updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- म्हारा कीर्तन में रस बरसाओ आओ जी गजानन आओ भजन के साथ श्रीराधा कृष्ण मंदिर नजर गंज में श्रीजगदीश्वर धाम महिला मंडल द्वारा श्रीकृष्ण झूला उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया। झूले में विराजित बाल गोपाल कृष्ण कन्हैया को झुलाते हुए
महिला मंडल ने एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुति दी। राधा-कृष्ण के झूला उत्सव में महिलाएं विशेष परिधान से सजधज कर आई। ढोलक की धाप पर महिलाओं ने राधा कृष्ण के भजन गाकर झूला उत्सव मनाया। भजनों पर महिलाओं ने नृत्य किया।

भजनों पर भगवान श्री कृष्ण को जमकर झुलाया गया। जबकि “राधा झूला झूल रही संग श्याम के साथ ” भजन ने तो मानो समा ही बांध दिया। भजन पर तो मानो सभी झूमने लगे अंत में आरती के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। मारवाड़ी महिला मंडल ने श्री जगदीश्वर धाम महिला मंडल की नवनियुक्त अध्यक्ष श्रीमती स्मिता मूंदड़ा का प्रतीक चिह्न देकर स्वागत किया। कार्यक्रम में मारवाड़ी महिला मंडल, शिव महिला मंडल, गायत्री महिला मंडल, श्रीनाथ महिला मंडल, सहित अनेक महिला मंडल की सदस्य उपस्थित थी। अंत मे  श्री जगदीश्वर धाम महिला मंडल की नवनियुक्त अध्यक्ष स्मिता मूंदड़ा द्वारा सभी काआभार प्रकट किया।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- अनुशासन और अभिनय न करें, गुरु के पास शंका समाधान करें, जितना विनय करेंगे उतना आपके जीवन में निखार आएगा। भय का भूत और व्यंतर जाति का भूत होता है। एक क्रोध रुपी भूत भी है।दिगंबर मुद्रा पर अन्य को भी अटूट विश्वास रखते हैं। दिगंबर संत से कुछ मांगने की आवश्यकता नहीं, उनके आशीर्वाद से ही सभी दुःख दूर हो जाते हैं। जिन दर्शन की व्याख्या और प्रभाव बताए। सभी धातुओं में अपनी -अपनी गुणवत्ता और प्रभाव है।जिन दर्शन की महिमा को प्रयोग करके देखें।गहरी आस्था भगवान में रखें तो आपको कहीं भी नहीं जाना पड़ेगा।

जब भी आराध्य की भक्ति करें तो स्व की भक्ति करें अर्थात स्वयं करें शब्द प्रभु आपके है लेकिन भाव मेरे है। भक्ति में सभ्यता होती है। भगवान बनने की आपमें शक्ति है। भगवान की देशना में सबकुछ है। जो जितना बड़ा ज्ञानी है वह गुरु के पास अज्ञानी बनकर जाएं। समर्पण कभी मिटने वाला नहीं है। हर व्यक्ति अपनी- अपनी भाषा में भगवान की भक्ति करते हैं।संकट के दौरान भगवान और गुरु पर श्रद्धान बढ़ रहा है तो वह सम्यकदृष्टि है।आज स्थिति विपरीत है। लोगों का संकट के समय भगवान और गुरु से श्रद्धान कम होता जाता है।

उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री निष्प्रह सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। मुनिश्री निष्प्रह सागर महाराज ने कहा हे भगवान आपके दर्शन मात्र से रौद्र उपद्रव, क्रोध ,विकारी भाव भगवान के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं। सौम्य मूर्ति को मंदिर में देखकर सारे क्रोध,विकार दूर हो जाते हैं। दर्पण की तरह आपको भगवान की प्रतिमा निखरने और उनके जैसे बनने की प्रेरणा देती है।आपकी मंजिल मोक्ष है, स्वर्ग के सुख में मत उलझों। भगवान वीतरागी है,जिन दर्शन की महिमा है।

महाराज मिथ्या वचन नहीं बोलते। अपने या दूसरे के घर पर आने – जाने पर निस्सही,अस्सही अवश्य बोला करें। मुनिश्री निष्कंप सागर महाराज ने कहा कि हम भक्तों की पैरवी करते हैं।आपकी बात को भगवान तक रघुनंदन अर्थात मुनि महाराज पहुंचाते हैं। श्रीराम को वनवास हुआ, बिना गलती के, लेकिन उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन कर वनवास गए।रावण ने जीवन में पाप ही पाप किया लेकिन सोने की लंका थी।धर्मात्मा के जीवन में संकट ही संकट आता है ।अंत अच्छा निकलना चाहिए। पूर्व जन्म में किए गए कृत्य के कारण ही संकट आता है। संकट में सम्यकदृष्टि की श्रद्धा बढ़ती ही जाती है। दीपावली के दिन श्री राम वनवास से अयोध्या आएं थे और भगवान महावीर स्वामी मोक्ष गए थे। एक पक्षीय काम नहीं होना चाहिए। धर्म की क्रिया बंद मत करो, अगर धर्म की क्रिया बंद करते हो तो पाप की क्रिया को भी बंद करें। भगवान को मानते हैं ,लेकिन उनकी बातों को नहीं मानते हैं।

धर्म की क्रिया को नहीं छोड़ना चाहिए।कितनी भी प्रतिकूलता हो धर्म नहीं छोड़ना चाहिए। सीता सती जंगल में गई, श्री राम के साथ वनवास गई। भारतीय नारी थी सीता जिसने श्री राम को खबर कराई थी कि किसी के कहने पर मुझे छोड़ा, लेकिन धर्म मत छोड़ना। साधु को परम्परा मत बताना, मैना सुंदरी ने पति श्रीपाल से पूछा कि तुम्हें भगवान से कोई घृणा तो नहीं। उन्होंने कहा मैं इस रोग के कारण भगवान के अभिषेक नहीं कर पा रहा , मुनिश्री को आहार नहीं दे पाया,यह मेरे सबसे अशुभ दिन है। संसार की क्रिया छुट जाएं धर्म आराधना मत छोड़ना।पाप की क्रिया में साथ हो तो धर्म में भी साथ दो। धर्म की क्रिया को समझें।

परम्पराओं को आड में रखकर समाज के लिए धर्म के कार्य को नहीं रोके। कर्म बंध हंसते हंसते बांधते हो, और फल रोते रोते कांटते हों। पंचम काल में मोक्ष नहीं। आगम की परम्परा चलेगी, व्यक्तिगत परम्परा नहीं चलेगी। दिगंबर साधु कभी भी किसी का अहित नहीं करते हैं। देश के लिए भी दिगंबर साधु आगे आते हैं। मुनिश्री निष्काम सागर महाराज आचार्य कुमुद चंद्र महाराज भगवान पार्श्वनाथ जी की स्तुति करते हुए कह रहे हैं कि आपके नाम मात्र, आपके गुणों का स्तवन करने मात्र से और आपका नाम भर लेने से हमारा कल्याण हो जाता है। आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज जिनेंद्र भगवान के प्रति काफी चिंतित और समर्पित रहते थे। अपने लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त कर स्वतंत्रता दिवस मनाएं।

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