updatenews247.com धंनजय जाट आष्टा 7746898041- विकासखण्ड स्तरीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक दिनांक 21 जून 2024 को जनपद पंचायत आष्टा के व्हीसी हॉल में आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता माननीय विधायक महोदय श्री गोपालसिंह इंजीनियर द्वारा की गई। बैठक में सर्वप्रथम उपस्थित अधिकारियों द्वारा अपने परिचय प्रस्तुत किया पश्‍चात विभिन्न विभागों की क्रमानुसार समीक्षा की गई। माननीय विधायक महोदय द्वारा निर्देशित किया गया कि सभी विभाग प्रमुख अपने विभाग से संबंधित विकास कार्यो हेतु

आवश्‍यक मांग एवं आवंटन के लिये मांग पत्र तैयार कर प्रस्तुत करे जिससे क्षेत्र में प्रगतिरत कार्यो को शीघ्र पूर्ण किया जा सके। श्रीमती स्वाति उपाध्याय मिश्रा अनुविभागीय अधिकारी द्वारा उपस्थित सभी विभाग प्रमुखों को निर्देशित किया गया कि आपके विभाग में हितग्राही मूलक कार्यो में हितलाभ वितरण का सामुहिक आयोजन कर जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित करे साथ ही विकास कार्यो के भूमि पूजन व लोकार्पण के समय पौधारोपण अवश्‍य करे। बैठक में श्री अमित कुमार व्यास मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा जनपद पंचायत आष्टा की आगामी 100 दिवस की कार्ययोजना का पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुतिकरण किया गया, पश्‍चात अधिकारियो द्वारा अपने विभागों में प्रचलित निर्माण कार्य मूलक एवं हितग्राही मूलक कार्यो की जानकारी प्रस्तुत की।

बैठक में जनपद पंचायत आष्टा, नगर पालिका परिषद आष्टा, नगर परिषद जावर, नगर परिषद कोठरी, किसान कल्याण तथा कृषि विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग परियोजना आष्टा-1 एवं-2, जावर, कृषि उपज मण्डी समिति आष्टा , एन. आर. एल. एम. ,खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग, उद्यानिकी विभाग, म.प्र.म.क्षे.वि.वि. कम्पनी लिमि. आष्टा, आदिम जाति कल्याण विभाग, लोक निर्माण विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, शिक्षा विभाग, जल संसाधन विभाग, एवं आबकारी विभाग सहित अनेक विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक के अंत में श्री अमित कुमार व्यास सीईओ जनपद पंचायत आष्टा द्वारा आभार व्यक्त किया, धन्यवाद के साथ बैठक का समापन हुआ।

वार्ड क्रमांक 13 में कन्या द्वारा कराया गया पांच लाख की लागत से बनाई जाने वाली रोड का भूमि पूजन, शहर को सुंदर और स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी सभी की- नपाध्यक्ष प्रिंस राठौर

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- शहर को महानगर की तर्ज पर विकसित किए जाने का जो संकल्प वर्तमान नगर पालिका ने लिया है उसको मूर्त रूप देते हुए शहर में करोड़ों रुपए के विकास कार्य किए जा रहे है। शहर में बारिश से पहले सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। जिससे जर्जर सड़कों से क्षेत्रवासियों को मुक्ति मिले। शुक्रवार को शहर के वार्ड क्रमांक 13 के अंतर्गत आने वाले साई बाबा मंदिर के पास से छोटी ग्वालटोली तक बनाई जाने वाली सीसी रोड के निर्माण कार्य का भूमि पूजन कन्या से कराया। उक्त मार्ग काफी खस्ताहाल था, यहां पर सीसी रोड का निर्माण कार्य पूरा होने पर समस्या का समाधान हो सकेगा।

जानकारी के अनुसार वार्ड क्रमांक 13 के अंतर्गत सीसी रोड के निर्माण कार्य का भूमिपूजन करने पहुंचे नगर पालिका अध्यक्ष प्रिंस राठौर ने कहा कि नगर पालिका के द्वारा शहर को सुंदर और स्वच्छ रखना बहुत जरूरी है। बारिश से पहले शहर की सड़कों और नालियों का कार्य तेजी से जारी है। सीसी रोड का निर्माण कार्य पांच लाख की लागत से किया जाएगा। इस मौके पर पार्षद प्रतिनिधि सविता अर्जुन राठौर, प्रदीप बिजोरिया, भाजपा नेता मान सिंह पवार, निलेश राठौर के अलावा अन्य पार्षद और क्षेत्रवासी मौजूद थे।

पिता के वचन की रक्षा के लिए भगवान श्रीराम अपना सारा राजपाठ त्यागकर वन में चले गए- पं राहुल कृष्ण आचार्य

updatenews247.com धंनजय जाट सीहोर 7746898041- भगवान श्रीराम ने अपने कुल की मर्यादा को ध्यान में रखकर व अपने पिता के वचन की रक्षा के लिए सारा राजपाठ त्यागकर वन में चले गए। भगवान श्रीराम त्याग और समर्पण का मार्ग बताया। उक्त विचार शहर के जगदीश मंदिर में जारी सात दिवसीय श्रीराम कथा के दौरान कथा व्यास पंडित राहुल कृष्ण आचार्य ने व्यक्त किए। उन्होंने भगवान श्रीराम के वनवास का प्रसंग विस्तार से बताया कि जब श्री राम के राजतिलक की घोषणा पूरे अयोध्या में फैल गई

तो देवताओं ने मां सरस्वती से प्रार्थना की कि अगर श्री राम को तिलक हो गया तो राक्षसों का विनाश नहीं होगा। इसके बाद राम राजा नहीं बने और उन्हें वनवास के लिए जाना पड़ा। वनवास जाने से पहले कौशल्या ने कहा कि मेरा क्या होगा मैं तेरे बिन कैसे जिऊंगी। इस पर भगवान राम ने कहा- मैं पुरुषोत्तम हूं और माता-पिता की आज्ञा का पालन करना मेरा धर्म है। आप ङ्क्षचता न करें मैं वन के लिए जा रहा हूं और माता-पिता की आज्ञा का पालन करना मेरा धर्म है। राम माता से आज्ञा लेकर चल दिए।

आगे चलकर लक्ष्मण मिले लक्ष्मण ने कहा कि आप कहां जा रहे हैं तब श्री राम ने कहा कि मुझे माता पिता ने वनवास दिया है और मैं बन के लिए जा रहा हूं। लक्ष्मण ने कहा मैं भी आपके साथ चलूंगा। राम ने कहा वनवास मेरे लिए है। तुम्हारे लिए नहीं, लक्ष्मण ने कहा कि आप मुझे नहीं ले जाएंगे तो मैं यहां पर मर जाऊंगा। आपके बिना में जीवित नहीं रहूंगा। लक्ष्मण को लेकर श्री राम चले फिर सीता जी भी वहां पर आ गई सीता जी ने भी कहा मैं आपके बिना इस अयोध्या में नहीं रहूंगी। इसके बाद तीनों वनवास के लिए चले गए।

सात दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवे दिवस उत्साह के साथ मनाया गया भगवान श्रीराम का विवाहोत्सव, कथा के छठवे दिन भगवान श्रीराम के वनवास का किया जाएगा वर्णन

धर्म की रक्षा के लिए भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर कंस का वध किया। भगवान विष्णु ने राम अवतार लेते हैं और दुष्टों का संहार करते संसार में धर्म और सत्य की स्थापना की। अगर हम बिना कर्म करे फल की प्राप्ति चाहेंगे तो वह कभी नहीं मिलेगा। कर्म तो हमें करना ही होगा। जब भगवान राम ने जनकपुरी की प्रतिज्ञा अनुसार भगवान शिव के धनुष को तोड़ दिया तब सीता ने राम के गले में वरमाला डाल दी। राजा जनक ने अयोध्यापुरी राजा दशरथ को बरात लेकर आने का निमंत्रण दिया गया।

इस मौके पर कथा के मुख्य यजमान सुमित विश्वकर्मा, प्रदीप कौशल, मनोज दीक्षित मामा, धर्मेन्द्र माहेश्वरी, आशीष माहेश्वरी, मुकेश परमार, रुपेश सक्सेना आदि ने पूजा अर्चना की। इस मौके पर मंच पर भगवान श्रीराम के विवाह की झांकी सजाई गई थी। उक्त विचार शहर के जगदीश मंदिर स्थित सात दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवे दिन कथा वाचक पंडित राहुल कृष्ण आचार्य ने कही। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह आज भी आदर्श है। उन्होंने श्रीराम कथा में भगवान श्रीराम कथा का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि तब राजा दशरथ बारात लेकर जनकपुरी आए

जहां पर राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चारों पुत्रों का विवाह संपन्न कराया जाता है। कथा में भगवान राम और सीता जी की सुंदर झांकी सजाई गई। जहां पर कथा आयोजन करता एवं ग्राम वासियों द्वारा भगवान राम जानकी के पैर पखारे और मंगल गीत गाए गए। सीता स्वयंवर पर प्रत्यंचा चढ़ाना कोई सरल कार्य नहीं था। राम ने जनकपुर के स्वयंवर में अपनी अदभुत वीरता दिखाई और जिस धनुष को राजा महाराजा हिला नही सकें उस धनुष को उठाकर रामजी ने सीता से विवाह किया। माता सीता ने रामजी के गले में वर माला डालकर उन्हे पति के रूप में स्वीकार किया। राम कथा में सीता की विदाई हुई।

माता-पिता ने उन्हें ससुराल में कैसे रहना है इसकी सीख दी- उन्होंने कहा कि जनकपुर से जब सीताजी की विदाई हुई तब उनके माता-पिता ने उन्हें ससुराल में कैसे रहना है इसकी सीख दी। प्रत्येक माता-पिता को अपनी पुत्री के विवाह के समय ऐसी ही सीख देनी चाहिए। कन्या को ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिये जिससे ससुराल व मायका दोनों कुल कलंकित हो। माता सीता ने पूरे जीवन अपने माता पिता की सीख का पालन किया ओर जीवन में कष्ट सहन करते हुए भी कोई अनुचित कार्य नहीं किया।

अच्छे कर्म करता है तो अच्छा फल मिल जाता है-कथा वाचक पंडित राहुल कृष्ण आचार्य ने कहा कि कर्म का फल कोई परमात्मा नहीं देता। व्यक्ति जो करता है, वही उसे मिलता है। अच्छे कर्म करता है तो अच्छा फल मिल जाता है, बुरे कर्म करता है तो बुरा फल मिल जाता है। पक्का हुआ आम कभी कड़वा नहीं हो सकता वो सदैव मीठा ही रहता है। इसी प्रकार से अच्छे कर्म का फल हमेशा सुखदायी होता है। इसलिए हमें सर्वदा अच्छे कर्म, श्रेष्ठ कर्म, उत्तम कर्म जिसमें आत्मा को सुख हो, आत्मा की मुक्ति हो और सर्वजन के लिए हितकारी हो। ऐसा श्रेष्ठ कर्म सदैव करना चाहिए। आत्मा स्वयं कर्ता है, स्वयं भोगता है। आत्मा स्वयं मित्र और स्वयं शत्रु है।

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