update news247.comधंनजय जाट आष्टा 7746898041- जगद्गुरु शंकराचार्य 1008 श्री शारदानंद सरस्वती जी के श्री चरणों से आष्टा नगर में मानस सम्मेलन 25 वर्षों बाद श्री दिनेश जी सोनी की अध्यक्षता में सभी जनमानस के सहयोग से सत्र 2022 में शुरू किया गया था, उसी समय श्री जगद्गुरु कांगड़ा पीठाधीश्वर शंकराचार्य 1008 श्री शारदानंद जी सरस्वती जी की इच्छानुसार मानस भवन को और भी सुव्यवस्थित बनाने की इच्छा जाहिर की गई थी। आज तृतीय वर्ष में जब आदरणीय शंकराचार्य जी का पुनः आष्टा मानस सम्मेलन में आगमन हुआ तब तक समिति द्वारा जन सहयोग से, दो A.C. कमरों का एवं एक A.C. हाल का निर्माण किया गया
जिसका की पूज्यनीय शंकराचार्य जी द्वारा उदघाटन किया गया इसी के साथ सन 2025 माह फरवरी में प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ में सभी भक्त जनों को आने का आह्वान भी किया। श्री राम जी ने अयोध्या को अपने स्वभाव और शील से जीता हे- पंचम दिवस सोपान में पूज्य दीदी श्री रश्मि शास्त्री ने अपनी कथा की शुरुवात भगवान राम के स्वभाव का वर्णन करते हुवे बताया कि, श्री भरत कहते है, प्रभु श्री राम जी को किसी में दोष दिखाई देते ही नहीं हे। भगवान राम, भरत से कहते हे कि, भरत मुझे किसी में दोष दिखाई दे, न दे सब में मुझे भक्त नजर आते हे। आगे कहा कि दुनिया कैकई माता को दुनिया निंदनीय कहती हे, बुरा भला कहती हे।
श्री रश्मि जी शास्त्री बताती हे कि, कैकई निंदनीय है परन्तु बाहरी रूप में। परंतु आंतरिक रूप से कैकई वंदनीय है- केकई यदि न होती, तो श्री राम केवल अयोध्यानाथ बन कर ही रह जाते, कभी विश्वनाथ नहीं बन पाते। केकई राम से इतना प्रेम करती हे कि, जब भी वे पूजा करती थी ,भगवान से, कहती थी जब भी मेरा जन्म हो, और में नारी के रूप में जन्म लू तो, श्री राम मेरे बेटे बने और सीता मेरी बहु बने। ऐसी थी केकई मां, एक बार कैकई मा ने राम को बुलाकर कहा कि में तुम्हे इतना प्यार करती हु, तुम्हारा इतना ख्याल रखती हूं, फिर भी तुम इतने दुबले कैसे हो रहे हो।
श्री राम ने कहा कि मा में अपने दुबले होने का रहस्य बताता हु, पर यह बात किसी को बताना नहीं, तब राम ने कहा कि मां मेरा जन्म निशाचरओं का नाश करने के लिए हुआ है (निश्चर हिन कुरु में धरती)और आप मुझे बाहर जाने ही नहींदती हे। यदि में बाहर नहीं। जाऊंगा तो निशाचरों का अंत कैसे करूंगा, इसलिए मा आपको कठोर बनना होगा और मेरे लिए वनवास मांगना पड़ेगा।
माता की आंखों में अश्रु बह निकले, और कहा कि यह में कैसे कर पाऊंगी लोग मुझे दोष देंगे, तब श्री राम ने कहा कि मा जग कल्याण के लिए आपको ऐसा करना पड़ेगा, और में आपको कभी दोषी नहीं दूंगा, परन्तु माता ने बचे की इच्छा मानते हुवे पूछा कि यह मुझे कब करना पड़ेगा, तब श्री राम जी ने कहा कि, जब समय आएगा तब में आपको बताऊंगा और समय
आने पर भगवान श्री राम ने माता सरस्वती जी का आह्वान किया और कहा, अब समय आगया हे निशाचरों के अंत के लिए बन जाना होगा। आप माता केकई से ऐसा कहलाए की चौदह वर्ष के लिए राम वन में जाए ।तो कहने का तात्पर्य यही हे यह सब लीलाएं भगवान राम की रचाई हुई ,थी जग कल्याण के लिए ,और निशाचरों को धरती विहीन।करने के लिए प्रभु निजी लीला रचाई थी ,इसलिए कहा हे कि केकई मां का दोष नहीं था ।और भगवान राम।का सरल स्वभाव ही था जो उन्होंने कैकई मां पर कभी दोष नहीं दिया,और अपनी मां से बढ़कर कैकई मां को पूछते थे
श्री राम से मरणासन्न दशानंद ने कहां की जीत कर भी हार आपकी हुई हे- श्री शंकराचार्य जी महाराज ने अपने उद्बोधन में बताया कि जिस दशानंद के चलने से पूरी धरती डोल जाती थी, (चलत दशानंद डोलत धारणी), ब्रह्मा मेरे यहां आकर वेद मंत्र का उच्चारण करते थे, अग्नि देवता मेरे यहां रसोई बनाते थे ,वरुण देवता लंका में जल भरने का कार्य करते थे ,पवन देवता लंका हवा देने का कार्य करते थे, यही नहीं मेरे गुरु भगवान शंकर हमेशा लंका में दर्शन देते थे। रावण ने कहा कि इसके बाद भी मेरे हार का और आपकी जीत के पीछे कारण क्या है, मेरी सेना में, दल, बल,संख्या, अधिक थे लेकिन क्या कारण है कि इस विराट युद्ध में हमारी पराजय और आपकी विजय हो गई है यह मेरे प्रश्न है रावण का प्रश्न था।
भगवान श्री राम कहते हैं कि मेरे विजय और तुम्हारे हार का कारण यह है, कि मेरे जीवन में चरित्र है, और चरित्र की वजह से जीत हुई है। रावण यही कारण है , जिसके जीवन में चरित्र हे उसकी कभी पराजय नहीं होती हे।
रावण ने राम से कहा कि में हार कर भी जीत गया हु।आप जीत कर भी आप हार गए हो मेने भी एक वचन लिया था, कि जब तक आपके चौदह वर्ष पूरे न होंगे तक तक आपको किसी नगर में प्रवेश नहीं करने दूंगा। और मेने आज अपने वचन का पालन किया हे अपने अंतिम समय में चौदह वर्ष पूर्ण होने तक आपको नगर में प्रवेश नहीं करने दिया मेने आपके वचन को बचाने में आपका साथ दिया हे इसलिए में हार कर भी जीत गया हु।
जब रावण ने ऐसा कहा तब स्वर्ग से विमान आया और रावण को स्वर्ग ले कर गया।
इसलिए रावण की हार कर भी जीत हुई। आज सम्मेलन के विराम दिवस पर सभी महिला, मंडल समस्त समाज अध्यक्षों द्वारा स्वागत किया गया। कार्यक्रम में विशेष रूप से सम्मिलित हुवे, आष्टा विधान सभा विधायक गोपाल सिंह इंजीनियर, भाजपा जिला अध्यक्ष रवि मालवी जी, पूर्व विधायक रघुनाथ सिंह मालवी, धारा सिंह पटेल, ऋतु जैन, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती हेम कुमार मेवाड़ा, राकेश सुराना, बी एस वर्मा, प्रेमनारायण शर्मा, दीपेश पाठक, रवि सोनी, दिनेश जी सोनी,कृपाल सिंह पटड़ा, सुशील संचेती पत्रकार, राजीव गुप्ता, पत्रकार धनंजय जात पत्रकार, दिनेश शर्मा पत्रकार, नवीन सोनी पत्रकारमंच का सफल संचालन द्वारिका प्रसाद सोनी द्वारा किया गया।