updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- दाऊदी बोहरा समाज के सबसे बड़े 53वें धर्मगुरु डॉ सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के शहर में आने की खबर से समाज में हर्ष की लहर है। यह पहला मौका होगा जब दाऊदी बोहरा समाज के सबसे बड़े 53वें धर्म गुरु आ रहे हैं। इसको लेकर बुधवार को नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर ने बोहरा समाज के पदाधिकारियों के साथ बोहरा मस्जिद का निरीक्षण कर क्षेत्र की साफ-सफाई, सड़क मरम्मत सहित पेयजल आदि के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। इस संबंध में बोहरा समाज की ओर से समाजसेवी मुर्तुजा सैफी ने बताया कि आगामी दिनों में आष्टा के साथ सीहोर में भी धर्मगुरु का आगमन होगा। इसके लिए बड़ी संख्या में उनकी अगवानी की जाएगी। इसके लिए नगर पालिका अध्यक्ष श्री राठौर ने बुधवार को बोहरा मस्जिद सहित अन्य स्थान पर पहुंचकर निरीक्षण किया है।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- क्षेत्रवासियों को नियमित रूप से शुद्ध पेयजल की पूर्ति के लिए शहर में अमृत-2 योजना में 7 टंकियां बनाई जा रही, इसको लेकर शहर के बाल विहार मैदान पर निर्माण के लिए कार्य होने वाला था, लेकिन इस मैदान पर खिलाड़ियों के अलावा सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों को देखते हुए नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर ने टंकी के काम को रोकने की पहल की है, अब शीघ्र ही परिवर्तित स्थान पर टंकी का निर्माण किया जाएगा। बाल विहार मैदान को न केवल सुरक्षित रखा जाएगा बल्कि इसे पूर्ण विकसित कर आधुनिक खेल मैदान भी बनाया जाएगा। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार अमृत-2 योजना में 7 टंकियां बनाई जा रही हैं। इससे स्टोरेज क्षमता 60 फीसदी बढ़ जाएगी।
इसी तरह 105 किमी लंबी पाइप लाइन भी बिछाई जाएगी। इससे अब प्रति व्यक्ति 100 की जगह 135 लीटर पानी दिया जा सकेगा। इन टंकियों के बन जाने से शहर की पानी की समस्या काफी हद तक सुलझ जाएगी। अभी 6 बड़ी पानी की टंकियां हैं। इसके अलावा 3 छोटी टंकियां हैं। प्रति व्यक्ति 135 लीटर पानी की जरूरत है, लेकिन अभी 100 लीटर प्रतिदिन ही मिल पा रहा है। गत दिनों अन्य क्षेत्रों में भी नपाध्यक्ष श्री राठौर के द्वारा भूमि पूजन किया गया है। बाल विहार में 20 लाख लीटर क्षमता की टंकी बनेगी, बाल विहार मैदान पर बनी पानी की टंकी को गिराया जाएगा। यह टंकी करीब 40 साल पुरानी है। इस टंकी को गिराकर इसकी जगह नई 16 लाख लीटर क्षमता की टंकी तैयार की जाएगी। अभी 10 लाख लीटर क्षमता की पानी की टंकी है। इसलिए 6 लाख लीटर क्षमता बढ़ जाएगी।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- शिव पार्वती विवाह का अर्थ ही श्रद्धा और विश्वास है। श्रद्धा और विश्वास से किया गया विवाह ही सफल माना जाता है। विश्वास के प्रतीक है शिव की महिमा का वर्णन किया। जगदंबा श्रद्धा का प्रतीक है और शिव विश्वास के प्रतीक है। इसलिए मानव के जीवन में श्रद्धा हो विश्वास होना चाहिए। बिना श्रद्धा और विश्वास के भगवान की भक्ति भी नहीं होती है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं
कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में संगीतमय भागवत कथा के दौरान पंडित शिवम मिश्रा ने कही। अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के मार्ग दर्शन में धाम पर इन दिनों आस्था और उत्साह के साथ हजारों की संख्या में प्रतिदिन श्रद्धालुओं को शिव महापुराण के साथ ही भागवत कथा के श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। सुबह दस बजे से कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा और दोपहर में कथा व्यास पंडित शिवम मिश्रा के द्वारा यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को कथा का श्रवण कराया जा रहा है।
मंगलवार को भागवत कथा के दूसरे दिन पंडित शिवम मिश्रा ने भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए माता ने अनेक सालों तक कठिन तप किया था। इसी भक्ति और तप के प्रभाव से मां पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त किया। भगवान की प्राप्ति के लिए ज्ञान और बुद्धि की नहीं भाव की शुद्धि की आवश्यकता होती है। पूर्व जन्मों के पाप का ही प्रभाव होता है कि कथा बीच में छूट जाती है। भगवान की कथा मन से नहीं सुनने से जीवन में धार्मिकता नहीं आ पाती।
कथा सुनने से चित्त पिघलता है और पिघला चित ही भगवान को अपने में बसा सकता है। श्री शुक देव द्वारा चुपके से अमर कथा सुन लेने के कारण जब भोले बाबा शंकर ने उन्हें मारने के लिए दौड़ाया तो वह एक ब्राह्मणी के गर्भ में छुप गए। कई वर्षों बाद व्यास के निवेदन पर भगवान शंकर इस पुत्र के ज्ञानवान होने का वरदान देकर चले गए। भागवत कथा का श्रवण करने से हमारे पापों का अंत होता है, भागवत वही अमर कथा है, जिसे भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाया था।
कथा सुनना भी सबके भाग्य में नहीं होता है, जब भगवान भोलेनाथ से माता पार्वती ने अमर कथा सुनाने की प्रार्थना की तो बाबा भोलेनाथ ने कहा कि जाओ पहले यह देखकर आओ की कैलाश पर तुम्हारे या मेरे अलावा कोई और तो नहीं है। क्योंकि, यह कथा सबके नसीब में नहीं होती है। माता ने पूरे कैलाश पर नजर दौड़ाई, लेकिन उनकी नजर शुक के अपरिपक्व अंडों पर नहीं पड़ी। भगवान शंकर ने पार्वती को जो अमर कथा सुनाई वह भागवत कथा ही थी। लेकिन, कथा के बीच ही माता पार्वती को नींद आ गई और शुक ने पूरी कथा सुन ली। दूसरे दिन भागवत कथा में अमर कथा व शुकदेव के जन्म का वृतांत विस्तार से सुनाया।