updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- श्रावण मास के तीसारे सोमवार के अवसर पर बालाखेड़ा खजुरिया निवासी ग्रामीणजनों ने पार्वती नदी, कासम नदी, धामनी नदी के संगम स्थल पर अपनी कावड़ में जल भरकर नगर के प्राचीनतम् भगवान भोलेनाथ के मंदिर में जलाअभिषेक के लिए कावड़ लेकर निकले। बालाखेड़ा, खजुरिया, अरोलिया होते हुए कावड़यात्रा आष्टा नगर में पहुंची, जहां नपाध्यक्ष प्रतिनिधि रायसिंह मेवाड़ा की मौजूदगी में गल चौराहा पर कावड़यात्रा में शामिल पूर्व मार्केटिंग सोसायटी अध्यक्ष कृपालसिंह पटाड़ा, जनपद सदस्य वीरेन्द्रसिंह पटाड़ा, सवाईसिंह ठाकुर, रामेश्वर पाटीदार, रमेश पाटीदार, करणसिंह पटेल,

कुमारसिंह ठाकुर, नरेन्द्रसिंह बोलाखेड़ा, नरेन्द्रसिंह ठाकुर, पूनमचंद कोठारी, गगनसिंह आदि का पुष्पवर्षा कर स्वागत सम्मान किया। नपाध्यक्ष प्रतिनिधि श्री मेवाड़ा ने कहा कि श्रावण मास के पवित्र माह में बड़ी संख्या में शिवभक्त कावड़ लेकर भगवान शंकर को प्रसन्न करने हेतु देश के विभिन्न शिवालयों सहित ज्योतिर्लिंगों पर भगवान का जलाभिषेक करने पैदल यात्रा करते है जो शिवभक्तों की भगवान शंकर के प्रति अगाध श्रद्धा को दर्शाती है। इस अवसर पर पूर्व जिलाध्यक्ष ललित नागौरी, वरिष्ठ भाजपा नेता पुखराज मेहता, पार्षद रवि शर्मा, मानसिंह ईलाही, सुमित मेहता, देशचंद्र वोहरा, केशव राठौर, अभिराजसिंह पटाड़ा, विजय मेवाड़ा, रोनक डूमाने, मनीष किल्लौदिया आदि मौजूद थे।

updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- श्री भक्तांबर विधान प्रशिक्षण शिविर के सातवें दिन आचार्य विनम्र सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री विनंद सागर जी महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहा कि हमें लज्जा को छोड़कर शक्ति अनुसार देव, शास्त्र और गुरु की भक्ति करना चाहिए, जिससे आपकी शक्ति बढ़ेगी ।मुनि श्री ने कहा ऐसा कौन सा कार्य करने से ज्ञान बढ़ता हैं , आपने कहा लघुता ,विनम्रता से ज्ञान बढ़ता है ।जैसे आप गुरु के पास नीचे बैठकर विनय पूर्वक अध्ययन करेंगे तो आपके ज्ञान में वृद्धि होगी ।

मुनिश्री विनंद सागर महाराज ने कहा कि अगर आपको कुछ भी सीखना है तो गुरु के बराबर नहीं बैठे, बल्कि उनके चरणों में बैठकर सीखने से जल्दी ज्ञान प्राप्त होता है।पुरुषों के पास 23000 अरब सेल्स होते हैं एवं महिलाओं के पास 19000 अरब सेल्स होते हैं और यह सेल्स दया के भाव से विनम्रता से संयम से चार्ज होते हैं ।दूसरों की निंदा करना ,अभिमान करना ,मायाचारी करने से यह सेल्स डिस्चार्ज होते हैं। मुनिराज ने छठवें काव्य की व्याख्या करते हुए उसका फल सरस्वती विद्या प्रसारक बताया है ।अध्ययन ,अभ्यास और अनुभव से विद्या बढ़ती है।

अध्ययन कुछ समय तक याद रहता है, अभ्यास कुछ वर्षों तक याद रहता है और अनुभव जीवन पर्यंत याद रहता है ।पहले विचार ,फिर कार्य ,फिर संस्कार यह संस्कार ही हमारे आगामी भव के साथ जाते हैं। इस लिए हमें अपने विचार सही रखना चाहिए ।मुनिराज ने छठवें काव्य का अर्थ बताते हुए कहां कि आचार्य मानतुंगाचार्य महाराज अपने को अल्पज्ञ बताते हुए कह रहे हैं कि भगवान की स्तुति कर रहे हैं कि हे भगवान में अल्पज्ञ विद्वानों के द्वारा हंसी का पात्र होते हुए भी आपकी भक्ति के लिए प्रेरित हो रहा हूं ।जिस प्रकार आम के पेड़ में बैर आने पर कोयल मधुर कंठ से सुरीली आवाज बोलती है ,उसी प्रकार में अल्पज्ञ होते हुए भी आपकी भक्ति के लिए प्रेरित हूं।

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