updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में इन दिनों प्रतिदिन महाराष्ट्र से सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु कांवड लेकर आ रहे है, कई लोग तो ऐसे है जो अपने गांव और नगर की पवित्र नदियों का जल लेकर आते है, वहीं शहर के सीवन नदी के तट पहुंचकर धाम तक पैदल ही कांवड लेकर जा रहे है। शनिवार को तपती धूप के मध्य धाम पर पहुंचे तीन दर्जन से अधिक श्रद्धालुओं ने बताया कि वह महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर से गुरुदेव पंडित प्रदीप मिश्रा के आशीर्वाद लेने के लिए

जिला मुख्यालय के स्थित सीवन नदी के तट से करीब 11 किलोमीटर पैदल कांवड लेकर आए है, इसके अलावा कई श्रद्धालु ऐसे भी है जो हजारों किलोमीटर पैदल चलकर भी आस्था और उत्साह के साथ बाबा के दर्शन कर भगवान का अभिषेक कर रहे है। इन श्रद्धालुओं का विठलेश सेवा समिति की और से पंडित समीर शुक्ला, विनय मिश्रा, आशीष वर्मा, आकाश शर्मा, मनोज दीक्षित मामा आदि ने सम्मान किया।
महाराष्ट्र के शरद पुरोहित ने बताया कि मराठी संस्कृति में श्रावण मास को लेकर उत्साह है। हमारे यहां पर अमावस्या तक श्रावन का क्रम चलता रहेगा। श्रावण में ज्यादातर श्रद्धालु सोमवार के दिन व्रत रखते हैं।

अविवाहित लड़कियां मनचाहा पति पाने के लिए श्रावण के सोमवार और मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत भी रखती हैं। श्रावण के दौरान कांवड़ यात्रा भी बहुत प्रसिद्ध है, जिसमें श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक स्थानों पर जाते हैं और वहां से जल लाकर भगवान शिव को चढ़ाते हैं। हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन के समय निकले विष को भगवान शिव ने जग कल्याण के लिए स्वयं पी लिया था, ताकि समस्त जीव-जंतु बचे रहें। यह जहर उनके गले में ही रह गया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया और इसी कारण उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। इस जहर के प्रभाव को शांत करने के लिये तब सभी देवी-देवताओं और

राक्षसों ने भगवान शिव को गंगाजल और दूध पिलाया ताकि जहर का असर कम हो सके। यही कारण है कि श्रावण में शिवजी को गंगाजल और दूध चढ़ाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर पूजा शुरू करने से पहले स्नान करें। फिर शिवजी और मां पार्वती की प्रतिमा रखें, दीप जलाएं और प्रार्थना करें। शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र और श्रावण मास कथा का पाठ करें। इस दिन शिव मंदिर भी जाएं और शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, शक्कर, शहद और घी) व जल चढ़ाएं तथा शिवलिंग को फूलों और बेलपत्र से सजाएं। बेलपत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है। भोग में मिठाई आदि चढ़ाएं।

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