updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- कई शासकीय एवं अशासकीय राष्ट्रीय कार्यक्रमों से लेकर समाज सेवा व शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देने वाले मध्यप्रदेश के सीहोर जिले से डॉ.महेश मेवाड़ा को राष्ट्रीय ग्रामीण विद्या रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आपको बता दे की शिक्षा के क्षेत्र से लेकर चिकित्सा के क्षेत्र में जहां चाहे वहां जन शिक्षण जन जागरण समाज सेवा हो या चिकित्सा जन जागरूकता चिकित्सा जन शिक्षा आदि में शिक्षा को लेकर कार्य करने वाले कई महानुभावों को भोपाल में ग्रामीण मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान के कार्यक्रम में श्री कृष्ण सूर्यवंशी चेयरपर्सन म्युनिसिपल कॉरपोरेट भोपाल,
मेजर जनरल श्री श्याम श्रीवास्तव,डॉ. शबाब आलम अध्यक्ष ग्रामीण मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान दिल्ली,बृजेश कुमार पांडे प्रदेश अध्यक्ष जन स्वास्थ्य रक्षक एवं आरोग्य मित्र कल्याण संगठन,जीवनलाल सेन कार्यकारी अध्यक्ष प्रांतीय जन स्वास्थ्य रक्षक कल्याण संगठन,जे.के.मालवीय प्रदेश प्रभारी जीएमवीएसएस आदि के द्वारा सम्मानित किया गया जिसमे डॉ महेश कुमार मेवाड़ा को राष्ट्रीय ग्रामीण विद्या रत्न पुरुषकार सम्मान पत्र एवं शील्ड से सम्मानित किया। इस अवसर पर अलग अलग राज्य एवं जिले से आये महानुभव,जन प्रतिनिधि एवं पदाधिकारी गण उपस्थित रहे।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी पांच दिवसीय संगीतमय शिव महापुराण के तीसरे दिन सोमवार को कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती है। किसी भी उम्र में भगवान की भक्ति कर उन्हें प्राप्त किया जा सकता है। जरूरत है केवल सच्ची श्रद्धा की। भक्ति के बिना ज्ञान अधूरा है। भक्ति के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती। बचपन से ही प्रभु सिमरन करना चाहिए। जिससे संकट में भक्तों की नैया परमात्मा पार लगा दें।
यह सब हमें भगवान के सत्संग सुनने से प्राप्त होता है। उन्होंने भगवान गणेश की भक्ति लीलाओं के साथ भगवान गणेश के जन्मोत्सव का विस्तार से वर्णन किया। मंगलवार को भगवान गणेश का जन्मोत्सव उत्साह के साथ मनाया जाएगा। पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि भावना में भाव नहीं तो भावना बेकार है और भावना में भाव है तो भव से बेड़ा पार है भगवान की भक्ति करने की कोई उम्र नहीं होती जैसे ध्रुव जी की आयु 5 वर्ष की थी जब उन्होंने भगवान की भक्ति की तो स्वयं भगवान उनको दर्शन देने के लिए गए। इसके अलावा हमारे वेद ग्रंथों और शास्त्रों में अनेक ऐसे उदाहरण है जिन्होंने कम आयु में भावपूर्ण भक्ति कर भगवान को प्राप्त किया है।
भगवान केवल भाव के भूखे हैं जो भी भगत भगवान को भाव से पुकारता है भगवान उनके घर दौड़े चले आते हैं जिस प्रकार विदुर जी ने भगवान को भाव से पुकारा तो भगवान उनके घर पहुंच गए और उनके घर केले के छिलके खाए। भगवान कभी भी किसी की वस्तु को नहीं देखते भगवान केवल भक्तों के भाव को देखते हैं। भगवान को पाने की तीन सीढ़ियां है श्रद्धा, विश्वास और समर्पण- उन्होंने कहा कि भगवान को पाने की तीन सीढ़ियां है श्रद्धा, विश्वास और समर्पण। इसी प्रकार मनुष्य के बिगड़ने के चार साधन है पहला सुंदर रूप का होना, दूसरा युवावस्था का होना, तीसरा ज्यादा संपत्ति का होना और चौथा ऊंचा पद मिल जाना।
इन चारों चीजों के साथ यदि विवेक नहीं है तो निश्चित रूप से वह व्यक्ति अनर्थ किए बिना नहीं रह सकता यदि विवेक है तो यह चारों चीजें भी व्यक्ति का कुछ नहीं बिगाड़ सकती। उन्होंने बताया कि जो विवेक है वह सत्संग से प्राप्त होता है इसलिए व्यक्ति को संतो का संग करना चाहिए। कलयुग में भव से पार उतरने के लिए सत्संग करना जरूरी है। सत्संग का मतलब सत्य पर चलना सत्य का साथ देना और पूरे परिवार को जोड़ कर रखना है। हर रोज अपने परिवार के साथ के साथ सत्संग करना चाहिए। पूरे परिवार को इक_ा करके विचार करना चाहिए आज दिन में हमने क्या गलती की और उन गलतियों को अगले दिन सुधारना चाहिए। इसी का नाम सत्संग है।