updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- जीवन के किसी भी पल में व्यक्ति को वैराग्य उमड़ सकता है। तीर्थंकरों की वाणी अमृत के समान है।भक्ति के माध्यम से मुक्ति के दातार अरिहंतों की भक्ति करें तो सम्यकतव रुपी रत्न की प्राप्ति होगी। लक्ष्य भक्ति रखने का हो, सिद्धत्व की प्राप्ति लक्ष्य हो।गुणों के प्रति अनुराग होना ही भक्ति है। भगवान अनंत गुणों की खान है। भगवान के दर्शन करते समय भावना भाएं कि है भगवान आपके गुणों की भक्ति, प्राप्ति का भाव हम रखते हैं। आचार्यो ने उपकार किया जो ग्रंथों में सब-कुछ लिख कर चले गए। कितने दयालु, कल्याणी, कृपावान थे आचार्य वे पथ प्रदर्शक थे। सबसे सरल मोक्ष मार्ग आपने बताया। बाईस सौ परिग्रह पाल रहे हो आप।शिक्षा के क्षेत्र में आज रेडीमेड जमाना है।

पहले किताब पढ़ते थे, फिर कुंजी आ गई। फिर 20–20 का जमाना आ गया।अपना एक वर्ष बर्बाद कर रहे हैं बच्चे। तत्त्वार्थसूत्र कुंजी का काम करता है। उक्त बातें नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन दिव्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित संत शिरोमणि आचार्य भगवंत विद्यासागर महाराज एवं नवाचार्य समय सागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। आपने कहा कल चातुर्मास के सामाजिक रूप से मंगलाचरण था। समाज ने चातुर्मास कलश स्थापना करी। ज्ञान साधना और भक्ति आराधना का मार्ग है । बड़े बाबा आष्टा और कुंडलपुर के बड़े बाबा से सभी परिचित हैं। कुंडलपुर की प्रतिमूर्ति आष्टा के बड़े बाबा की मूर्ति है।

चौबीस तीर्थंकरों में विशेष तीर्थंकरों में पार्श्वनाथ भगवान भी है। मुनिश्री निष्पक्ष सागर महाराज ने कहा भगवान की तन्मयता और लगन से लोग आराधना करते हैं। चौबीस तीर्थंकरों से विशेषताएं जुड़ी है। संकट मोचक, कल्याणकारी, दुःख हरने वाले तीर्थंकर है। हम गुणों की पूजा करते हैं। दिगंबर रुप में बच्चे व कोई भी घूम सकता है, लेकिन जैन संतों की कुछ विशेषताएं हैं। महावीर स्वामी, गणधरों और आचार्यों की कृपा से। महावीर स्वामी से परम्परा चल रही है। शांति सागर जी ने जैन मुनि परम्परा को आगे बढ़ाया।शिव सागर और वीर सागर जी ने व्यवस्थित किया जैन मुनि परम्परा को। आचार्य ज्ञानसागर महाराज पारंगत थे। उन्होंने बड़े -बड़े आचार्यों, साध्वियों को अध्ययन कराया।

अपनी बागडोर एक युवा विद्यासागर महाराज को सौंपी।जो उनकी परम्परा को ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। दोपहर की सूर्य की तरह चमकता हुआ दिगंबरत का सूर्य आचार्य विद्यासागर को बताया। आचार्य ज्ञानसागर महाराज जौहरी थे, उन्होंने हीरे की पहचान की। ऐसे ही जौहरी आचार्य विद्यासागर महाराज भी थे। उन्होंने हमें तराशा है। संस्कारों का बीजारोपण कर 28 मूल गुणों से युक्त हमें किया। आचार्य विद्यासागर महाराज विद्यालय की कृति – वृत्ति है हम सभी। हम आगे बढ़ने का मन नहीं बना रहे हैं।मोह में अटके हैं। तेरे – मेरे में लगे हुए हो।हम आपको पढ़ाने नहीं स्वयं पढ़ने आए हैं। भक्ति कैसे करना चाहिए, भक्ति कैसी हो, यह समझें। मुनिश्री ने कहा सामर्थ्य सभी में है लेकिन आप लोगों ने अपना सामर्थ्य छुपा रखा है।मेरी शक्ति और उपादान जागृत हुई हैं, वह आष्टा के सभी लोगों को भगवान प्रदान करें।

बिना गुणों के हम अपनी आत्मा का उत्थान नहीं कर सकते हैं। साधना में कमजोर है तो आराधना सच्चे देव, शास्त्र और गुरु की करें। भक्ति में बहुत शक्ति हैं। भक्ति की शक्ति कभी सो नहीं सकती। भक्ति का अर्थ जुड़ना है।लक्ष्य रखें स्वयं से जुड़ने और परिचित हो। अपनी परम्परा को कायम रखते हुए दिगंबर जैन समाज ने रचा इतिहास श्री पार्श्वनाथ दिगंबर दिव्योदय तीर्थ क्षेत्र किला मंदिर पर चातुर्मास हेतु विराजित पूज्य मुनिश्री निष्पक्ष सागर जी, मुनिश्री निष्प्रह सागर जी, मुनिश्री निष्कंप सागर जी, मुनि श्री निष्काम सागर जी महाराज ससंघ की पावन निश्रा में सकल दिगम्बर जैन समाज आष्टा ने रविवार 28 जुलाई को कलश स्थापना के समारोह में अपनी परम्परा को कायम रखते हुए चातुर्मास -2024 का नया कीर्तिमान रचा है।

इतने बड़े सफलतम आयोजन के लिए हम समाज के सभी उत्साहित नव युवाओं का ह्रदय से अभिनंदन करते है। जिन्होंने रात दिन एक कर भव्य पांडाल ओर मंच को नवीन रूप देकर कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की है ।साथ ही धर्म प्रभावना समिति 2024 के संयोजक संजय जैन सात्विक एवं दिगंबर जैन पंचायत समिति, श्री दिगंबर जैन मुनि सेवा समिति, आचार्य विद्यासागर गौशाला समिति, आष्टा समाज के समस्त दानदाताओं तथा दानदाता श्रेष्ठी जनों के पुण्य की अनुमोदना करते हैं।जिन्होंने अपनी चंचला लक्ष्मी का सदुपयोग कर परोक्ष ओर प्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्रदान किया है। भारी बारिश के बीच इतने अपार जनसमूह की उपस्थिति ने यह सिद्ध कर दिया कि हम सभी धर्म पारायण लोग हैं। श्री दिगंबर पंचायत समिति, चातुर्मास धर्म प्रभावना समिति एवं मुनि सेवा समिति ने सभी का आभार व्यक्त किया।

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- सावन की ठंडी फुहार के साथ मेला संपन्न हुआ मारवाड़ी महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती रजनी बाहेती ने फीता काटकर मेले का शुभारंभ किया। इस मौके पर दीप प्रज्वलित श्रीमती प्रतिभा झवर,श्रीमती प्रेमलता रुठिया ने किया। संगठन सदस्य श्रीमती ममता पितलिया, श्रीमती पुष्पा सोनी, श्रीमती इंदु भावसार, ने चटपटी चाट का स्टाल, लगाया, मेहंदी प्रतियोगिता रखी गई जिसमें प्रथम, द्वितीय, तृतीय सभी को प्रोत्साहन प्राइज श्रीमती मंजू अग्रवाल, श्रीमती शशि विजयवर्गीय द्वारा दिए गए।

सचिव मंजू भरतीया, संरक्षक राजकुमारी पालीवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया मेले में गोबर से बनी सामान, मिट्टी से बने सामान, हैंडीक्राफ्ट्स, ज्वेलरी, गिफ्ट आइटम्स, साडिय़ां, सूट, रखिया, आकर्षण का केंद्र थे 25 लकी ड्रा निकाले गए श्रीमती गीता सोडाणी, संध्या विजयवर्गीय ने सभी से लकी ड्रॉ निकलवाए। श्रीमती राधा शर्मा, आभा कासट, विनीत सोनी, ज्योति रुठियां, लता खंडेलवाल, किरण सोनी, निर्मला व्यास, सरोज सोनी, मोना, संगीता राठी, ज्योति सोनी, ज्योति अग्रवाल सभी संगठन सदस्यों से मेले में पूर्ण सहयोग मिला।

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