updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- देश की स्वतंत्रता में मातृभाषा का बहुत बड़ा योगदान रहा है । मातृभाषा ही हमारे सांस्कृतिक , सामाजिक और आर्थिक विकास की धुरी है । शिक्षा को प्रखर राष्ट्रवाद से जोड़ने के लिए सर्वप्रथम हमे भाषायी विकास और उसकी उपयोगिता का वर्धन करना होगा । सांस्कृतिक मूल्यों के साथ ही आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के लिए अंग्रेजो द्वारा स्थापित लार्ड मैकाले की पद्धति को हटा कर प्राचीन गुरुकुल पद्धति को आधुनिक ढंग से अपनाने की जरूरत है । यह प्रशन्नता की बात है कि शासन तंत्र प्राचीन भारतीय संदर्भ के अनुसार नवीन शिक्षा प्रणाली को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
यह भी हर्ष का विषय है कि नई शिक्षा नीति 2020 पर आचार्य गुरुवर विद्यासागरजी के विचारों और प्रेरणा का प्रभाव है । सत्ता शीर्ष ने युग प्रेरक गुरुवर विद्यासागरजी के कृतित्व और व्यक्तित्व से प्रभावित होकर उनकी प्रेरणा से संचालित प्रकल्पों को भी रोजगार मूलक शिक्षा से जोड़ने में रुचि दिखाई है । यह प्रखर विचार पूज्य मुनि निष्कम्प सागरजी महाराज ने स्थानीय मानस भवन में दिगम्बर जैन शिक्षक संघ द्वारा आयोजित जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में व्यक्त किये । पूज्य मुनि निष्काम सागरजी और निष्कम्प सागरजी महाराज के पावन सानिध्य में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में मुनि श्री ने कहा कि स्वतंत्रता में सत्य अहिंसा और
स्वावलम्बन के सफल प्रयोग के साथ ही महात्मा गांधी ने ग्राम स्वराज्य की स्थापना और मातृभाषा के महत्च को रेखांकित किया था। मुनि महाराज ने बताया कि आजादी के पूर्व लन्दन में गोलमेज सम्मेलन में शामिल होने के बाद से ही महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्रता पोषित शिक्षा नीति अपनाने पर ध्यान देना शुरू किया था ।
मुनि निष्कम्प सागरजी ने अपने प्रभावी उद्बोधन में अंग्रेजों द्वारा थोपी गई शिक्षा पद्धति , शब्दावली और कान्वेंट संस्कृति के कुप्रभावो से अवगत कराया । उन्होंने शिक्षकों को अपनी महत्ता और दायित्व बोध खुद ही तय करने का आव्हान करते हुए कहा कि पीढ़ियों के परिवर्तन का साक्षी शिक्षक से अच्छा कोई नही होता उन्हें स्वयम भी अपने अनुभवों को साझा करते हुए शिक्षा पद्धति में परिवर्तन के सार्थक सुझाव देना चाहिए।
महाराज श्री ने अपने उपदेश में शिक्षकों को व्यसन त्यागी होने का निर्देश देते हुए यह भी कहा कि साक्षरता और सार्थकता प्रदान करने में शिक्षक की महत्ता सर्वोपरि है ।शिक्षक सम्मान समारोह का आरम्भ शिक्षाधिकारी और प्रमुख जनप्रतिनिधियों ने किया । मुनिद्वय निष्काम सागरजी एवम निष्कम्प सागरजी को शाला प्राचार्यो ने शास्त्र भेंट किये । उपस्थित शिक्षक शिक्षिकाओं का आयोजन समिति के संजय जैन ,मनोज जैन , युवराज जैन , राजेश जैन , दिनेश जैन , श्रीमती नीता संजय जैन किला , उषा कल्याण जैन ,रक्षा रितेश जैन ,रेखा संतोष जैन , बरखा अनुराग जैन ने तिलक लगाकर स्वागत पट्टिका और श्रीफल भेंट करके सम्मान किया।
कार्यक्रम के आरम्भ में दिगम्बर जैन पाठ शाला की बालिकाओं ने नृत्य मंगलाचरण किया । प्रभु प्रेमी संघ के महासचिव प्रदीप प्रगति ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया । शुजालपुर दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष सचिन जैन ने संचालन किया तथा आभार कार्यक्रम के संयोजक संजय जैन शिक्षक ने किया । उपस्थित शिक्षकों को मुनिद्वय ने आशीर्वाद दिया । पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार , श्रीमती मीना सिंघी , नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा , पार्षद तेजसिंह राठौर , रवि शर्मा , सुभाष नामदेव , व्यापार महासंघ अध्यक्ष रूपेश राठौर , पूर्व पार्षद शैलेश राठौर , नरेंद्र कुशवाह सुनील प्रगति , दिगम्बर जैन समाज के पूर्व महामंत्री नरेंद्र उमंग, सकल हिन्दू समाज के सदस्य गण सहित बड़ी संख्यां में समाजजन आदि भी उपस्थित थे।