updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- नगर के शास्त्री कॉलोनी स्थित परसराम कम्प्लेक्स पर प्रांतीय कुशवाहा समाज प्रदेश अध्यक्ष योगेश मानसिंह कुशवाहा के संदेश अनुसार प्रदेश के सभी जिला एवं तहसील स्तर पर सावित्री बाई फुले की जन्म जयंती मनाई जा रही है शुक्रवार को कुशवाहा समाज जिला अध्यक्ष नरेंद्र कुशवाह पूर्व पार्षद कार्यालय में सावित्रीबाई फुले के छायाचित्र पर कुशवाहा समाज पटेल जगदीश कुशवाहा एवं कुशवाहा समाज के पूर्व पटेल किशोरी लाल कुशवाहा ने माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया।
सावित्रीबाई फुले इतिहास के पन्नों में एक चमकता हुआ नाम है। वह एक असाधारण महिला थीं जिन्होंने अपना जीवन भारत में महिलाओं और दबे-कुचले समुदायों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए बिताया। सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के नायगांव में हुआ था सावित्रीबाई का बचपन गरीबी और भेदभाव में बीता, क्योंकि वह निम्न जाति के माली (पिछड़ा वर्ग ओबीसी) समुदाय से थीं। सावित्रीबाई फुले इतिहास के पन्नों में एक चमकता हुआ नाम है श्री कुशवाहा ने अपने उद्बोधन में कहा एवं अखिल भारतीय कुशवाहा महिला महासभा प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती गीता नरेंद्र कुशवाहा ने संबोधित करते हुए बताया कि
सावित्रीबाई फुले के सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से एक महिलाओं की शिक्षा में उनका अग्रणी प्रयास था कई चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, सावित्रीबाई में ज्ञान की प्यास थी जिसने उन्हें शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित किया हम महिला शक्तियों को भी हमारे जीवन में सावित्रीबाई फुले के आचरण को उतारना चाहिए है इस अवसर पर मां पार्वती धाम गौशाला कोषाध्यक्ष संजय सुराणा, शुभम कुशवाहा, राज कुशवाहा, अमरचंद कुशवाहा, हेमराज कुशवाहा, रवि कुशवाहा, मातृशक्ति पार्वती बाई कुशवाहा,अनीता महाडिक, पूजा कुशवाहा, हेमलताकुशवाहा, गायत्री कुशवाह, मंजू कुशवाहा, आशा कुशवाहा आदि मातृशक्ति उपस्थिति रही।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- श्रद्धालु को भागवत कथा के आमंत्रण की प्रतिक्षा नहीं करनी चाहिए बिना बुलाए प्रभू कथा में पहुंचना चाहिए और संसार व्यवहार में बिना आमंत्रण के कहीं जाना नहीं चाहिए क्योंकी बिना बुलाए जाने से अपमान मिलता है। शिव बाबा की बिना आज्ञा के राजादक्ष के द्वारा आयोजित यज्ञ में माता सती पिता मोह में पहुंच गई थी तब राजादक्ष के द्वारा अपने पति शिव बाबा का त्रिस्कार अपमान सती माता सहन नहीं कर पाई और यज्ञकुंड में ही कूदकर भस्म हो गई। उक्त उद्गार शनिवार को हनुमान फाटक मंदिर परिसर कस्बा में चल रही
संगीतमय श्रीमद भागवत कथा महापूराण के तीसरे दिन शनिवार को भागवत भूषण पंडित रवि शंकर तिवारी ने श्रद्धालुओं को भगवान की भक्ति की महीमा बताते हुए कहीं। पंडित रवि शंकर तिवारी ने कहा की भगवान की भक्ति प्रहलाद की तरह करनी चाहिए भक्त प्रहलाद को उनके राक्षस पिता ने असुर नीति सिखाने की कोशिश की परंतु प्रहलाद ने सबको नारायण की भक्ति सिखा दी थी प्रहलाद की भक्ति इतनी शक्तिशाली थी की भगवान को उनके आहवान करने पर खंम्भे से भी प्रकट होना पड़ा था। भगवान की कृपा के लिए हमेें प्रहलाद की भांति सरल होने की आवश्यकता है।
श्री तिवारी ने कहा की प्रभु की कथा सुनने की कोई आयू नहीं होती है कथा वृद्धों के लिए नहीं बच्चों और युवाओं के लिए होती है वृद्ध अपनी आयू पूरी कर चुके होते है जबकी बच्चों को पूरा जीवन जीना होता है। कथा में बच्चों भी माता पिता को लाना चाहिए और युवाओं को भी कथा में समय निकाल कर आना ही चाहिए जिस से की समय पर बुरी संगति पर अंकुश लग जाए और भगवान की कृपा से लोक परलोक बच्चों का सुधर जाए। पं रवि शंकर तिवारी ने कथा में बुजुर्गो के महत्व को बताते हुए कहा की
बुजुर्गो का सम्मान अब काफी कम हो गया है। जिस घर में परिवार में वृद्धों का सम्मान नही होता है वह प्रगतिकाल भी समाप्त होता है। बारात में अब बुजुर्गो को लेजाना पंसद नही करते है अब विवाह में केवल हल्दी, मेहंदी महिला संगीत ही रह गया है। बारात में युवाओं कारण लड़ाई झगड़े हो रहे है। विवाह में अब आधुनिक कुरीतियां बढ़ती जा रही है। कथा के दौरान शिव पार्वती विवाह सम्पन्न कराया गया। श्रद्धालुओं महिलाओंं के द्वारा माता पार्वती के पेर पूजन किया गया। मुख्य यजमान राजपूत परिवार के द्वारा भागवत जी की विधिवत पूजा अर्चना की गई। रविवार को भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव मनाया जाएगा।