updatenews247.com धनंजय जाट सीहोर 7746898041हमें परमात्मा मिलन और सत्कर्म करने के लिए भगवान को खोजना पड़ता है। मानव जीवन मिलने के बाद भगवान को मनाने की हमें कोशिश करते रहना चाहिए। जब हम संसार की मोह माया त्याग कर प्रभु की शरण में मंदिर जाएं और इसे अपने जीवन में आत्मसात करें। उक्त विचार शहर के सिंधी कालोनी स्थित विशाल मैदान में गोदन सरकार सेवा समिति हनुमान मंदिर सीहोर के तत्वाधान में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के चौथे दिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए

संत गोविन्द जाने ने कहे। शुक्रवार को आस्था और उत्साह के साथ भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। भागवत कथा में मालवा माटी के प्रसिद्ध संत गोविंद जाने ने संगीतमय मधुर भजनों की प्रस्तुति दी। जिसे सुनकर वहां मौजूद श्रद्धालु खुद को रोक नहीं पाए और प्रभु की भक्ति में मगन हो झूमने लगे। उन्होंने कहा कि सनातन की जागरूकता के लिए सभी को मंदिर जाना चाहिए। शुक्रवार को कथा के दौरान उन्होंने कहा कि सेवक का कर्म सबसे बड़ा है। स्वामी का कर्म एक बार छोटा हो सकता है, लेकिन सेवा का कार्य सबसे महान होता है।

संतों की सेवा सबसे बडा पुनित कार्य है। जीवन को ऊंचाइयों तक पहुंचाना है तो इसके लिए धर्म को अपनाना होगा। समाज में सुधार के लिए बच्चों एवं बुजुर्गों को कथा का श्रवण करना चाहिए संत गोविन्द जाने ने कहा कि भक्तों से कहा कि सभी धर्मों में अच्छी बातें कही गई हैं। लोग किसी व्यक्ति की बात सुने या ना सुने लेकिन सभी धर्म के संदेशों को जीवन में अवश्य अपनाना चाहिए। समाज में सुधार के लिए बच्चों एवं बुजुर्गों को कथा का श्रवण करना चाहिए। क्योंकि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करने वाले भक्तों को भगवान के प्रति भावना और

ज्यादा बढ़ जाती है और उसकी भगवान जरूर सुनता है। जिससे उसके सारे काम बनते चले जाते हैं। जीवन मंत्र और रघुकुल के संस्कारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवन में हमेशा लिखे हुए कागज की तरह ही बनो, क्योंकि लिखा हुआ कागज मूल्यवान होता हैं। अपने जीवन की किताब में अनमोल शब्द लिखने का प्रयास करो ताकि आपकी हमेशा कद्र होती रहे। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें भगवान के नाम का जाप करते रहना चाहिए, क्योंकि भगवान का नाम और उनके गुण दोनों ही सुंदर है। अनेकानेक पात्रों के द्वारा अपने धर्म अपने संस्कृति अपने राष्ट्र की रक्षा कैसे हो इसे दर्शाया है।

भारतीय संस्कृति रूपी सीता की रक्षा करने के लिए जटायु ने लंकापति रावण से मोर्चा लिया। अंत मे वीर गति को प्राप्त हो जाते है। राम के कार्य करने वाला कभी मरता नहीं अमर हो जाता है शुक्रवार को जटायु प्रसंग पर चर्चा करते हुए कहा कि पुकार सुनने के बाद जटायु ने अपनी चोंच से रावण को घायल करने की कोशिश की। वीर गति प्राप्त करने से पहले उसने भगवान के लिए संघर्ष किया। जटायु ने माता सीता से पूछा की मुझे भगवान श्रीराम के दर्शन कब होंगे तो माता सीता ने कहा कि जटायु राम के कार्य करने वाला कभी मरता नहीं है अमर हो जाता है।

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