updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- संस्था माॅडर्न पब्लिक हायर सेकेण्ड्री स्कूल में आज दिनांक 19/10/2024 को प्रायमरी विंग फेन्सी ड्रेस प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण कायर्क्रम किया गया। जिसमें कक्षा-1ली से अदिति परमार प्रथम, रोशन कुशवाह द्वितीय, नीसाद मेव तृतीय रहे। तथा कक्षा-2री से कनक वर्मा प्रथम, आराध्या पंवार द्वितीय, मितुल वर्मा तृतीय रहे। प्रतियोगिता में बच्चो के द्वारा विभिन्न तरह की वेशभूषा में हिस्सा लिया गया। जिसमें बच्चों ने पुलिस जवान, फौजी जवान, डाॅक्टर, शिक्षक, स्वतंत्रता सैनानी, नेता, पुजारी, मौलवी, राधा कृष्ण, परी, राजकुमारी, राजा, किसान आदि वेषभूषा पहन कर सभी का मनमोह लिया।
संचालक मंडल व शाला परिवार के मार्गदर्शक श्री शंकर लाल परमार, श्री कुंवर लाल परमार, श्री भीम सिंह ठाकुर एवं समिति अध्यक्ष श्री अभिषेक परमार, प्राचार्य श्री शैलेन्द्र सिंह ठाकुर, उपप्राचार्य विकास चौरसिया, बी.एल. मालवीय, रवि पाठक, संदीप जोशी, राजेश बड़ोदिया, रजत धारवा, पंकज ठाकुर, जितेन्द्र पोरवाल, अनीता परमार, निमर्ला सारसिया, करिश्मा चौपड़ा, अंजली चौरसिया, अंजु नावड़े, रचना ठाकुर, नीता सक्सेना, इशा जैन, इतिका चौहान प्रियंका सारसिया, पायल ठाकुर, अवनि जैन, पूजा ठाकुर आदि शिक्षक शिक्षिकाओं ने बच्चो के उज्जवल भविष्य की कामना की।
updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- दान देकर व्यक्ति को कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। बल्कि अपने को सौभाग्यशाली समझें।पाप से अर्जन धन को पुण्य में बदलने हेतु कम से कम एक जिनबिम्ब विराजित करें और शक्ति है तो भव्य जिनालय अवश्य बनवाएं, पंचकल्याणक महोत्सव कराएं। सामर्थ्य कम है तो विधान कराएं, मरीजों की सेवा करें।आज के श्रावक टेढ़ी बुद्धि वाले हैं। पहले के श्रावक बहुत ही सीधे व सरल स्वभावी होते थे। सभी को नित्य प्रतिक्रमण करना चाहिए।
जैन धर्म के चौबीस तीर्थंकरों में किसी भी तीर्थंकर के वैभव में जरासा भी अंतर नहीं है।जो मनुष्य भक्ति व शक्ति पूर्वक है तो कम से कम एक जिनबिम्ब मंदिर में विराजित करें।हवा, पानी और साधु किसी के रुकने से नहीं रुकते।जो झुकते हैं उनका विकास होता है। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं।मुनिश्री ने कहा जिनबिम्ब का कितना महत्व है कि छोटे से पत्ते एवं जो के बराबर जिनबिम्ब स्थापित करते हैं उसका पुण्य इतना मिलता है कि उस पुण्य को सरस्वती भी बखान नहीं कर पाती है।
प्रतिमा विराजमान कराई है तो उन्हें प्रतिदिन भगवान के अभिषेक अवश्य करना चाहिए,तभी पुण्य अर्जन होता है। किसी तीर्थ स्थल या किसी क्षेत्र में प्रतिमा विराजमान की है वहां सालभर में कम से कम एक – दो बार अभिषेक, शांति धारा व पूजन कर दान भी करें। पंचकल्याणक महोत्सव में सहयोग राशि देवें और भगवान के माता-पिता व सौ धर्म इंद्र व कुबेर इंद्र अवश्य बनना चाहिए। धर्म प्रभावना भी अवश्य करें। आदिनाथ भगवान की जयंती भी महावीर भगवान के अनुसार मनाना चाहिए। आदिनाथ भगवान ने ही सब-कुछ दिया है। अभी शासन महावीर भगवान का चल रहा है।
मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने आगे कहा कि प्रकृति में व्यक्ति सम्यकत्व प्राप्ति हेतु कुछ न कुछ प्रयास करता है। गुरु के पास जाता है। गुरु कहते हैं कि जो भगवान ने बताया है उसे ग्रहण करोंगे तो जिंदगी संवर जाएगी।अर्थ बिना सब व्यर्थ है। अर्थ पुरुषार्थ करें ,लेकिन धर्म मय करें। अर्थ पुरुषार्थ पाप बढ़ाने में निमित्त बनता है।पाप करने से कर्म बंधेंगे और उसका प्रक्षालन दान करके कर सकते हैं। गरीब, असहाय लोगों का दीपावली त्यौहार अच्छी तरह मनाने के लिए वस्त्र व मिठाई सकल दिगम्बर जैन समाज ने देने की व्यवस्था की है।
आपने कहा कि मुनिश्री निष्कम्प सागर महाराज की प्रेरणा से एवं चारों मुनि राजों की अनुमोदना से अच्छा काम दिगंबर जैन समाज आष्टा इस साल दीपावली पर करने जा रहा है। और उस दिन गरीबों, असहाय लोगों के चेहरे की मुस्कान देखने लायक होगी, वहीं उनकी दुआएं आपके पुण्य को बढ़ाएगी। इंदौर प्रतिभास्थली की तीन सौ बहनों और चालीस दीदियां आई थी। संस्कार और संस्कृति बचाने का काम यह बहने करती है।वह64 कलाएं, संस्कार और संस्कृति के साथ माता -पिता की सेवा आदि आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज की भावना अनुसार प्रतिभास्थली पर सिखाया जाता है।आज योग्यता का दोहन हो रहा है। बच्चों को विदेश भेज दिया है, जबकि अपने देश में ही सेवाएं देना चाहिए।