में नवागत कलेक्टर एवं बैंक प्रशासक श्री बालागुरू के ने अपने स्वागत के लिए सभी को धन्यवाद देते हुए पूर्व कलेक्टर श्री सिंह द्वारा किए जा रहे सहकारिता से संबंधित उत्कृष्ट कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए कहा, उन्होंने कहा कि सहकारी बैंक का दायरा बड़ा है,
इसके माध्यम से हम समाज के हर वर्ग से जुड़कर उन्हें लाभ पहुंचा सकते हैं। इसके लिए हमें बैंक हित के साथ-साथ ग्रामीणों के हितों का भी ध्यान रखना होगा। बैंक कर्मचारी अपनी ओर से सहकारिता के क्षेत्र में अच्छा कार्य करें, कोई भी समस्या होने पर उसका त्वरित निराकरण कराया जाएगा। समारोह में बैंक के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री पीएन यादव ने नवागत कलेक्टर श्री बालागुरू के एवं पूर्व कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह को शाल-श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर उन्हें सम्मानित किया। समारोह में सहकारिता उपायुक्त श्री सुधीर कैथवास, जिला विपणन अधिकारी श्री प्रशांत वामनकर, वेयर हाउस प्रबंधक श्री सूर्यवंशी सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- धन की तीन गति होती है, दान, उपभोग और नाश। दानपुण्य करने वाली गति सबसे श्रेष्ठ होती है। दूसरी गति स्वयं और परिवार पर खर्च करना और तीसरी गति अपने धन को दूसरे के द्वारा खर्च करते हुए नष्ट करना। उक्त विचार शहर के ब्रह्मपुरी कालोनी स्थित चमत्कालेश्वर महादेव मंदिर में समस्त महिला मंडल ब्रह्मपुरी कालोनी के तत्वाधान जारी संगीतमय सात दिवसीय नर्मदा पुराण के तीसरे दिन कथा व्यास पंडित चेतन उपाध्याय ने नर्मदा पुराण और दान की महिमा पर प्रकाश डाला। मां नर्मदा के दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
शुक्रवार को पंडित श्री उपाध्याय ने कहा कि आज की भाग दौड़ की जिंदगी में लोग आधुनिक भौतिक सुख अर्जित करने के लिए पैसा कमाने के पीछे पड़े हुए है, जबकि असली कमाई भागवत नाम है। पैसे की तीन गति बताई गई है। दान, भोग और विनाश। धन किसी भी अवस्था में स्थिर नहीं रह सकता है। जिसके लिए पैसे को देव कार्यों में खर्च करना चाहिए। इससे इस लोक और परलोक में भी सूख देता है। नर्मदा पुराण के तीसरे दिन भगवान श्री गणेश और कार्तिकेय के जन्म की कथा के अलावा नर्मदा के तटों का वर्णन किया गया।
उन्होंने कहा नर्मदा को हम सभी मां का दर्जा देते हैं,
लेकिन वास्तविकता में हम सभी ही उनके समाप्त होने का कारण बन रहे हैं। इस नदी का पौराणिक, आध्यात्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक महत्व है, इसलिए प्रदेश के बहुत से लोग इनसे जुड़े रोजगार पर निर्भर है और इन्हीं उद्योगों के कारण मां नर्मदा प्रदूषित भी हुई। उन्होंने कहा सभी संकल्प करें कि जिस किसी भी कारण से मां नर्मदा प्रदूषित होती है, हम सभी उस कारण का समाधान ढूंढकर प्रदूषित होने से बचाएंगे। अन्यथा आने वाली नव पीढ़ियों के लिए प्रदूषण रुपी दानव पूरे शुद्ध वातावरण को दूषित कर देगा। पंडित श्री उपाध्याय ने कहा कि गणेश जी प्रथम पूज्य हैं और इससे संबंधित एक कथा है।
शास्त्रों के मुताबिक, एक दिन गणेश जी और कार्तिकेय स्वामी के बीच प्रतियोगिता हुई कि कौन सबसे पहले संसार का चक्कर लगाकर लौटता है। कार्तिकेय स्वामी का वाहन मयूर यानी मोर है और गणेश जी का वाहन चूहा है, जो कि मोर की अपेक्षा बहुत धीरे चलता है। कार्तिकेय तो अपने वाहन मयूर पर बैठकर उड़ गए, लेकिन गणेश जी का वाहन चूहा है तो उन्होंने विचार किया कि अगर मैं चूहे पर बैठकर संसार की परिक्रमा करूंगा तो बहुत समय लग जाएगा, कार्तिकेय ये प्रतियोगिता जीत जाएंगे। उन्होंने कुछ सोचा और फिर शिव-पार्वती की परिक्रमा करनी शुरू कर दी। गणेश जी ने कहा कि मेरा संसार को मेरे माता-पिता ही हैं।