updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- श्री ब्रह्मानंद जन सेवा संघ, मां कृष्णा धाम आश्रम के पावन तत्वावधान द्वारा आयोजित श्री गुरु पूर्णिमा अमृत महोत्सव के विराम दिवस पर आज देश के कौने कौने से हजारों गुरु भक्तों ने अपने गुरु की पूजा अर्चना की, आज कई भक्तों ने गुरु दीक्षा ली।दिन भर महाभंडारा चलता रहा। मां कृष्णा जी ने आज के सत्संग में बताया कि- 1. जब गुरु अपने शिष्य को गुरु दीक्षा देते हैं तो उसके अभी तक के सारे पाप हर लेते है। और वह एक निर्मल व्यक्तित्व के रूप में निखरता है

गुरु से दीक्षा लेने के बाद उस व्यक्ति के सारे कार्य गुरु के द्वारा संचालित होते हैं। दिक्षित व्यक्ति के सभी परमार्थिक कार्य सफल होते हैं।लेकिन इन सबके लिए शिष्य की अपने गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा और विश्वास होना बहुत जरूरी है। 2.गुरु पूर्णिमा को वेदव्यास जी के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं आज के दिन शिष्य अपने गुरु के प्रति नतमस्तक होकर कृतज्ञता व्यक्त करता है। गुरु स्वयं में पूर्ण है तभी तो वह हमें पूर्णत्व की प्राप्ति करवाता है। इस दिन शिष्य को अपनी समस्त श्रद्धा गुरु के चरणों में अर्पित कर देना चाहिए ।

गुरु ग्रंथ का सार है, गुरु है प्रभु का नाम! गुरु आध्यात्मिक की ज्योति है, गुरु है चारों धाम! गुरु के चरणों में चारों धाम रहते हैं। 3 मूर्खों को संतसग और उपदेश ज्ञान कि बातें अच्छी नहीं लगती है। एक बार पक्षीयों ने बंदरों से कहा की तुम पानी में भीग रहे हो अपना घर क्यों नहीं बना लेते। यह सुनकर बंदरों ने उन पक्षियों का घोंसला तोड़ दिया। 4.परमात्मा और गुरु के दरबार में जब भी जाए काम विकारों से खाली होकर जाये। जो व्यक्ति काम विकारों से भरा रहता है उस व्यक्ति को सत्संग और भगवान की कथा समझ में नहीं आती है। जो पात्र खाली रहता है उसी में कुछ ना कुछ भरा जा सकता है।

इसी तरह से जो व्यक्ति अपने अंदर के विकारों और कामवासनाओं को त्याग करके फिर सत्संग में बैठता है तो उस पर सत्संग का ज्यादा असर होता है। गुरु की कृपा प्राप्त करने के लिए हमारे अंदर पात्रता होनी चाहिए। 5. परमात्मा प्रर्कति में हर जगह व्याप्त है हर जीव के अंदर है। जिस तरह तिल में तेल है, लकड़ी में आग है, दूध में मक्खन है, इस तरह भगवान हर स्थान पर हर जगह व्याप्त है। जिस तरह दूध में मक्खन होता है किंतु दिखाई नहीं देता है। उस मक्खन को निकालने के लिए दूध को पहले जमाना पड़ता है। दुध को मथनी से मथना पड़ता है तब मक्खन दिखाई देता है। ठीक उसी तरह से परमात्मा को पाने के लिए ध्यान, भजन, साधना का मंथन करना पड़ता है तब परमात्मा प्राप्त होता है।

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