updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- आप लोगों ने कभी चाहा की हमारी कोख से आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज जैसे बेटे जन्म ले, आप लोग तो फिल्मी कलाकार जैसे बच्चे चाहते हैं। कोई भी काम की शुरुआत णमोकार महामंत्र के साथ करें। दिगंबर साधु आपके कल्याण हेतु, अपने की और अपनी सोचों। पंचम काल में मुक्ति नहीं। आचार्य विद्यासागर महाराज इतनी ऊंचाई पर पहुंच गए, वह भी जानते थे इस काल में मुक्ति नहीं, लेकिन उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन किया। गुरु बनना तब सार्थक है जब उनकी शक्ति दूसरे के काम आएं।

दर्पण में आप अपनी कमियां नहीं देखते,आप सिर्फ चेहरा देखकर सुंदर बनने का प्रयास करते हैं। स्वार्थ के लिए गुरु मत बनाओ, गुरु आपके अवगुणों को दूर करते हैं।उसी प्रकार मां भी अपने बच्चों के अवगुणों को दूर करती है, अगर मां बच्चे के अवगुणों को दूर नहीं करें तो बच्चा डाकू बन जाएगा। साधु गुण नहीं अवगुणों को बताएंगे, तभी आपका कल्याण होगा।जो गुरु आपके अवगुणों को नहीं बताए तो वह गुरु नहीं। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने कहीं। आपने कहा कि गुरु प्रशंसा करने के लिए नहीं।

गुरु की वाणी बड़े ही सौभाग्य से मिलती है,तन की प्यास नदी के पानी से बुझती है और मन की बात साधु के वचनों से मिटेगी। गुरु महाराज के पास बैठ कर अपने कल्याण की बात करी, नहीं। जीवन में प्रतिकूलता आना जरूरी है। कल्याण स्त्रोत पाठ आप लोगों के कल्याण हेतु है।यह पाठ मुनियों के लिए नहीं है। सम्यकदृष्टि बनों, तीन लोक के नाथ की शोभायात्रा बहुत ही शानदार श्रद्धा भक्ति से निकालें। जैन समाज प्रेरणा दायक है।हम लाइन छोटी नहीं बड़ी खींचें। जिनेंद्र भगवान की पालकी निकले तो अच्छा बन-ठन कर ठाठ-बाट से आएं। सामूहिक शांति धारा का विशेष महत्व है। मुनिश्री ने कहा समाज के सामूहिक कार्यक्रम में कभी भी पीछे नहीं रहे, जिनेंद्र भगवान का बहुमान करें। चांदखेड़ी में इंद्र की तरह बनाकर शांति धारा करते हैं श्रावक गण।

स्टील की थाली काले झंडे दिखाने के समान है। कभी भी भगवान के अभिषेक स्टील की थाली में नहीं करें और साधु के पाग प्रक्षालन भी स्टील की थाली में नहीं करें। जो भी काम साधु करें वह आपके कल्याण हेतु। स्वर्ण रथ देखने के लिए 44 घंटे में ध्यान पूर्ण करके नीचे आया था। भगवान की भक्ति और आराधना करते रहो।पाप की क्रियाओं को सजा रहे हैं, पुण्य की नहीं,जो भी यहां आता है वह मंदिरों की प्रशंसा करते हैं। सम्यकदृष्टि जीव जिनेंद्र भगवान की बातों पर अमल करता है। जिनेंद्र भगवान तीन लोक के नाथ है वह किसी एक मंदिर विशेष के नहीं। किस्मत में है-तो धन,दोलत मिल जाएगी। धर्म के कार्यक्रम में सभी को शामिल होना चाहिए।

मनुष्य पर्याय प्राप्त करना दुर्लभता है। जैन कुल में जन्म लिया,यह धर्म और कुल कल्याण नहीं हो जब तक जैन कुल मिलता रहें यह कामना करते हैं। कुल को कलंकित मत करना। गलत परम्पराओं को छोड़कर उस पर लगाम लगाएं। भक्ति देव, शास्त्र, गुरु के सामने करें। जैन गुरु का कर्तव्य है कि आपकी रक्षा करें। पुरानी अच्छी परम्पराएं समाप्त हो चुकी है। दूषित परम्पराओं को छोड़ें। स्वतंत्रता हो स्वच्छंद नहीं हो। सागर में खुलने वाले मेडिकल कॉलेज का नाम आचार्य विद्यासागर महाराज होगा- संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज,निष्प्रह सागर महाराज,निष्कंप सागर महाराज एवं निष्काम सागर महाराज ने

भोपाल में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा आयोजित क्षमावाणी कार्यक्रम में जैन कल्याण बोर्ड का गठन करने एवं सागर में खुलने वाले मेडिकल कॉलेज का नाम आचार्य विद्यासागर महाराज के नाम से करने की घोषणा पर मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की सराहना करते हुए आशिर्वाद दिया है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने उक्त घोषणा के अलावा एक अहम घोषणा करते हुए कहा कि विहार के दौरान मुनि, आचार्य,साधु -संत जब भी किसी निकाय या पंचायत से गुजरेंगे और उन्हें किसी शासकीय भवन की आवश्यकता होगी तो शासन उन्हें निःशुल्क और सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ उपलब्ध कराएगा। मुनि संघ के साथ ही जैन समाज ने भी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का उक्त सभी घोषणाओं के लिए आभार व्यक्त किया है।

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