updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- लगभग 45 वर्ष पूर्व आष्टा के तत्कालीन धार्मिक समाज सेवियों ने मानस सम्मेलन का प्रारंभ आष्टा में किया था, कुछ वर्षों का व्यवधान होने के आष्टा की आस्था ने पुनः मानस सम्मेलन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा कर इस गौरवशाली परम्परा को आगे बढ़ाया है। यह विचार आज मानस सम्मेलन समिति के स्वागत कार्यक्रम में पूर्व नपाध्यक्ष एवम मानस सम्मेलन समिति के पूर्व अध्यक्ष कैलाश परमार ने मानस सम्मेलन के अध्यक्ष मनोज ताम्रकार,

सह प्रभारी बी एस वर्मा वरिष्ठ समाज सेवी दिनेश सोनी तथा पहलवान देवकरण मालवीय का स्वागत कर व्यक्त किए। इस वर्ष का मानस सम्मेलन स्थानीय मानस भवन में दिनांक 23 से 27 दिसम्बर तक दिन में एक बजे से पांच बजे तक प्रतिदिन आयोजित है। पांच दिवसीय मानस सम्मेलन में श्री शारदा नन्द जी सरस्वती शंकराचार्य जी एवं दीदी रश्मि जी शास्त्री सहित अन्य आमंत्रित विद्वानों के प्रवचन होंगे। स्वागत कर्ताओ में अभिभाषक सुरेंद्र परमार वीरेंद्र परमार, महेंद्र परमार, रवि विश्वकर्मा भी शामिल थे।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- नगर के शहीद भगतसिंह शासकीय स्नातक महाविद्यालय आष्टा में उच्च शिक्षा विभाग के आदेशानुसार गीता जयंती कार्यक्रम बुधवार को मनाया गया। मुख्य वक्ता डॉ. दीपेश पाठक थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्रभारी प्राचार्य सुश्री वैशाली रामटेके द्वारा की गई। उन्होने गीता के बारे जानकारी सामने रखते हुए लोगों से गीता का अध्ययन करने का आह्वान किया। मुख्य वक्ता डॉ. दीपेश पाठक ने विद्यार्थियों को गीता की महत्ता के बारे में बताया। उन्होंने कहा की विश्व का एक इकलौता ग्रंथ है श्रीमद भगवत गीता, जिसकी जयंती मनाई जाती है।

यही कारण है कि गीता ग्रंथ का जन्म भगवान श्रीकृष्ण के मुख से हुआ है। बता दें कि गीता में वर्णित सभी श्लोक श्रीकृष्ण के मुख से निकले हैं। इसलिए गीता जयंती मनाई जाती है। गीता ही एक ऐसा महाग्रंथ है जो सभी धर्मो के अनुयायियों का मार्गदर्शन करता है। गीता की शिक्षा विपत्ति के समय में भी अपने मार्ग पर चलकर लक्ष्य हासिल करने मे मदद करती है। गीता में कर्म को ही पूजा का नाम दिया गया है। मनुष्य द्वारा किए जाने वाले उसके कर्म भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं। डॉ.पाठक ने आगे की कहा कर्म की अवधारणा को अभिव्यक्त करती गीता चिरकाल से आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी उस काल में थी। विचारों को तर्क दृष्टि द्वारा बहुत ही सरल एवं प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया गया है।

गीता के श्लोकों में जीवन की हर परिस्थिति का वर्णन रहस्य के साथ छुपा हुआ है, वास्तव में यह व्यक्ति के सभी धर्म एवं कर्म का ब्यौरा है। आप सभी विधार्थियों को अपने जीवन मे श्रीमद्भगवत गीता के सिद्धांतो जरूर अपनाना चाहिये। कार्यक्रम मे स्वामी गोविंद देव गिरी जी महाराज द्वारा अनुप्रेरित गीता के वीडियो का प्रसारण भी विधार्थियों को दिखाया गया। यह रहे उपस्थित- कार्यक्रम प्रभारी प्राचार्य सुश्री डॉ.वैशाली रामटेके, डॉ.सबिहा अख्तर, डॉ.कृपाल विश्वकर्मा, सुरेंद्र यादव, डॉ अमीला पटेल, डॉ.ललिता राय श्रीवास्तव, डॉ.बेला सुराणा, जगदीश नागले, जयपाल विश्वकर्मा, वैभव सुराणा, सुनील श्रीवास्तव, बने सिहं मेवाड़ा, सतेंद्र सक्सेना, सुमित भूतिया आदि स्टॉफ के सदस्य व विद्यार्थी उपस्थित थे।

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