updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- वर्षा ऋतु के चलते काफी बारिश होने पर मां पार्वती धाम गौशाला में गौ माता के खुले प्रांगण में काफी कीचड़ होने के कारण गौ माता को बहुत परेशानी आ रही थी। पार्षद प्रतिनिधि एवं पूर्व पार्षद सुभाष नामदेव को समिति द्वारा गौशाला की समस्या के संबंध में बताया उन्होंने तुरंत नगर पालिका की जेसीबी को गौशाला भेजी। पार्वती धाम गौशाला अध्यक्ष नरेंद्र कुशवाह पूर्व पार्षद ने स्वयं खड़े होकर जेसीबी द्वारा गौशाला प्रांगण की सफाई कराई। मां पार्वती धाम गौशाला उपाध्यक्ष किरण दीदी पत्रकार, श्रीमती कविता जायसवाल, कोषाध्यक्ष संजय सुराणा, सचिव सुनील कचनेरिया एडवोकेट, सहसचिव अनिल धनगर, रवि कामरिया, विशेष सहयोग विपिन सिंघी , गौशाला सेवक करण गोस्वामी आदि ने नगर पालिका परिषद आष्टा एवं पार्षद प्रतिनिधि सुभाष नामदेव का हृदय से आभार व्यक्त किया।

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- हर दुख एक सबक देता है और हर सबक इंसान को बदल देता है, इंसान को समय रहते अपने जीवन को सार्थक करने के लिए परमात्मा के नाम का स्मरण रहना चाहिए, जिससे उसका मनुष्य जीवन सफल हो जाए, जब तक आप स्वयं पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप ईश्वर पर भी विश्वास नहीं कर सकते है। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी संगीतमय शिव महापुराण के चौथे दिन

अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के पुत्र कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहे। शनिवार को कथा के दौरान माता सती, भगवान शिव और माता पार्वती और भगवान गणेश के जन्म का विस्तार से वर्णन किया गया। शिव महापुराण के दौरान सती चरित्र के प्रसंग को सुनाते हुए भगवान शिव की बात को नहीं मानने पर सती के पिता के घर जाने से अपमानित होने के कारण स्वयं को अग्नि में स्वाह होना पड़ा। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य, भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए, क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है, उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है।

भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का वर्णन- पंडित श्री मिश्रा ने भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का वर्णन किया, शिवजी जब बारात लेकर चलने लगे तो उनकी बारात में भूत-प्रेत,बेताल सब मगन होकर नाच रहे थे। भगवान शिव स्वयं नंदी पर विराजमान थे और गले में नाग की माला धारण किए हुए थे। साथ में भगवान विष्णु और ब्रह्माजी भी देवताओं के साथ लेकर चल रहे थे। त्रिलोक शिव विवाह के आनंद से मगन हो रहा था। हर तरफ शिवजी के जयकारे लग रहे थे। बारात नगर भ्रमण करते हुए देवी पार्वती के पिता राजा हिमवान के द्वार पहुंची। बारात के स्वागत के लिए महिलाएं आरती की थाली लेकर आयीं।

भगवान शिव की सासु मां मैना अपने दामाद की आरती उतारने दरवाजे पर पहुंची। भगवान शिव की सामने जब मैना पहुंची तो शिवजी का रूप देखकर चकरा गईं। उस पर शिवजी ने अपनी और लीला दिखानी शुरू कर दी। मैना वहीं अचेत होकर गिर गईं। मैना को होश आया तो उन्होंने शिवजी के साथ अपनी सुकुमारी कन्या देवी पार्वती का विवाह करने से मना कर दिया। मैना ने कहा कि देवी पार्वती सुकुमारी को बाघंबरधारी, भस्मधारी को नहीं दे सकती। माता को व्याकुल देख पार्वती समझ गईं कि यह सब शिवलीला के कारण हो रहा है। देवी पार्वती ने कहा कि हे माता और पिताजी आप मुझे शिवजी से मिलने की आज्ञा दें फिर आपको शिव उसी रूप में मिलेंगे जैसा आप चाहते हैं।

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- पौधों से मिलती है जीवनरक्षक ऑक्सीजन, दवाएं व फल- संचालक राहुल सिंह—- हर साल की तरह इस साल भी संकल्प नशा मुक्ति केन्द्र, वृद्धाश्रम और श्रद्धा भक्ति सेवा समिति के तत्वाधान में पौधा रोपण करने का सिलसिला जारी है। शनिवार की शाम को शहर के सैकड़ाखेड़ी जोड़ सहित अन्य स्थानों पर केन्द्र के संचालक राहुल सिंह सहित अन्य क्षेत्रवासियों के सहयोग से पौधा रोपण किया गया। समिति के सदस्यों ने अपने ही घर के गमलों में इन पौधों की देखभाल कर बड़ा किया है। जिनका अब रोपण किया जा रहा है। समिति के द्वारा 108 पौधों का रोपण के साथ ही साथ संकल्प दिलाया जाएगा। इस मौके पर श्री सिंह ने कहा कि पौधों से हम सबको जीवन रक्षक ऑक्सीजन तो फ्री में मिलती ही है।

इसके साथ दवाएं व फल भी मिलते हैं। जब बुजुर्गों से पौधरोपण की अहमियत की सीख मिली तो पौधरोपण का संकल्प लेकर जुट गए। पौधारोपण को लेकर लोगों से बातचीत की तो सभी का यह कहना था कि पौधरोपण तो सहज है लेकिन उनकी रक्षा करना किसी संतान के पालन पोषण से कम नहीं है। एक दर्जन लोगों से बातचीत में आधे लोग पौधारोपण पहले से कर रहे थे। जबकि आधे लोगों ने कहा कि वे पौधारोपण भविष्य में जरूर करेंगे। आश्रम के बुजुर्ग बीपी शर्मा ने कहा कि अब उनकी प्रेरणा से खेतों पर तथा खाली जगह पर अनेक तरह के फलदार पौधे लगाकर उनको संरक्षित करने लगा हूं।

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