updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- जैन शासन के 23 वें तीर्थंकर 1008 पार्श्वनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक पर्व मोक्ष सप्तमी के रूप में परम्परागत इस वर्ष भी नगर के समस्त दिगम्बर जैन मंदिरों में श्रावण शुक्ल सप्तमी 11अगस्त रविवार को भव्य रूप से मनाया जायेगा। नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मन्दिर पर चातुर्मास हेतु विराजमान संत शिरोमणि आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य पूज्य मुनि श्री निष्पक्ष सागर जी, मुनि श्री निष्प्रह सागर जी, मुनि श्री निष्कंप सागर जी एवं मुनि श्री निष्काम सागर जी महाराज ससंघ के पावन सानिध्य में आयोजन के अंतर्गत आचार्य विद्यासागर सभागार किला मन्दिर में दिन रविवार श्रावण शुक्ल सप्तमी को प्रातः काल 7 बजे से नित्य शांतिधारा,

अभिषेक, नित्य पूजन व निर्वाण काण्ड वाचन के साथ मूलनायक श्री पार्श्वनाथ भगवान के श्री चरणों मे मोक्ष फल निर्वाण लाडू चढ़ा कर मोक्ष कल्याणक पर्व भव्य रूप से मनाया जाएगा। इस अवसर पर पूज्य मुनि संघ के विशेष रूप से आशीर्वचन भी प्राप्त होंगे। आज के दिन सैकड़ों की संख्या में छोटे-छोटे नौनिहाल बच्चों द्वारा एक दिन की निर्जला उपवास की कठिन तपस्या कर दिन भर मंदिर जी मे रहकर धर्म -ध्यान में समय बिताया जाएगा ।वही दिगम्बर जैन सोश्यल ग्रुप द्वारा 12 अगस्त दिन सोमवार को प्रातः 7 बजे से सभी तपस्वीगणों का सामूहिक पारणा एवं उपहार वितरण का आयोजन भी किला मंदिर में रखा गया हैं।दिगम्बर जैन पंचायत समिति के प्रमुख आनंद जैन पोरवाल, सुरेंद्र पोरवाल, प्रकाश जैन, सचिन जैन ,मनोज जैन ,प्रशाल जैन प्रगति ,चातुर्मास धर्म प्रभावना समिति के संयोजक संजय जैन, मुनि सेवा समिति के संदीप जैन ,धीरज जैन ने समस्त समाज जनों से समस्त आयोजन में अधिक से अधिक संख्या में पधारकर धर्म लाभ लेने का आग्रह किया हैं।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- भगवान और गुरु के समक्ष भक्ति पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ करना चाहिए। भगवान असंख्यात गुणों के भंडार से युक्त है। मंदिरों में अतिशय आज भी होता है लेकिन उन्हीं मंदिरों में जहां भगवान की भक्ति बिना अपेक्षा और भक्ति भाव के साथ की जाती है।नवाचार्य समय सागर महाराज का बड़प्पन देखिए कि उन्हें आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज के द्वारा उन्हें अपना आचार्य पद देने की जानकारी मिल गई थी, लेकिन उन्होंने गुरुदेव के सभी शिष्यों को बुलाकर कहा कि आप सभी मेरे शिष्य नहीं बल्कि गुरु भाई हो, आप सभी की जो इच्छा हो वही होगा।

उसके पश्चात आचार्य पद स्वीकार किया। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं।मुनिश्री निष्काम सागर महाराज ने कहा कि पंचम काल के समय में जो बड़े बड़े आचार्य होते थे, वैसे आचार्य 21 वीं सदी में आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज के रूप में हमें मिले।हम सभी से आरम -शारम के माध्यम से पाप होते हैं।मुनि गण अनजाने में हुए पापों के लिए प्रतिक्रमण तीन बार कर भगवान से क्षमा मांगते हैं। भगवान असंख्यात गुणों के भंडार व खान से युक्त है।

हम आपके स्तवन करने के लिए तैयार है। मुझमें शक्ति नहीं है फिर भी अपनी बुद्धि के अनुसार भक्ति कर रहा हूं, कोई त्रुटी हो तो क्षमा करें। भगवान के गुणों की भक्ति व्यवस्थित और विवेक पूर्वक करें।रूप से करना चाहिए। मंदिरों में अतिशय क्यों नहीं हो रहे हैं ,क्योंकि हमारी भक्ति में कमी है, पहले जैसी भक्ति कम नजर आती है। पूर्व के श्रावकों एवं आचार्यों जैसी भगवान की भक्ति आज नहीं है। आचार्य पूज्यपाद महाराज संस्कृत के बहुत बड़े विद्वान थे।उनकी आंखों की ज्योति चली गई। जिनेंद्र भगवान की भक्ति कर ज्योति जाने के बाद शांति स्तुति लिखी, आठवें पद को लिखते ही उनकी आंखों की ज्योति आ गई।आज लोगों के भाव, क्रिया, द्रव्य उतने शुद्ध नहीं है, बुद्धि, विवेक की कमी है।

जो व्यक्ति परीक्षा देता है ,उसी की परीक्षा होती है और पास होता है। आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज सुनते बहुत है और बोलते कम है।हम बोलते अधिक है और सुनते कम है। भक्ति का प्रभाव असाध्य रोग समाप्त हो जाता है। भगवान और गुरु के पास भक्ति भावों से करें ।मंदिरों में आज भी अतिशय होते हैं, भक्ति अच्छे भाव से करें। ओम पंचपरमेष्टि का प्रतिमात्मक शब्द है।जिन आगम में लिखा है जो प्राप्त है ,वह पर्याप्त है। श्रावक को साधक , साधु, आर्यिका बनने के भाव होना चाहिए। भावना भव नाशिनी होती है। संसार से राग, द्वेष और मोह छोड़ोगे तो ही मोक्ष की प्राप्ति होगी। समर्पण भाव से भक्त बनों, तभी भगवान बनोगे।स्वर्ग जाने के लिए दिगंबर दीक्षा नहीं ली, बल्कि मोक्ष जाने के लिए दीक्षा ली है।

22 वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ जी का जन्म और तप कल्याणक मनाया- नगर सहित क्षेत्र के सभी दिगंबर जैन मंदिरों में शनिवार को 22 वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ जी का जन्म और तप कल्याणक महोत्सव किला मंदिर पर मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज, निष्कंप सागर महाराज ,निष्प्रह सागर महाराज एवं निष्काम सागर महाराज के पावन सानिध्य में मनाया गया। वहीं अरिहंत पुरम अलीपुर जैन मंदिर में मुनिश्री विनंद सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में नेमिनाथ भगवान का जन्म और तप कल्याणक महोत्सव मनाया। श्री चंद्र प्रभु मंदिर गंज में भगवान के अभिषेक, शांति धारा के पश्चात भगवान के जन्म कल्याणक महोत्सव पर भक्ति भाव से पूजा- अर्चना की।

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