updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- कलेक्टर श्री प्रवीण सिंह ने जिले में लगातार हो रही वर्षा के दौरान अधिकारियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आज कलेक्टर सभाकक्ष में राजस्व, पुलिस एवं संबंधित विभागों के अधिकारियों की बैठक आयोजित कर जिले में हो रही बारिश से उत्पन्न स्थिति के बारे में अनुभागवार जानकारी ली। बैठक में कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि हमारे लिए प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा सर्वोपरि है, इसलिए सभी अधिकारी सजग रहें और पूरी मुस्तैदी से ड्यूटी करें।
उन्होंने कहा कि अतिवर्षा या बाढ़ की चुनौतियों से निपटने के लिए समन्वय में कोई कमी नहीं रहना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि किसी तरह की कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लगातार हो रही मानसून की बारिश से जिले में नदी, नालो एवं निचलने स्थानों में जल भराव हो रहा है। कलेक्टर श्री सिंह ने निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसे स्थान जहां पुल के ऊपर पानी बह रहा हो तो वहां नागरिकों को नहीं जाना चाहिए। सभी जिला अधिकारी एवं मैदानी अमला सजग रहे और बांधों के गेट खुलने की स्थिति में सतर्क रहें। जो क्षेत्र जलमग्न हो सकते हैं, वहां आवश्यक सावधानी रखी जाए ताकि किसी तरह की कोई हानि नही हो।
बैठक में अपर कलेक्टर श्री वृंदावन सिंह, संयुक्त कलेक्टर श्री नितिन टाले, श्री आनंद सिंह राजावत, एसडीएम श्री तन्मय वर्मा एवं विकासखण्ड स्तर के अधिकारी वीसी के माध्यम से बैठक में शामिल हुए। बेरीकेड के साथ कर्मचारियों की ड्यूटी- कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि जिन पुल, पुलियो तथा रपटों पानी हो वहां पर बैरिकेड लगाकर आवागमन रोका जाए तथा राजस्व, जनपद तथा पीडब्ल्यूडी विभाग के कर्मचारी की ड्यूटी लगाई जाकर उनकी उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।
जर्जर मकानों को गिराने के निर्देश- बैठक में कलेक्टर श्री सिंह ने दुर्घटना की संभावना को ध्यान मे रखते हुए सभी राजस्व अधिकारी एवं नगरीय निकायों के सीएमओ को निर्देश दिए हैं, कि जर्जर मकानों को चिन्हित कर उन्हे खाली कराकर ध्वस्त किया जाए। इसके साथ ही सभी जनपद सीईओ को अमृत सरोवर तथा तालाबों की पाल का निरीक्षण करने के निर्देश दिए। कलेक्टर श्री सिंह ने डीईओ तथा डीपीसी को निर्देश दिए कि जर्जर भवनों में स्कूल नहीं लगाए।
यदि कोई भवन जर्जर है या सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त नहीं हो तो अन्य भवन में स्कूल शिफ्ट किया जाए। साथ ही जर्जर पानी की टंकियों को भी ध्वस्त करने की कार्यवाही की जाए। उप यंत्री को निलंबित करने के निर्देश- अति वर्षा से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा के दौरान कलेक्टर श्री सिंह ने इछावर क्षेत्र में पदस्थ लोक निर्माण विभाग के उप यंत्री श्री जितेन्द्र श्रीवास्तव को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पूरा प्रशासन अति वर्षा को लेकर अलर्ट है ऐसे में किसी तरह की कोताही बर्दास्त नहीं की जाएगी। श्री श्रीवास्तव अपने कार्यक्षेत्र में उपस्थित नहीं थे।
updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- शिव पुराण ने भक्तों को दुख की घड़ी में विश्वास दिया है कि शंकर तुम्हारे साथ हैं। एक भरोसा पक्का किया है कि आखिर शिव तत्व क्या होता है। सावन का महीना भगवान शिव को सबसे अधिक प्रिय है। इस पवित्र महीने में श्रद्धालाओं द्वारा प्रत्येक सोमवार को व्रत रखकर महादेव की पूजा-अर्चना करती हैं। माना जाता है कि भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। साथ ही व्यक्ति की सभी मनोकामना भी पूरी होती है।
हिंदू धर्म में सावन का विशेष धार्मिक महत्व होता है। श्रावण मास को साल का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। बहुत से लोग इस माह को सावन का महीना भी कहते हैं। सावन में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा बहुत श्रद्धा और भक्ति भाव से की जाती है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी सात दिवसीय संगीतमय शिव महापुराण के तीसरे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के पुत्र कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहे।
कथा व्यास पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि कई लोगों की पूरी जिंदगी गुजर जाती है तब भी वे शिव को समझ नहीं पाते। कोई शिव को भगवान समझाता है, कोई पत्थर मानता है और कोई अपशब्द कहता है। पर सत्य तो यही है कि जिस तरह पेट भरने के लिए भोजन आवश्यक होता है उसी तरह आत्मा की तृप्ति के लिए शिव नाम स्मरण की आवश्यकता होती है। भगवान की भक्ति हमारे अज्ञानता को दूर करती है और परमात्मा के नाम का भरोसा हमें आता है। अगर मन में कामनाएं रहती हैं तो निस्वार्थ भक्ति नहीं हो पाती है- उन्होंने कहा कि भक्ति करते समय अगर कुछ बातों का ध्यान नहीं रखा जाता है
तो हमारी पूजा सफल नहीं हो सकती है। अगर मन में कामनाएं रहती हैं तो निस्वार्थ भक्ति नहीं हो पाती है। इस संबंध में रामकृष्ण परमहंस के जीवन का प्रेरक प्रसंग प्रचलित है। इस प्रसंग के अनुसार रामकृष्ण परमहंस के एक शिष्य ने पूछा कि इंसान के मन में सांसारिक चीजों को पाने की और कामनाओं के लेकर व्याकुलता रहती है। व्यक्ति इन इच्छाओं को पूरा करने के लिए लगातार कोशिश करते रहता है। ऐसी व्याकुलता भगवान को पाने की, भक्ति करने की क्यों नहीं होती है? रामकृष्ण परमहंस ने शिष्य से कहा कि ऐसा अज्ञानता की वजह से होता है।
व्यक्ति सांसारिक वस्तुओं को पाने के भ्रम में उलझा रहता है, मोह-माया में फंसे होने की वजह से व्यक्ति भगवान की ओर ध्यान नहीं दे पाता है। शिष्य ने पूछा कि ये भ्रम और कामनाओं को कैसे दूर किया जा सकता है? सांसारिक वस्तुएं भोग हैं और जब तक भोग का अंत नहीं होगा, तब तक व्यक्ति भगवान की भक्ति में मन नहीं लगा पाएगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि कोई बच्चा खिलौने से खेलने में व्यस्त रहता है और अपनी मां को याद नहीं करता है। जब उसका मन खिलौने से भर जाता है या उसका खेल खत्म हो जाता है, तब उसे मां की याद आती है। यही स्थिति हमारी भी है।