updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- श्वेतांबर जैन धर्म का सबसे पवित्र आध्यात्मिक पर्वों के राजा पर्वाधिराज पर्यूषण के समापन पश्चात् मालव गिरनार तीर्थ किला स्थित मंदिर में सामूहिक मिच्छामी दुक्कड़म कार्यक्रम मुनिश्री के प्रवचन के साथ प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम में समाज के संगठनों प्रमुखों द्वारा अपने विचार व्यक्त कर सामूहिक मिच्छामी दुक्कड़म कहा। तत्पश्चात् पर्यूषण के दौरान तप-त्याग करने वाले तपस्वियों का बहुमान कर अनुमोदना की गई। वहीं समाज के उज्जवल भविष्य शिक्षा सहित अन्य गतिविधियों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले प्रतिभाशालियों का भी सम्मान किया। समाज अध्यक्ष पवन सुराना, पूर्व नपाध्यक्ष डॉ. मीना सिंगी, विनीत सिंगी, राहुल चतरमुथा, आलोक वोहरा, लोकेन्द्र बनवट, गुलाबचंद सुराना,

अशोक देशलहरा द्वारा सामूहिक मिच्छामी दुक्कड़म कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उपस्थित नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा, पार्षदगण रवि शर्मा, तेजसिंह राठौर, विशाल चौरसिया, सुभाष नामदेव, तारा कटारिया, सकल समाज अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव, पत्रकारगण नरेंद्र गंगवाल, सुशील संचेती, किरण रांका, दिनेश शर्मा, धनंजय जाट, राजीव गुप्ता, नवीन शर्मा, संदीप छाजेड़ का भी बहुमान किया गया। इस अवसर पर नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा ने उपस्थित समाजजनों को सामूहिक रूप से मिच्छामी दुक्कड़म कहते हुए कहा कि क्षमा करना सबसे बड़ा पुण्य है। संवत्सरी पर प्राणी मात्र से मन, वचन व काया से मिच्छामी दुक्कड़म करते हैं। जाने-अनजाने में हुई भूलों व गलतियों को क्षमा करें। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्वेतांबर समाज के श्रावक-श्राविकाएं मौजूद थी।

updatenews247.com सीहोर 7746898041– जब भी भक्त मदद के लिए भगवान को याद करता है, चाहे वह किसी भी योनि का हो, गजेद्र को भगवान ने बचाया, द्रौपती की मदद भगवान कृष्ण ने की भगवान भाव के भूखे है, सुनते है सच्चे दिल की पुकार। एक हाथी की पुकार सुनकर भगवान दौड़े आए, हाथी मनुष्य नहीं जीव था। दिल से पुकारना और दिखावें से पुकारने में अंतर है। गजेंद्र मोक्ष कथा आती है, जब भगवान अपने भक्त के बुलाने पर नंगे पांव भागे चले आए। जैसे एक मां अपने बच्चे की पुकार सुनकर आती है। उसी प्रकार भगवान है। उक्त विचार शहर के बड़ा बाजार में अग्रवाल महिला मंडल के तत्वाधान में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के चौथे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे।

रविवार को कथा के दौरान आस्था और उत्साह के साथ भगवान श्रीराम और भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। इस मौके पर समधुर भजनों की प्रस्तुति दी। यहां पर कथा का श्रवण करने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आने के कारण बड़ा बाजार छोटा पड़ गया है। लोगों ने भी अपने घरों के दरबाजे भक्तों के लिए खोल दिए है और पूरे आदर के साथ कथा का श्रवण कर रहे र्है। शाम को श्रद्धालुओं के लिए भोजन प्रसादी की व्यवस्था विठलेश सेवा समिति के द्वारा की जा रही है। पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि किसी भी योनि का जीव भगवान को प्राप्त कर सकता है। जिस तरह गजेंद्र नामक हाथी जब तालाब में स्नान कर रहा था तब मगरमच्छ ने उसका पांव पकड़ लिया,

मदद की पुकार पर कोई नहीं आया तो भगवान ने उसकी मदद की। इस प्रकार भगवान को प्राप्त करने के लिए जीव योनि का कोई महत्व नहीं, उच्च योनि से लेकर निम्न योनि तक का कोई भी जीव भगवद् प्राप्ति कर सकता है। हाथियों का परिवार रहता था, गजेंद्र हाथी इस परिवार का मुखिया था। एक दिन घूमते-घूमते उसे प्यार लगी, परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ही गजेंद्र पास के ही एक सरोवर से पाने पी कर अपनी प्यास बुझाने लगा। लेकिन तभी एक शक्तिशाली मगरमच्छ ने गजराज के पैर को दबोच लिया और पाने के अंदर खीचने लगा। मगर से बचने के लिए गजराज ने पूरी शक्ति लगा दी लेकिन सफल नहीं हो सका, दर्द से गजेंद्र चीखने लगा। गजेंद्र की चीख सुनकर अन्य हाथी भी शोर करने लगे, इन्होंने भी गजेंद्र को बचाने का प्रयास किया लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।

गजेंंद्र जब सारे प्रयास करके थक गया और उसे अपना काल नजदीक आते दिखाई देने लगा तब उसने भगवान विष्णु का स्मरण किया और उन्हें पुकारने लगा। अपने भक्त की आवाज सुनकर भगवान विष्णु नंगे पैर ही गरुण पर सवार होकर गजेंद्र को बचाने के लिए आ गए। राजा बलि और वामन देव की कथा की सीख, जब कोई अच्छा काम कर रहा हो तो उसे रोके नहीं- पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि जब भी कोई व्यक्ति अच्छा काम कर रहा हो तो उसे रोकना नहीं चाहिए। इस कहानी में शुक्राचार्य राजा बलि को दान करने से रोक रहे थे, जब हम किसी को अच्छे काम करने से रोकते हैं तो हमारी परेशानियां बढ़ती हैं। अच्छे काम करना भी पूजा-पाठ करने की तरह ही है। हमें भी नेक काम करते रहना चाहिए। आपका मन कर रहा है किसी को दान करने का तो तत्काल कर दे,

इसके विषय में किसी से राय लेने की आवश्यकता नहीं, अच्छे कार्य को तुरंत करना चाहिए। भागवत कथा सुनना और भगवान को अपने मन में बसाने से व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन आता है। भगवान हमेशा अपने भक्त को पाना चाहता है। जितना भक्त भगवान के बिना अधूरा है उतना ही अधूरा भगवान भी भक्त के बिना है। भगवान ज्ञानी को नही अपितु भक्त को दर्शन देते हैं और सच्चे मन से ही भगवान प्राप्त होता है। वामन अवतार के रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि को यह शिक्षा दी कि दंभ तथा अंहकार से जीवन में कुछ भी हासिल नहीं होता और यह भी बताया कि यह धनसंपदा क्षणभंगुर होती है।

इसलिए इस जीवन में परोपकार करों। उन्होंने कहा कि अहंकार, गर्व, घृणा से मुक्त होने पर ही मनुष्य को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। यदि हम संसार में पूरी तरह मोहग्रस्त और लिप्त रहते हुए सांसारिक जीवन जीते है तो हमारी सारी भक्ति एक दिखावा ही रह जाएगी। आज गोवर्धन पूजन और छप्पन भोग लगाया जाएगा- अग्रवाल महिला मंडल की अध्यक्ष ज्योति अग्रवाल ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी लगातार 25 वें वर्ष पंडित प्रदीप मिश्रा के द्वारा भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के पांचवे दिवस सोमवार को गोवर्धन पूजन और छप्पन भोग लगाया जाएगा। कथा दोपहर दो बजे से आरंभ होती है।

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