updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- इस संसार में सबसे ज्यादा आनंदमय है तो वह ईश्वर ही है। क्योंकि वह कुछ लेते नहीं है देते ही देते हैं। हमें भोजन करने में आनंद नहीं आता, आहार कराने में आनंद आता है इसलिए जो लेने में सुख नहीं देने में ही सुख है। धर्म मन की निर्मलता ही है और छुदा एक प्रकार का रोग है और रोग को शांत करने के लिए हमें औषधि लेना पड़ती है और औषधि बहुत अल्प होती है। उसी प्रकार हमें भोजन भी औषधि के अनुसार ही करना चाहिए, जिससे हम निरोगी रहेंगे। हम दिन-रात खाने में आनंद ढूंढते हैं और रोगी बने रहते हैं।
उक्त बातें नगर के अरिहंत पुरम अलीपुर के श्री चंद्र प्रभ दिगंबर जैन मंदिर में चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य गुरुदेव उच्चारणाचार्य विनम्र सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री विनंद सागर महाराज ने 48 दिवसीय श्री भक्तांबर विधान एवं प्रशिक्षण के शुभारंभ अवसर पर कही। आपने आशीष वचन देते हुए कहा कि जिनके लिए हमारे पास समय होता है, उन्हीं से ही हमारी नजदीकी बढ़ती है। आप व्यापार एवं परिवार को समय देंगे तो उनसे नजदीकी बढ़ेगी और आप भगवान के पास बैठोगे एवं उनकी आराधना के लिए समय दोगे तो उनसे नजदीकी बढ़ेगी। इस संसार में मुस्कुरा वही सकता है जो या तो पागल है या दीवाना है।
हमें सब्जी नहीं फल बनना है, क्योंकि सब्जी में नमक मसाला डालना पड़ता है, तब वह स्वादिष्ट बनती है। जबकि फल अपने आप में स्वादिष्ट है। देने से चीज बढ़ती है, ज्ञान बांटने से बढ़ता है, प्रेम बांटने से बढ़ता है, उसी प्रकार दान देने से धन और पुण्य बढ़ता है। इसलिए देने वाला हमेशा बड़ा माना गया है, वहीं लेने वाला कभी बड़ा नहीं हो सकता। 29 जुलाई सोमवार से अरिहंत पुरम अलीपुर मंदिर प्रांगण में भक्तांबर जी महामंडल विधान का आयोजन मुनिश्री विनंद सागर जी एवं ऐलक श्री विनमित सागर जी महाराज के सानिध्य में प्रारंभ हुआ। इसमें प्रथम श्रावक श्रेष्ठि विधान कर्ता आज के श्री सागरमल, धर्मेंद्र कुमार जितेंद्र कुमार, अक्षत जैन अमलाहा वाले परिवार को प्राप्त हुआ।
updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- वाणी के जादूगर, मालव केसरी, युग प्रधान संतरत्न, प्रसिद्ध वक्ता पूज्य गुरुदेव श्री सौभाग्यमल जी महाराज साहब के 40 वें पुण्य स्मरण दिवस पर साध्वी शीतल प्रभा जी महाराज साहब ने बताया कि मालव केसरी जी वाणी के जादूगर थे। उन्होंने अपनी वाणी से अनेक लोगों के जीवन में परिवर्तन किया। मालव केसरी जी के माता-पिता जन्म के कुछ साल बाद ही देवलोक गमन हो गया था। आपने बहुत कम उम्र में ही खाचरोद में दीक्षा अंगीकार की। आपका लालन पोषण खाचरोद में ही हुआ।
आपके उपकारों को कभी भी भूल नहीं पाएंगे। गल्ला व्यापारी सुशील रांका की धर्मपत्नी श्रीमती गुणमाला रांका ने 9 उपवास की तपस्या पूर्ण कर पारणा किया। श्रीमती शीतल रांका के सोमवार को 10 उपवास पूर्ण हुए। पूज्य रेणु प्रभा जी महाराज साहब ने आशीष वचन देते हुए कहा कि आपकी श्रद्धा मजबूत होना चाहिए। श्रावक मजबूत होना चाहिए। यह नहीं कि आप बिहार सेवा देने गए और वहां खड़े होकर फोटो खिंचवाया और व्हाट्सएप पर डाल दिया। तपस्वी की तपस्या पूछने गए और वहां पर फोटो खिंचवाया और आपने व्हाट्सएप पर डाल दिया।
तपस्वी की तपस्या पूछने जाना तो वहां पर श्रावक द्वारा चाय -पानी कुछ भी नहीं खाना- पीना चाहिए एवं वहां पर अपने द्वारा नवकार मंत्र का जाप, चौबीसी, भजन के द्वारा उनको साता पहुंचाना चाहिए, ऐसा करें वही सच्चा श्रावक हैं। विदित रहे कि नगर के श्री महावीर भवन स्थानक में चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य साध्वी महासती श्री किरणबाला जी महाराज साहब आदि ठाना 5 विराजित है। आपकी प्रेरणा से तपस्या श्रावक ओर श्राविकाएं कर रहे हैं।नित्य प्रवचन सुबह 9 से 10 बजे तक हो रहे हैं।
गतिमान तपस्याएं- प्रत्याख्यान गतिमान पुण्य पुंज किरण बाला जी महाराज साहब के मुखारविंद से 9 उपवास की तपस्या श्रीमती गुणमाला सुशील कुमार रांका ने पूर्ण की। वहीं श्रीमती शीतल पीयूष कुमार रांका ने 10 उपवास पूर्ण किए। तेले की लड़ी- श्रीमति रेखा पारस गांग पचरंगी तप एवं 4 उपवास में 5 नाम वहीं 3 उपवास में 5 नाम तथा 2 उपवास में 5 नाम और 1 उपवास में 5 नाम आएं।मेरु तप श्रीमती ऋतु गाँधी छाजेड़ ने किया।वर्धमान तप ओली जी 16 श्रद्धालुओं ने की।