updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- जिंदगी में दुःख आना भी जरूरी है, दुःख होने पर ही वैराग्य होता है। इसलिए मुनिराज अपने शरीर को तपाने के लिए उपवास करते हैं ,जिस तरह दूध को तपाने पर ही मावा बनता है। ऐसे मुनिराज बीज बुद्धि की धारक होते हैं जो एक शब्द पढ़ने पर पूरे ग्रंथ को जान लेते हैं,ऐसे ज्ञान को बीज बुद्धि कहा गया है।जिस प्रकार बीज एक दाना डालने पर वह विशाल वट वृक्ष का रूप ले लेता है और खूब फल देता है। उक्त बातें नगर के अरिहंत पुरम अलीपुर स्थित श्री चंद्र प्रभ दिगंबर जैन मंदिर में चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव आचार्य विनम्र सागर महाराज के
परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री विनंद सागर जी महाराज ने श्री भक्तांबर शिविर के आज आठवें दिन प्रवचन देते हुए कहीं। आपने कहा स्वामी विवेकानंद जी अमेरिका गए तो वहां के निवासी ने हास्य में उनसे शून्य पर प्रवचन देने को कहा स्वामी विवेकानंद जी ने शून्य पर 3 दिन तक संबोधन दिया ।मुनिश्री ने आठवें छंद का फल सर्वारिष्ट योग निवारक बताया और इसका भावार्थ बताया जिस प्रकार कमल के पत्ते के प्रभाव के कारण पत्ते पर पड़ी जल की बूंद मोती सी लगती हैं, वैसे ही मुझे अल्पज्ञ के द्वारा किया गया यह स्तवन सज्जनों का मन को आकर्षित करेगा तो इसमें आपका ही प्रभाव हैं।आज के पुण्यार्जकों ने श्री आदिनाथ भगवान के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर मुनिश्री को शास्त्र भेंट कर पाग प्रक्षालन किया।
updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- मूलतः शाकाहार को समर्पित स्वामीनारायण सम्प्रदाय की मुख्य शिक्षाओं में अहिंसा , सात्विकता अपना कर जीवन को झूठ और निंदा से मुक्त रखना है । स्वामीनारायण सम्प्रदाय अपने इन्ही सिद्धान्तों के बल पर दुनिया के 55 से अधिक देशों में प्रचाररत है । यह सम्प्रदाय हिन्दू संस्कृति , परम्परा , साहित्य ,दर्शन और विशिष्ट वास्तु शैली और सरलता के चलते देश और विदेश मे भी खूब प्रचार हो रहा है । सम्प्रदाय का संचालन सुचारू ढंग से हो इसी लिए भगवान स्वामीनारायण ने दो मुख्य शाखा बनाई, इनमे से एक अहमदाबाद गादी तथा दूसरी वडताल गादी है । शिक्षा पत्री और वचनामृत सम्प्रदाय के प्रमुख शास्त्र हैं ।
हम व्यसनमुक्त जीवन और सदाचार को प्रमुखता देते हैं । भक्ति के लिए उपासना स्थल बहुत आवश्यक है । यह आस्थावान नगरी किसी तीर्थ से कम नहीं है । स्वामीनारायण सम्प्रदाय की शिक्षा और सन्देश यहाँ बहुलता से प्रचारित हो तो हमें भी प्रशन्नता होगी । यह उद्गार स्वामीनारायण सम्प्रदाय के अखिल भारतीय संत विवेक सागर स्वामीजी महाराज ने व्यक्त किये । स्वामीजी का पूर्व नपाध्यक्ष एवम प्रभु प्रेमी संघ के संयोजक कैलाश परमार , वरिष्ठ व्यवसायी राजकुमार साहू , जितेंद्र साहू , समाज सेवी सुनील प्रगति आदि ने शाल श्रीफल से स्वागत किया । इसके पश्चात साधु विमल सेवा दास ने स्वामी नारायण सम्प्रदाय के अनुरूप स्नेहिल भक्तों से शास्त्रोक्त पूजा करवाई ।
इस अवसर पर उन्होंने आशीर्वचन में कहा कि यह प्रशन्नता की बात है कि परमार्थ के प्रतीक कैलाश परमार जैसे साधक जन नायक आस्था की इस नगरी में सेवारत हैं । चारित्रिक रूप से सुदृढ़ होकर पक्षपात और ईर्ष्या विहीन जीवन ही सही अर्थों में धार्मिक जीवन है । पूर्व नपाध्यक्ष कैलाश परमार ने नगर की धार्मिक गतिविधियों से विवेक सागर स्वामीजी को अवगत कराते हुए बताया कि इस धर्मनगरी में श्रीमद भागवत कथा , श्रीराम कथा मानस सम्मेलन और नियमित सत्संग की समृद्ध परंपरा जारी है । अपनी धर्मनिष्ठता के चलते नगर पर सभी धर्मों के साधु संतों की महती कृपा रही है । पूज्य स्वामी जी महाराज ने नगर के धार्मिक वातावरण से प्रभावित हो सभी को मंगल आशीष दिया ।