updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- कृष्ण भक्ति हमारी आत्मा को आल्हाद से भर देती है। इनकी लीला न्यारी भी है और प्यारी भी। भगवान श्री कृष्ण का जितना स्वरूप प्यारा है उनका ही निराला उनका प्रेमोद्दीपक दर्शन है। श्री कृष्ण विज्ञान भी हैं और कला भी। सर्व प्रिय भगवान कृष्ण ज्ञान, कला और प्रेम के प्रतीक हैं उनके द्वारा प्रदत्त ज्ञानोपदेश हमे जीने की कला सिखाता है और जीवन की नश्वरता का बोध भी कराता है। कृष्ण भक्ति से शांति सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह बात इस्कान मन्दिर उज्जैन के उपाध्यक्ष पूज्य धीर गौर स्वामी ने आज नगर में निकली इस्कान रथयात्रा के अवसर पर श्रद्धालुओं से कही।

इस अवसर पर पूर्व नपाध्यक्ष तथा स्वामी अवधेशानन्द गिरी जी महाराज द्वारा स्थापित प्रभु प्रेमी संघ के संयोजक कैलाश परमार ने संघ की गतिविधियों और सक्रियता से अवगत कराया। नगर में इस्कान द्वारा रथयात्रा की परंपरा पर हर्ष व्यक्त करते हुए श्री परमार ने कहा कि नगर की शानदार धार्मिक परम्पराओ में इस्कान की गतिविधियों का जुड़ना सोने पर सुहागा जैसा होगा। पूर्व नपाध्यक्ष ने पूज्य धीर गौर स्वामी का परम्परागत ढंग से अभिनन्दन किया। स्वामी जी ने स्वागतकर्ताओ को श्रीमद भागवत की प्रति भेंट करते हुए अध्ययनशील और सेवाभावी बनने का आशीष दिया। इस अवसर पर नगर में इस्कान के प्रमुख सहयोगी संदीप सोनी, इनर व्हील संस्था की पूर्व उपाध्यक्ष श्रीमती हेमलता सोनी, मारवाड़ी नामदेव छिपा समाज के राष्ट्रीय पदाधिकारी अनिल भाटी, एडवोकेट वीरेंद्र परमार आदि उपस्थित थे।

कुबेरेश्वरधाम पर उमड़ा आस्था का सैलाब- भगवान महादेव आपके विश्वास, भरोसे और मन की कोमलता से प्राप्त होते है- भागवत भूषण पं प्रदीप मिश्रा

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- जो मनुष्य निर्मल मन का होता है, वही मुझे पाता है। मुझे कपट और छल- छिद्र नहीं सुहाते। भगवान महादेव आपके विश्वास, भरोसे और मन की कोमलता से प्राप्त होते है। उक्त विचार जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में रविवार से आरंभ हुई सात दिवसीय शिव महापुराण के पहले दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहे।

कथा के पहले दिन ईसा और गौर की झांकी सजाई गई थी और उसके बाद आरती आदि का आयोजन किया गया। पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि एक छोटा सा जीवन है मनुष्य का उस जीवन में हम कैसे भक्ति साधना कर सकते हैं जीवन को भक्तिपूर्ण बना सकते हैं ये शिवपुराण कथा बताती है। जैसे जैसे ईश्वर की भक्ति में डूबते जाओगे तब जीवन के आनंद की अनुभूति होगी। आपने शिव जी को एक लोटा जल चढ़ाया है तो वह आपका साथ कभी नही छोड़ते।

क्योंकि यह शिव ही है, जो आपके साथ जीवित अवस्था में भी रहते हैं और मरने के बाद श्मशान में भी। इसलिए कहता हूं एक लोटा जल सब समस्या का हल। रविवार को करीब एक लाख से अधिक श्रद्धालु कथा का श्रवण करने पहुंचे थे। क्षेत्र के कार्यकर्ताओं, सेवादारों, शिवभक्तों और कार्यकर्ताओं का सहयोग रहा। वहीं ट्रैफिक, पार्किंग से लेकर बैठक और सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने योगदान दिया है।

इंसान से नहीं ईश्वर से जुडने का प्रयास करो- शिव महापुराण के पहले दिन भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि हम ईश्वर से संबंध बनाने की जगह इंसान से संबंध बनाने की कोशिश करते है, इसलिए इधर-उधर भटकते रहते है। इसलिए कर्म मार्ग में भी मनुष्य को निष्काम भाव से कर्म करना होता है। अपने कर्म को ईश्वर को समर्पित करना पड़ता है। इसलिए इसमें भी भटकने की पूरी संभावना होती है। वहीं भक्ति मार्ग में वह अपने आप को पूर्णतया ईश्वर भक्ति में समर्पित कर देता है। वह स्वयं को विचलित नहीं करता है। इसलिए भक्ति मार्ग में ईश्वर प्राप्ति की पूरी संभावना होती है।

श्रद्धालुओं के लिए कथा श्रवण के लिए लगाए तीन बड़े पंडाल-विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि गुरुदेव के आदेश अनुसार इस वर्ष श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए यहां पर आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए समिति के व्यवस्थापक पंडित समीर शुक्ला आदि ने कथा स्थल पर तीन भव्य वाटर पू्रफ पंडाल बनाए गए है, जिससे धूप और बारिश से श्रद्धालु को कोई दिक्कत नहीं हो रही है। रविवार को एक लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया और यहां पर भोजन प्रसादी आदि का वितरण किया गया।

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