updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- दिनांक 27 सितंबर 2024 दिन शुक्रवार को सिविल अस्पताल आष्टा में नि:शुल्क नेत्र शिविर का आयोजन सद्गुरु सेवा समिति आनंदपुर का रखा गया। जिसमें 227 मरीज की आंखों की जांच की गई। जिसमें 71 मरीजों में मोतियाबिंद पाया गया। जिन्हें सद्गुरु सेवा समिति, आनंदपुर नि:शुल्क ऑपरेशन के लिए पहुंचाया गया साथ ही 90 मरीजों को चश्मे का वितरण किया गया और 142 मरीजो को दवाईया दी गई।

निशुल्क नेत्र शिविर का आयोजन मुख्य खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर जी.डी. सोनी के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया, मरीजों की आंखों की जांच नेत्र चिकित्सा सहा. डॉ.सुरेश सेन, डॉ.रविन्द्र गोस्वामी, अनोखीलाल बामनिया, निकिता जायसवाल के द्वारा की गई। उक्त नेत्र शिविर में राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण समिति के सचिव वरिष्ठ डॉक्टर अतुल उपाध्याय भी उपस्थित रहे।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- लक्ष्मी अगर मेहनत से मिलती तो मजदूरों के पास क्यों नहीं, बुद्धि से मिलती तो चालक और चतुरों के पास क्यों नहीं, ताकत से मिलती तो पहलवानों के पास क्यों नहीं, लक्ष्मी सिर्फ पुण्य से मिलती है। और पुण्य केवल धर्म, कर्म और निस्वार्थ सेवा से। उक्त प्रेरक प्रवचन श्री राम मंदिर सोमवंशी क्षत्रीय समाज सुभाष चौक पर चल रही सात दिवसीय संगीत मय भागवत कथा के दूसरे दिन भागवत भूषण संत श्री मिट्ठू पुरा सरकार द्वारा व्यक्त किए गए।

आगे महाराज श्री द्वारा आज श्रीमद् भागवत कथा में अश्वत्थामा और दुर्योधन के आपसी संवाद के साथ ही अश्वत्थामा द्वारा द्रोपदी के पांच पुत्रों की हत्या का बहुत ही हृदय विदारक प्रसंग श्रवण करवाया। जिसे सुनकर सारे श्रोता गमगीन हो गये। इस अपराध के दंड स्वरूप अर्जुन ने अश्वत्थामा के बाल काटकर उसके मस्तक पर जो मणी थी। वह निकाल ली और धक्के मार कर उसको वहां से निकाल दिया।

इस अपमान से दुखी होकर बदले की भावना से अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ पर ब्रह्मास्त्र का प्रहार कर दिया। उत्तरा दौड़ी हुई भगवान श्री कृष्ण के पास गई। भगवान श्री कृष्ण से कहा कि भगवान मेरे घर बालक को बचा लो, और भगवान श्री कृष्ण ने उत्तर के गर्भ के बालक की रक्षा की। उत्तरा के इसी बालक का नाम परीक्षित रखा गया, आगे चलकर यही परीक्षित महाराज हस्तिनापुर के राजा बने, और इन्हीं के काल में कलयुग का आगमन हुआ।

इसके साथ ही भागवत की अन्य कथाओं काफी बड़े विस्तार से वर्णन किया। जिसमें भीष्म पितामह की कथा का प्रमुखता से उल्लेख किया। इसके साथ ही आज की जो ज्वलंत समस्याएं जैसे गौ हत्या, बाल अपराध, धर्म परिवर्तन, सोशल मीडिया का दुरुपयोग आदि विषयों पर भी प्रमुखता से प्रकाश डाला। कथा से पूर्व मुख्य यजमान पिपलोदिया परिवार द्वारा संत श्री का शाल श्रीफल पुष्पमाला भेंट कर स्वागत किया। इस अवसर पर भीम कुशवाहा, गजेंद्र सिंह ठाकुर सहित बड़ी संख्या में भक्तगण पधारे और कथा श्रवण कर धर्म लाभ अर्जित किया।

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